प्रादेशिक
सीएम योगी का निर्देश, अयोध्या को विश्व स्तरीय पर्यटन नगरी बनाने के लिए पूरी क्षमता से काम करें अधिकारी
अयोध्या। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को आयुक्त सभागार में अयोध्या विजन के विकास कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि जो अयोध्या के राम पथ में प्रथम फेज (नयाघाट से उदया चौराहा) के कार्य चल रहे हैं, इसे गुणवत्ता के साथ फुटपाथ एवं स्ट्रीट लाइट सहित अन्य सजावटी कार्यों को दीपोत्सव के पूर्व पूरा करें, जिससे दीपोत्सव के दौरान आने वाले श्रद्वालुओं को कोई समस्या न हो। उन्होंने निर्देश दिया कि सड़क पर गंदगी न रहे, इसके लिए निरन्तर साफ सफाई हो तथा सार्वजनिक शौचालय आवश्यकतानुसार पर्याप्त मात्रा में बनाये जायें। अयोध्या क्षेत्र में स्ट्रीट वेन्डरों के लिए अलग से व्यवस्था की जाय एवं विस्थापितों का शत प्रतिशत पुर्नवास किया जाय। उन्होंने कहा कि जन्मभूमि पथ, भक्ति पथ आदि मार्गों पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण न होने दिया जाय तथा इन पर स्थित मंदिरों में श्रद्वालुओं के आने जाने के लिए बेहतर व्यवस्था की जाय। धर्म पथ के भी चौड़ीकरण का कार्य जल्द से जल्द पूर्ण किया जाय। राम पथ, भक्ति पथ, जन्मभूमि पथ पर किये जा रहे फसाड सौन्दर्यीकरण के कार्यों को भी शीघ्र पूरा किया जाय। एयरपोर्ट एवं अयोध्या से जोड़ने वाले राष्ट्रीय पर राजमार्ग पर सजावट युक्त कार्य करें।
ग्रीनफील्ड आवासीय योजना में तेजी लाने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने ग्रीनफील्ड आवासीय योजना की समीक्षा करते हुये कहा कि इसकी प्रगति बहुत धीमी है। इसे तीव्रगति से किया जाय तथा यह मान कर चला जाय कि भारत के राज्यों के अलावा विदेशों के भी गेस्ट हाउस बनेंगे तथा भारत में लगभग एक हजार से अधिक पंथ सम्प्रदाय है उनके भी मठ-मंदिर बन सकते हैं। इसके लिए इसका और विस्तार करते हुये पोर्टल पर डाला जाय, जिससे सभी को जानकारी प्राप्त हो सके। अयोध्या का मास्टर प्लान 2031 बन रहा है, अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत एवं विश्व फलक के महत्व को देखते हुये इस मास्टर प्लान के विस्तार के लिए शासन को प्रपोजल दिया जाय, जिस पर शासन जल्द निर्णय ले।
15 वार्डों में कम्युनिटी/कन्वेंशन सेंटर बनाने पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि नगर के अंदर के मार्गों/गलियों का निर्माण नगर निगम और अयोध्या विकास प्राधिकरण इस प्रकार आगणन तैयार कर प्लानिंग के साथ कार्य करें कि जिन गलियों का लेबल सड़क से नीचा हो गया है, उनमें जलभराव की समस्या न उत्पन्न हो पायें तथा अयोध्या नगर निगम में कुल 60 वार्ड है जिसमें से 15 वार्ड अयोध्या के धार्मिक क्षेत्र में है इन सभी वार्डो में कम्युनिटी/कन्वेंशन सेन्टर बनाया जाय तथा अयोध्या के कैंट क्षेत्र के शेष 45 वार्डो के प्रत्येक दो-दो वार्ड को मिलाकर एक कन्वेंशन सेन्टर बनाया जाय जिससे कि सड़क पर कोई कार्यक्रम न हो। अयोध्या के जिन 33 पार्क का कायाकल्प योजना के तहत नगर निगम द्वारा जीर्णोद्धार किया गया है, इन सभी पार्कों में दो-तीन पार्को का समूह बनाकर प्राइवेट संस्थाओं के माध्यम से बेहतर ढंग से संचालित करायें।
ई-रिक्शा व ई टैक्सी का रूट निर्धारित करने का निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ई-रिक्शा और ई-टैक्सी का रूट निर्धारित किया जाय तथा यह भी सुनिश्चित किया जाय कि नाबालिग एवं अत्यंत वृद्ध चालकों के रूप में कार्य न करें। इसके चार्जिंग प्वाइंट पेट्रोल पम्प के आसपास बनाये जाय। स्मार्ट सिटी योजना के तहत स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स सहित अन्य श्रद्वालुओं की सुविधाओं हेतु व्यवस्थाएं विकसित की जाय। उन्होंने तुलसी स्मारक भवन की धीमी प्रगति पर असंतोष व्यक्त करते हुये कहा कि संस्कृति विभाग के अधिकारी जल्द से जल्द अवशेष धनराशि का भुगतान करें तथा तुलसी जी की रचनाओं एवं उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चरणबद्व रूप से प्रकाश डालते हुये आवश्यक तैयारियां की जाय और मानस पर अच्छे कार्य करने वाले लोगों को प्रोत्साहित किया जाय। मुक्ति पथ/बैकुण्ठ धाम का भी बेहतर ढंग से निर्माण किया जाय, जिससे शहर की पवित्रता में वृद्धि हों और लोगों को आम सुविधा का विस्तार हों।
