प्रादेशिक
गोरखपुरः सीएम योगी के अथक प्रयास को मिला मुकाम, 7 दिसंबर को खाद कारखाने का लोकार्पण करेंगे पीएम मोदी
गोरखपुर। किसानों व नौजवानों के हित में योगी आदित्यनाथ के 19 साल के अथक संघर्ष को खाद कारखाने के रूप में मुकाम मिल गया है। नीम कोटेड यूरिया से खेतों में हरियाली बढाने तथा करीब दस हजार प्रत्यक्ष-परोक्ष रोजगार की संभावनाओं के साथ किसानों-नौजवानों के जीवन में खुशहाली लाने को यह कारखाना बनकर पूरी तरह तैयार है। सात दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरखपुर के खाद कारखाने का लोकार्पण करेंगे। बुधवार को खाद कारखाने की स्थापना व संचालन करने वाली कंपनी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ए.के. गुप्ता ने उद्घाटन कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा भी कर दी है। इस खाद कारखाने से केवल उत्तर प्रदेश और अन्य सीमाई राज्यों को पर्याप्त उर्वरक की उपलब्धता ही सुनिश्चित नहीं होगी बल्कि इससे खाद आपूर्ति के मामले में आयात पर निर्भरता भी कम होगी।
गोरखपुर का खाद कारखाना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का डी्रम प्रोजेक्ट है। इसके लिए बतौर सांसद वह 19 सालों तक संघर्षरत रहे। 1998 से लेकर मार्च 2017तक उनके संसदीय कार्यकाल में संसद का कोई भी ऐसा सत्र ऐसा नहीं रहा जिसमें उन्होंने इसके लिए अपनी आवाज बुलंद न की हो। योगी की पहल और उनकी पुरजोर मांग पर 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी। अब उन्हीं के हाथों सात दिसंबर को इसका उद्घाटन होने जा रहा है। सीएम योगी ने बतौर सांसद गोरखपुर में खाद कारखाना स्थापित करने के लिए केवल संघर्ष ही नहीं किया बल्कि मुख्यमंत्री बनने के बाद इसके निर्माण को तीव्र करने में योगदान दिया। यह सीएम योगी की ही देन थी कि कोरोनाकाल की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी इसके निर्माण में कोई बाधा नहीं आने पाई।
गोरखपुर के खाद कारखाने की स्थापना व संचालन की जिम्मेदारी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) ने निभाई है। एचयूआरएल एक संयुक्त उपक्रम है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कोर्पोरेशन लीड प्रमोटर्स हैं जबकि इसमें फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड भी साझीदार हैं। इस संयुक्त उपक्रम के अधीन गोरखपुर खाद कारखाने के निर्माण में करीब 8000 करोड़ रुपये की लागत आई है। कारखाना परिसर में दक्षिण कोरिया की विशेष तकनीक से 30 करोड़ की लागत से विशेष रबर भी बना है जिस पर गोलियों का भी असर नहीं होता है। एचयूआरएल के इस खाद कारखाने की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादन की है।
इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन से देश के सकल खाद आयात में भारी कमी आएगी। इसके उत्पादनशील होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार व यूपी से सटे अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी। यही नहीं आने वाले दिनों में गोरखपुर में बनी यूरिया से पड़ोसी देश नेपाल की फसलें भी लहलहाएंगी। गोरखपुर खाद कारखाने में बना प्रीलिंग टावर विश्व में सबसे ज्यादा ऊंचा है। प्रीलिंग टावर से खाद के दाने नीचे आएंगे तो इनकी क्वालिटी सबसे अच्छी होगी। नीम कोटेड यूरिया से खेतों की उर्वरा शक्ति और बढ़ेगी। एक खास बात यह भी है कि इस खाद कारखाना में 30 फीसद से ज्यादा पूर्वांचल के युवाओं को नौकरी दी गई है। इनमें लड़कियों की संख्या ज्यादा है।
1990 में बंद हो गया था पुराना खाद कारखाना
गोरखपुर में 1968 में स्थापित फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के खाद कारखाने को 1990 में हुए एक हादसे के बाद बंद कर दिया गया। एक बार यहां की मशीनें शांत हुईं तो तरक्की से जुड़ी उनकी आवाज को दोबारा सुनने की दिलचस्पी सरकारों ने नहीं दिखाई। 1998 में गोरखपुर से पहली बार सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने हर सत्र में खाद कारखाने को चलाने या इसके स्थान पर नए प्लांट के लिए आवाज बुलंद की। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने तत्समय सांसद योगी आदित्यनाथ की इस मांग पर संजीदगी दिखाई और 22 जुलाई 2016 को नए खाद कारखाने का शिलान्यास कर पूर्वी उत्तर प्रदेश को बड़ी सौगात दी।
केंद्रीय नेता देते हैं सीएम योगी को ही सारा श्रेय
