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प्रादेशिक

‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में प्रदेश चौदहवें स्थान से आगे बढ़कर वर्तमान में दूसरे स्थान पर आयाः सीएम योगी

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने प्रदेश में ईमानदार, निष्पक्ष और पारदर्शी कार्य संस्कृति स्थापित की है। इसके परिणामस्वरूप प्रदेश तेजी से प्रगति कर आगे आया है। राज्य में स्वच्छ, शुचितापूर्ण, पारदर्शी एवं निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से विगत साढ़े चार वर्षों में साढ़े चार लाख नौजवानों की नियुक्तियां रिक्त पदों के सापेक्ष सम्पन्न करायी गयी हैं। उन्होंने कहा कि पारदर्शी एवं निष्पक्ष तरीके से चयनित युवा प्रदेश के विकास में भरपूर योगदान कर रहे हैं। साढ़े चार वर्ष पूर्व प्रदेश की अर्थव्यवस्था देश मेें छठे स्थान पर थी, जो वर्तमान में देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है।

मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन में कृषि विभाग के नव चयनित प्राविधिक सहायकों (ग्रुप-सी) को नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने 06 नव चयनित प्राविधिक सहायकों (ग्रुप-सी) को अपने कर कमलों से नियुक्ति पत्र प्रदान किया। उन्होंने कहा कि आज यहां इस कार्यक्रम में नव चयनित प्राविधिक सहायकों (ग्रुप-सी) को नियुक्ति पत्र प्रदान करने के साथ ही सभी जनपदों में भी नवचयनित प्राविधिक सहायकों (ग्रुप-सी) को नियुक्ति पत्र प्रदान किये जा रहे हैं। कृषि विभाग में कुल 1863 प्राविधिक सहायकों (ग्रुप-सी) का चयन किया गया है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में चार वर्ष पूर्व के प्रदेश चौदहवें स्थान से आगे बढ़कर राज्य वर्तमान में दूसरे स्थान पर आ गया है। बेहतर ‘ईज ऑफ लिविंग’ के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा लागू की गयी योजनाओं मंे से 44 में प्रदेश वर्तमान में देश में प्रथम स्थान पर है। उन्होंने कहा कि प्रतिभा व परिश्रम के बेहतर प्रयोग से उत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं, जिससे सभी लाभान्वित होते हैं। पिछले साढ़े चार वर्षों के सामूहिक एवं समन्वित प्रयास का प्रतिफल अब सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जिस प्रकार कृषि प्राविधिक सहायकों का चयन ईमानदारी, निष्पक्षता एवं पारदर्शिता से सम्पन्न कराया है, उसी प्रकार नव चयनित प्राविधिक सहायक पूरी ईमानदारी एवं परिश्रम से अपने ज्ञान एवं प्रतिभा का लाभ किसानों को उपलब्ध करायें।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सभी प्रकार के संसाधनों से भरपूर है। यहां देश की सर्वाधिक आबादी, उर्वरा भूमि, पर्याप्त जल संसाधन हैं। तकनीक का व्यापक प्रयोग करते हुए इन संसाधनों का बेहतर उपयोग करके प्रदेश पूरी दुनिया के लिये पर्याप्त खाद्यान्न पैदा कर सकता है। वर्तमान राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार के सहयोग से प्रदेश में 20 कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित किये हैं। वर्तमान में राज्य में 04 कृषि विश्वविद्यालय तथा 88 कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों की तकनीकी सहायता के लिए उपलब्ध हैं। इन संस्थानों में हुए शोध का व्यापक प्रचार-प्रसार कर किसानों को तकनीकी रूप से पर्याप्त सक्षम बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आप सभी प्राविधिक सहायकों के पास कृषि की व्यावहारिक तथा सैद्धान्तिक जानकारी है। कृषि विज्ञान केन्द्रों तथा कृषि विश्वविद्यालयों से ताल-मेल कर आप किसानों से जुड़ेंगे तो कृषि उत्पादन एवं किसानों की आय बढ़ेगी। कृषि को पशुपालन तथा औद्यानिक फसलों से जोड़ने से भी किसानों की आय में तेजी से वृद्धि होगी।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश खाद्यान्न, फल, दुग्ध, मत्स्य उत्पादन सहित विभिन्न क्षेत्रों में देश में प्रथम स्थान पर है। प्रदेश सरकार ने वर्षांे से लम्बित कृषि सिंचाई परियोजनाओं को तेजी से पूर्ण कराया है। वर्ष 1973 में प्रारम्भ हुई बाण सागर सिंचाई परियोजना को वर्तमान सरकार ने पूर्ण कराकर वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री जी से लोकार्पित कराया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के 09 जनपदांे को जोड़ने वाली सरयू नहर परियोजना को 15 नवम्बर, 2021 को पूर्ण करा लिया जाएगा। अर्जुन सहायक सहित एक दर्जन से अधिक सिंचाई परियोजनाओं को तेजी से पूर्ण कराया जा रहा है। इससे वर्तमान सरकार द्वारा अपना 05 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने तक 25 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित होगी।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के किसानों को समय पर बीज, सिंचाई हेतु पानी, समय पर उर्वरक तथा उत्पादों के विपणन के लिए मार्केट उपलब्ध करा दिया जाए तो शीघ्र ही उनकी आय दोगुनी हो जाएगी। पूर्व में प्रदेश में कृषि उत्पादों के प्रोक्योरमेन्ट की उचित व्यवस्था नहीं थी। वर्तमान सरकार ने विभिन्न राज्यों में कृषि उत्पादों के प्रोक्योरमेन्ट की व्यवस्था का अध्ययन कर प्रदेश मंे किसानों से उनके उत्पादों के प्रोक्योरमेन्ट की प्रभावी एवं उन्नत व्यवस्था बनायी। प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना काल में भी सभी चीनी मिलों को संचालित कराया गया। किसानों को 01 लाख 45 हजार करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान कराया गया है। प्रदेश सरकार के शुगर केन से एथनॉल बनाने के प्रस्ताव पर भारत सरकार ने सहमति दी है। इससे गन्ना किसानों की आय में वृद्धि होगी।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि मुख्यमंत्री जी प्रदेश के चतुर्दिक विकास के लिए अनवरत कार्य कर रहे हैं। कृषि और किसान प्रारम्भ से ही वर्तमान प्रदेश सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता में सम्मिलित रहे हैं। राज्य सरकार के प्रयासों तथा किसानों के परिश्रम से प्रदेश को कृषि के क्षेत्र में देश के कई प्रमुख पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। वर्तमान प्रदेश सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही वर्ष 2018-19 से राज्य खाद्यान्न उत्पादन में देश में अग्रणी है। किसानों से उनकी कृषि उपजों के क्रय में भी प्रदेश ने रिकॉर्ड स्थापित किये हैं। जहां पहले दो फसलों की खरीद होती थी, वर्तमान सरकार द्वारा 07-07 फसलों की खरीद की गयी।

