प्रादेशिक
‘दो गज दूरी, मास्क है जरूरी’ मंत्र के साथ कोविड प्रोटोकॉल का पूर्णता से पालन करेंः सीएम योगी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज लखनऊ स्थित डॉ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के मातृ एवं शिशु रेफरल चिकित्सालय में स्थापित कोविड केयर फैसिलिटी सेण्टर एवं ऑक्सीजन प्लाण्ट का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने अस्पताल के चिकित्सकों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों से अस्पताल की सुविधाओं के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की।
इस अवसर पर मीडिया प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सतर्कता व सावधानी की दृष्टि से कोविड नियंत्रण की तैयारियों का जायजा लेने के लिए वे यहां आये हैं। विशेषज्ञों द्वारा थर्ड वेब की बात कही जा रही है, इसके सेकेण्ड वेव की तुलना में कम खतरनाक होने की सम्भावना है। मुख्यमंत्री जी ने अपील की कि कोरोना के नाम पर भय व दहशत पैदा करने वाली अफवाहों पर ध्यान न दें। सतर्क एवं सावधान रहें।
‘दो गज दूरी, मास्क है जरूरी’ मंत्र के साथ कोविड प्रोटोकॉल का पूर्णता से पालन करें। उन्होंने कहा कि इस कोविड केयर फैसिलिटी सेण्टर में सतर्कता की दृष्टि से एल0एम0ओ0 प्लाण्ट स्थापित किया गया है, जो सुचारु ढंग से संचालित है। यहां 200 बेड का डेडिकेटेड कोविड अस्पताल स्थापित है। प्रत्येक बेड पर लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई है। साथ ही, 600 ऑक्सीजन सिलेण्डर स्टैण्डबाई के रूप में यहां पर उपलब्ध हैं। वर्तमान में एक भी मरीज यहां पर भर्ती नहीं है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में लखनऊ में जितने भी कोविड संक्रमित मरीज पाये गये हैं, वह होम आइसोलेशन में हैं। उनकी स्थिति माइल्ड है। कोरोना के प्रति सतर्कता और सावधानी की दृष्टि से पूरे प्रदेश में जागरूकता कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। पब्लिक एड्रेस सिस्टम द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
प्रदेश में आर0टी0पी0सी0आर0 तथा रैपिड एण्टीजन टेस्ट के माध्यम से प्रतिदिन औसतन 02 लाख कोविड टेस्ट किये जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में अब तक देश में कोविड के सर्वाधिक 09 करोड़ 29 लाख से अधिक टेस्ट हुए हैं। प्रदेश में कोविड पॉजिटिविटी की दर 0.5 से कम है। राज्य में वैक्सीनेशन के अभियान को तीव्रता से आगे बढ़ाया जा रहा है। प्रदेश में 20 करोड़ से अधिक वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं, जो देश में सर्वाधिक है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाहर से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को ट्रेस करके उनका टेस्ट कराया जा रहा है। प्रदेश में नाइट कर्फ्यू रात 11 बजे से प्रातः 05 बजे तक लागू है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में कोविड प्रबन्धन की कार्यवाही को आगे बढ़ाया जा रहा है। प्रदेश में सभी हेल्थ वर्कर्स, कोरोना वॉरियर्स तथा निगरानी समितियां एक्टिव हो चुकी हैं। प्रत्येक निगरानी समिति को मेडिकल किट उपलब्ध करायी जा चुकी है। निगरानी समितियां डोर टू डोर सर्वे करके संक्रमण की दृष्टि से संदिग्ध व्यक्ति का आर0आर0टी0 टीम द्वारा टेस्ट करा रही हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में कोविड के संक्रमण से युक्त व्यक्ति का टेस्ट कराकर लक्षण के अनुरूप होम आइसोलेशन या हॉस्पिटल में भर्ती किया जाएगा। इसकी पूरी तैयारी प्रदेश सरकार द्वारा की जा चुकी है। वे लोग जिन्होंने वैक्सीनेशन की पहली डोज ले ली है, वह दूसरी डोज अवश्य ले लें। जिन्होंने वैक्सीनेशन नहीं कराया है, वह अवश्य वैक्सीनेशन करवा लें। प्रधानमंत्री जी ने सबके लिए निःशुल्क वैक्सीन की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा तय किये गये कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जाए तो कोरोना पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने प्रधानमंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने 15 से 18 वर्ष आयु के किशोरों के लिए मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध करवाने की कार्यवाही को आगे बढ़ाया है। साथ ही, कोरोना वॉरियर्स के लिए प्रिकॉशन डोज की व्यवस्था भी की है। इन सभी को वैक्सीन की यह खुराक उपलब्ध करवाने की कार्यवाही युद्धस्तर पर चल रही है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री आलोक कुमार, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, सचिव मुख्यमंत्री श्री आलोक कुमार, जिलाधिकारी लखनऊ श्री अभिषेक प्रकाश सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन
महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।
महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।
महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान
महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।
प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम
दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।
महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार
महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।
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