सभी केंद्रीय नेता गोरखपुर के खाद कारखाने की स्थापना को सारा श्रेय योगी आदित्यनाथ को ही देते हैं। जब भी इस कारखाने की चर्चा होती है तो उन्हें भी इसके लिए योगी का संघर्ष याद आता है। चार मार्च को गोरखपुर खाद कारखाने का निरीक्षण करने आए तत्कालीन केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा था कि गोरखपुर में खाद कारखाने को स्थापित करने की पहल सांसद के रूप में योगी आदित्यनाथ ने ही की थी। उन्होंने सीएम योगी की इस बात की भी सराहना की थी कि मुख्यमंत्री बनने के बाद पहले दिन से उन्होंने खाद कारखाने से जुड़ी हर मांग स्वीकार कर कार्य को आगे बढ़ाया। एक साल से अधिक का समय वैश्विक महामारी कोरोना से प्रभावित रहने के बावजूद कार्य समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ सका, तो इसका श्रेय राज्य की योगी सरकार को है। अक्टूबर माह में वर्तमान केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने भी कारखाने की प्रगति जानने के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुक्तकंठ से सराहना की थी।
गोरखपुर खाद कारखाना : एक नजर में
शिलान्यास – 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों
संचालनकर्ता : हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड
कार्यदायी संस्था – टोयो जापान
कुल बजट – करीब 8000 करोड़ रुपये
यूरिया प्रकार – नीम कोटेड
प्रीलिंग टावर – 149.5 मीटर ऊंचा
रबर डैम का बजट- 30 करोड़
रोजगार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष – 10 हजार
रोजाना यूरिया उत्पादन – 3850 मीट्रिक टन
रोजाना लिक्विड अमोनिया उत्पादन -2200 मीट्रिक टन
एम्स और आरएमआरसी की नौ लैब का भी लोकार्पण करेंगे पीएम
हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड के गोरखपुर खाद कारखाने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात दिसंबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और बाबा राघवदास मेडिकल कालेज स्थित रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) की अत्याधुनिक हाईटेक नौ लैब का भी लोकार्पण करेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि वह खाद कारखाने का हवाई सर्वेक्षण भी कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश
महाकुम्भ में अग्नि जनित घटनाओं के खिलाफ एडब्ल्यूटी बनेगा सुरक्षा कवच
महाकुम्भनगर। उत्तर प्रदेश में महाकुम्भ-2025 को लेकर तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं। इसी क्रम में, उत्तर प्रदेश अग्निशमन व आपात सेवा विभाग एडवांस्ड फीचर्स युक्त 4 आर्टिकुलेटिंग वॉटर टावर (एडब्ल्यूटी) का भी मेला क्षेत्र को इस्तेमाल करेगी। इन आर्टिकुलेटिंग वॉटर टावर को मेला क्षेत्र में टेंट सिटी और बड़ी टेंट सेटअप के दृष्टिगत डिप्लॉय किया गया है। यह वीडियो तथा थर्मल इमेजिनिंग सिस्टम समेत कई आधुनिक फीचर्स से लैस हैं तथा इनके जरिए मेला क्षेत्र में अग्नि जनित घटनाओं की रोकथाम के साथ ही दमकलकर्मियों के जीवन रक्षण में भी मदद मिलेगी। यह जोखिम से भरे फायर ऑपरेशंस को अंजाम देने के साथ ही अग्निरक्षकों की सुरक्षा के लिए भी कवच के तौर पर कार्य कार करने में सक्षम होगा।
कई तरह की खूबियों से लैस है एडब्ल्यूटी
महाकुम्भ के नोडल/मुख्य अग्निशमन अधिकारी प्रमोद शर्मा ने बताया कि आर्टिकुलेटिंग वॉटर टावर (एडब्ल्यूटी) एक आधुनिक अग्निशमन वाहन है। मुख्यत: इसका प्रयोग बहुमंजिलीय एवं विशेष ऊँचाई के टेन्ट तथा भवन की आग बुझाने में किया जाता है। चार बूम से निर्मित ए.डब्ल्यू.टी 35मी की ऊंचाई तथा 30मी की क्षैतिज दूरी की पहुंच तक अग्निशमन कार्य को संचालित कर सकते हैं। यह कई प्रकार के आधुनिक फीचर्स से लैस है तथा वीडियो तथा थर्मल इमेजिंग कैमरे से युक्त होने के कारण इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है। यही कारण है कि यह न केवल रेस्क्यू ऑपरेशंस को अंजाम देकर जान-माल की रक्षा करने में सक्षम हैं बल्कि अग्निरक्षकों के जीवनरक्षण और उनकी सुरक्षा में कवच का कार्य भी करते हैं।
131.48 करोड़ के वाहन व उपकरणों को किया जा रहा डिप्लॉय
डिप्टी डायरेक्टर अमन शर्मा ने बताया कि महाकुम्भ को अग्नि दुर्घटना रहित क्षेत्र बनाने के लिए विभाग को 66.75 करोड़ का बजट आवंटित हुआ है, जबकि विभागीय बजट 64.73 करोड़ है। इस प्रकार, कुल 131.48 करोड़ रुपए की लागत से वाहन व उपकरणों को महाकुम्भ मेला में अग्नि जनित दुर्घटनाओं से सुरक्षा के लिए डिप्लॉय किया जा रहा है। इनको पूरी तरह से मेला क्षेत्र में डिप्लॉय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि सीएम योगी के विजन अनुसार, इस बार महाकुम्भ में अलग-अलग प्रकार के 351 से अधिक अग्निशमन वाहन, 2000 से अधिक ट्रेन्ड मैनपावर, 50 से अधिक अग्निशमन केंद्र व 20 फायर पोस्ट बनाए जा रहे हैं। प्रत्येक अखाड़ों के टेंट्स को फायर फाइटिंग इक्विप्मेंट्स से भी लैस किया जा रहा है।
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