अपर मुख्य सचिव कृषि श्री देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा चयनित प्राविधिक सहायकों को मुख्यमंत्री जी द्वारा नियुक्ति पत्र प्रदान किया जा रहा है। यह प्रदेश सरकार की निष्पक्ष एवं पारदर्शी चयन प्रक्रिया तथा राज्य सरकार द्वारा कृषि को दिए जा रहे महत्व को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा कुल 1863 प्राविधिक सहायकों (ग्रुप-सी) का चयन किया गया है। इसमंे से 375 महिलाएं तथा 62 दिव्यांग हैं। चयनित कृषि सहायकों की पदास्थापना एन0आई0सी0 के माध्यम से काउंसिलिंग द्वारा सभी जनपदों में समानुपातिक ढंग से की गयी है। आकांक्षी जनपदों में अधिक नियुक्तियां की गयी हैं। उन्होंने कहा कि प्राविधिक सहायकों के अवशेष रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया प्रचलित है। आगामी तीन-चार महीनों में अवशेष रिक्त पद भी भर लिए जाएंगे।

कार्यक्रम के अन्त में कृषि राज्यमंत्री श्री लाखन सिंह राजपूत ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कृषि विभाग को प्राप्त मानव संसाधन से विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं को गति मिलेगी। इससे किसानों को लाभ प्राप्त होगा। कार्यक्रम में 05 नव चयनित प्राविधिक सहायकों (ग्रुप-सी) ने भी अपने विचार व्यक्त किये। नव चयनित प्राविधिक सहायकों ने प्रदेश सरकार द्वारा निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से चयन की कार्यवाही के लिये मुख्यमंत्री जी के प्रति आभार जताते हुए कहा कि वह सभी अपने ज्ञान और अध्ययन का पूरा उपयोग करते हुए किसानों को आधुनिकतम कृषि तकनीकों को परिचित कराएंगे, जिससे कृषि उत्पादकता एवं किसानों की आय में वृद्धि हो। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल, निदेशक सूचना श्री शिशिर, कृषि निदेशक श्री विवेक कुमार सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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