समय से कार्यों को पूरा करने का निर्देश
रामपथ जो सहादतगंज से नयाघाट तक निर्माणाधीन है, की कुल स्वीकृति लागत 797.69 करोड़ है। उक्त परियोजनाओं का 75 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है तथा कार्य को पूर्ण करने की अंतिम तिथि 31 दिसम्बर 2023 निर्धारित की गयी है। श्री राम जन्मभूमि पथ जिसकी कुल लम्बाई 0.566 किमी0 है जो सुग्रीव किला से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर तक जायेगी। जिसकी कुल लागत 39.43 करोड़ रुपये है जिसका 98 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। विभागवार समीक्षा में सम्बंधित विभाग के अधिकारियों ने अपने अपने विभाग से सम्बंधित कार्यों की जानकारी दी। सीएम योगी ने कहा कि अयोध्या विजन के तहत चल रही परियोजनाओं का कार्य यथाशीघ्र पूरा किया जाय। परियोजनाओं में लोक निर्माण विभाग, रेलवे, ऊर्जा, परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा, नगर विकास, पर्यटन, सिंचाई, सेतु निगम आदि विभागों की प्रमुख योजनाएं हैं। अयोध्या विजन 2047 की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने ड्रीम प्रोजेक्ट रामपथ परियोजना, जिसकी लंबाई सहादतगंज से नया घाट तक की 12.94 किलोमीटर है। इसी प्रकार भक्ति पथ .74 किलोमीटर जो श्रीराम जन्मभूमि पथ से हनुमानगढ़ी होते हुए रामपथ तक के मार्ग का चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण का कार्य जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिये। दर्शन नगर भरतकुंड मार्ग के चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण का कार्य जिसकी लंबाई 16.50 किलोमीटर और 2 लाइन मार्ग चौड़ीकरण का शत-प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। अयोध्या में ही एनएच 27 बाईपास से निकलकर मोहबरा बाजार होते हुए टेढ़ी बाजार श्री राम जन्मभूमि तक फोरलेन का जल्द से जल्द पूर्ण करने के निर्देश दिये। अयोध्या सुल्तानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 330 से पुरुषोत्तम भगवान श्री राम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट तक फोरलेन का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है।
सीएम योगी ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण में रनवे का 100 प्रतिशत तथा भवन निर्माण के कार्य को तेजी से करने के निर्देश दिये गये। उल्लेखनीय है कि 30153.19 करोड़ से अयोध्या विजन की 174 क्रियात्मक परियोजनायें हैं। इसमें 37 कार्यकारी विभाग हैं, जिसमें प्राथमिकता की 98 परियोजनाएं हैं। आयुक्त सभागार में विजन का प्रस्तुतीकरण अपर मुख्य सचिव आवास/नोडल अधिकारी ने शासन की तरफ से तथा मण्डलायुक्त गौरव दयाल ने विकास कार्यों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। बैठक में जनपद के प्रभारी मंत्री सूर्यप्रताप शाही, सांसद लल्लू सिंह, मेयर गिरीश पति त्रिपाठी, विधायक रामचन्द्र यादव, वेदप्रकाश गुप्ता, डा0 अमित सिंह चैहान, एमएलसी हरिओम पांडेय सहित आदि उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने विभिन्न विकास कार्यों का निरीक्षण भी किया।
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन
महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।
महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।
महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान
महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।
प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम
दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।
महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार
महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।
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