प्रादेशिक
सपा, बसपा और कांग्रेस ने महाराज सुहैलदेव को सम्मान नहीं दिया: सीएम योगी
लखनऊ। बहराइच में महाराज सुहैलदेव के नाम पर कोई संस्थान होना एक सपना था। लेकिन मोदी जी ने इसे हकीकत में बदल दिया। महाराज सुहैलदेव और महर्षि बालार्क के नाम पर मेडिकल कालेज का शिलान्यास किया जा चुका है। महाराज सुहैलदेव का भव्य स्मारक बनाया जा रहा है। सपा, बसपा और कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आक्रांता सालार मसूद को मार गिराने वाले महाराजा सुहैलदेव को कभी सम्मान नहीं दिया। मुख्यमंत्री बहराइच में 35.38 करोड़ की 98 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास करने पहुंचे थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले पांच वर्ष के दौरान भाजपा की सरकार ने जो कार्य किए हैं उस पर आपका विश्वास पाने के लिए यह यात्रा आई है। उन्होंने बताया कि आज ही अयोध्या में 75 जनपदों के लिए हेल्थ वेलनेस सेंटर 500 और 250 आयुष केन्द्र का उद्घाटन किया गया है। यह चिकित्सा की दुनिया में मील का पत्थर साबित होंगे।
उन्होंने कहा कि आजाद भारत को अखंडता और एकता की सूत्र में बांधने का काम सरदार बल्लभ पटेल ने किया था। लेकिन सपा ने सरदार पटेल का अपमान किया है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने देश तोड़क जिन्ना को देश के लिए समर्पित सरदार बल्लभ भाई पटेल के बराबर खड़ा करने की कोशिश की। जबकि भाजपा की भारत सरकार ने उनकी जन्मभूमि पर दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति की स्थापना करती है। थी। यह देशतोड़क कहीं किसानों का शोषण करते हैं, नवजवानों को दिग्भर्मित करने का काम करते हैं रामभक्तों पर गोली चलाते हैं, विकास की योजनाओं पर डकैती डालने का काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि महाराज सुहेलदेव के नाम पर मेडिकल कालेज का उद्घाटन बहराइच में किया जा चुका है। बहराइच में महाराज सुहैलदेव के नाम पर कोई संस्थान होना एक सपना था। लेकिन मोदी जी ने इसे हकीकत में बदल दिया। महर्षि बालार्क के नाम पर अस्पताल का नाम भी रखा गया। विदेशी आक्रांता सालार मसूद को अगर मार गिराने का काम किया था उनको सम्मान देने का काम भाजपा की सरकार ने किया है। उन्होंने जनता से सीधे संवाद बनाते हुए कहा कि क्या सपा ने महाराज सुहैलदेव को सम्मान दिया। तो क्या महाराज सुहैलदेव के अनुयायी सालार मसूद के अनुयायी से हाथ मिलाएंगे। उन्होंने कहा कि महाराज सुहैलदेव के अनुयायी कभी किसी के आगे नहीं झुक सकते।
उन्होंने कहा कि जब फ्री में वैक्सीन, फ्री में टेस्ट, फ्री अनाज, पांच लाख रुपये तक उपचार के लिए आयुष्मान कार्ड मिलता है तो रामराज्य की परिकल्पना पूर्ण होती है। बुआ-बबुआ और भाई बहन की जोड़ी अगर सत्ता में होती तो विदेश में मौजमस्ती कर रही होती और प्रदेश की जनता भूखों मर रही होती, कोरोना में जनता अपनी जान दे देती। लेकिन भाजपा सेवा ही संगठन के लक्ष्य पर काम करती है। पचास वर्ष पुरानी सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना को पूरा करने का काम केन्द्र और प्रदेश सरकार ने मिलकर किया। उन्होंने कहा कि जब सोच ईमानदार होती है काम दमदार होता है।
सड़क, पानी, बिजली, मकान, आयुष्मान का कार्ड जैसी योजनाएं तभी मिलती है। इसके साथ अगर गरीब किसान की जमीन पर कोई कब्जा करता है तो सरकार का बुलडोजर भी चलता है। यही विपक्षी नेताओं को कषट् है। जब कोई गरीब भटकता था, महिला बेटियों के सामने जब सुरक्षा का संकट खड़ा होता था, तब इन्हें कोई पीड़ा नहीं होती थी, लेकिन जब अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण होता है, जब महाराज सुहैलदेव का भव्य स्मारक बनता है, जब बहराइच, गोंडा, में मेडिकल कालेज बनते हैं तब इनको पीड़ा होती है।
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन
महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।
महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।
महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान
महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।
प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम
दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।
महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार
महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।
-
नेशनल2 days ago
अवध ओझा ने केजरीवाल को बताया भगवान कृष्ण का अवतार, कहा- समाज के कंस उनके पीछे पड़े हुए हैं
-
नेशनल2 days ago
कैसे एक कांस्टेबल बना करोड़पति, जानें इस काले धन के पीछे का सच
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
अटल जी का जीवन और विचारधारा पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत है: राजनाथ सिंह
-
नेशनल3 days ago
संसद में धक्का-मुक्की के दौरान घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसद हुए अस्पताल से डिस्चार्ज
-
अन्तर्राष्ट्रीय3 days ago
देश छोड़कर भागने वाले असद की मुश्किलें बढ़ी, पत्नी अस्मा अल-असद ने अदालत में तलाक के लिए दी अर्जी
-
मनोरंजन2 days ago
कुमार विश्वास ने कवि सम्मेलन के दौरान दिया विवादित बयान, अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के परिवार पर किया कटाक्ष
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
बस्ती में नाबालिग से बर्बरता, नग्न कर पीटा, पेशाब पिलाते हुए बनाया वीडियो, आहत होकर कर ली आत्महत्या
-
प्रादेशिक2 days ago
बिहार में पुरुष शिक्षक हुआ गर्भवती, मैटरनिटी लीव भी मिला, जानें पूरा मामला