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उत्तर प्रदेश

सीएम योगी रविवार को महाकुंभ-25 का लोगो, वेबसाइट और ऐप करेंगे लॉन्च

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लखनऊ/प्रयागराज| मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को प्रयागराज में महाकुंभ-25 के प्रतीक चिन्ह (लोगो) का अनावरण करने के साथ वेबसाइट और ऐप की लाॅन्चिंग करेंगे। सीएम याेगी ने महाकुंभ को दिव्य, भव्य और नव्य तरीके से आयोजित कराने के लिए खुद कमान संभाल ली है। ऐसे में वह रविवार को महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेने प्रयागराज पहुंचेंगे। इस दौरान अधिकारियों से कार्यों की प्रगति रिपोर्ट के साथ अन्य बिंदुओं की गहन चर्चा करेंगे। इसके साथ ही कई महत्वपूर्ण जगहों का स्थलीय निरीक्षण भी करेंगे। वहीं जन प्रतिनिधियों और साधु संतों के साथ मुलाकात करेंगे।

सीएम योगी साधु संतों से करेंगे मुलाकात

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को प्रयागराज के परेड ग्राउंड पहुंचेंगे। इसके बाद वह महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेंगे। इस दौरान सीएम योगी महाकुंभ से जुड़े कई महत्वपूर्ण स्थानों का निरीक्षण करेंगे और कार्यों की प्रगति रिपोर्ट देखेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ महाकुंभ की तैयारियों को लेकर एक समीक्षा बैठक भी करेंगे। इसमें वह अधिकारियों से कार्यों की बिंदुवार चर्चा करेंगे। साथ ही दिशा-निर्देश देंगे। इसके बाद सीएम योगी महाकुंभ -25 के प्रतीक चिन्ह (लोगो) का अनावरण करेंगे। साथ ही महाकुंभ-25 की वेबसाइट (http://kumbh.gov.in)और ऐप (Mahakumbhmela2025)की लाॅन्चिंग करेंगे। इसके अलावा वह यहां पर जनप्रतिनिधियों प्रशासनिक अधिकारियों और साधु संतों के साथ मुलाकात भी करेंगे।

यह हैं वेबसाइट और ऐप की विशेषताएं

महाकुंभ-25 के लोगो का उपयोग महाकुंभ की वेबसाइट और ऐप के साथ अन्य प्रचार माध्यमों में किया जाएगा। यह श्रद्धालुओं और पर्यटकों के वायु, रेल एवं सड़क मार्ग से महाकुंभ पहुंचने में मार्ग दर्शक का कार्य करेगा। इसी के माध्यम से प्रयागराज में आवास, स्थानीय परिवहन, पार्किंग, घाटों तक पहुंचने के दिशा-निर्देश आदि की जानकारी मिल सकेगी। इसमें स्थानीय और आसपास के आकर्षणों और पर्यटन स्थलों का मार्ग दर्शन भी होगा। मेला स्थल में नेविगेट करने और धार्मिक गतिविधियों में प्रतिभागिता के संदर्भ में विस्तृत जानकारी होगी। श्रद्धालुओं को यादगार बनाने के लिए स्मृति चिन्ह और धार्मिक वस्तुएं उपलब्ध कराने की सुविधा, आपातकालीन स्थितियों के लिए एसओएस सुविधा, जिससे श्रद्धालु तुरंत सहायता प्राप्त कर सकें। श्रद्धालुओं को घाटों, आवास और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों तक आसानी से पहुंचने के लिए गूगल नेविगेशन, श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य और सुरक्षा के महत्वपूर्ण अलर्ट की जानकारी की उपलब्धता, मेला के सभी कार्यक्रमों और अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों की समय सारिणी भी इसमें होगी।

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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