उत्तर प्रदेश
आंबेडकर विरोधी है कांग्रेस की फितरत: सीएम योगी आदित्यनाथ
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान कांग्रेस और अन्य पार्टियों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की फितरत हमेशा आंबेडकर विरोधी रही है। ये समाज काे विभाजित करने के लिए राजनीति करना चाहते हैं। सीएम ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास दलितों को वंचित रखना रहा है। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू नहीं चाहते थे कि बाबा साहेब संविधान समिति का हिस्सा बनें। यूपीए सरकार में बाबा साहेब के चित्र को नेहरू द्वारा कोड़े मारते दिखाया गया था। इसके लिए तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल को माफ़ी मांगनी पड़ी थी।
नेहरू को मुसलमानों की चिंता थी, दलित और वंचित की नहीं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने बाबा साहेब को चुनाव हराया था। कांग्रेस नहीं चाहती थी कि बाबा साहेब लोकसभा में जाएं। कांग्रेस ने कभी भी बाबा साहेब के परिनिर्वाण के बाद स्मारक नहीं बनने दिया। बाबा साहेब ने इस्तीफा देते समय कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि कांग्रेस और नेहरू को वंचितों-दलितों की नहीं, मुसलमान की चिंता है। वंचितों और दलितों के लिए आंदोलन को आगे बढ़ाने वाले बाबा साहेब को लोकसभा की किसी समिति का सदस्य नहीं बनाया गया। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के आंदोलन, संविधान निर्माण और स्वतंत्र भारत में बाबा साहेब डॉॅ. भीमराव आंबेडकर का बड़ा योगदान था। वह भारत माता के महान सपूत थे। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में तमाम प्रकार के सामाजिक बंधनों का सामना करते हुए उच्च शिक्षा अर्जित की। उन्होंने अर्थव्यवस्था और कानून के क्षेत्र में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ डिग्री अर्जित की। उन्होंने भारत को अपने उस ज्ञान से आलोकित करने में अपनी पूरी ताकत लगाई।
कांग्रेस जैसा ही इतिहास समाजवादी पार्टी का भी: सीएम
सीएम ने कहा कि यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि देश के संसाधन पर पहला अधिकार मुसलमान का है। सीएम ने पूछा कि क्या वंचित-दलित का नहीं है? कांग्रेस जैसा इतिहास ही समाजवादी पार्टी का है। कन्नौज में बाबा साहब आंबेडकर के नाम पर बने कॉलेज से उनका नाम हटा दिया गया। सहारनपुर मेडिकल कॉलेज से नाम हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह के आधे-अधूरे बयान को पेश कर राजनीति की जा रही है। कांग्रेस और सपा ने गफलत पैदा करने का प्रयास किया है। सपा सरकार के समय सुपर सीएम ने बाबा साहेब पर क्या कहा था, यह किसी से छिपा नहीं है। राहुल गांधी बताएं कि क्या संसद में बीजेपी सांसद पर हमला संवैधानिक माना जाएगा। कांग्रेस और सपा को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। इनके कृत्य सफल नहीं होंगे। जनता उन्हे बार-बार ख़ारिज कर चुकी है, आगे भी खारिज करेगी। हम सब जानते हैं कि देश की आजादी के आंदोलन और संविधान निर्माण ने बाबा साहेब का बड़ा योगदान था। सीएम ने कहा कि भारत के संविधान शिल्पी के रूप में भारत वासी बाबा साहेब का सम्मान करते हैं। बाबा साहेब के सपनों का भारत बनाने के लिए बीजेपी ने ईमानदारी से काम किया है।
बीजेपी ने बाबा साहेब से जुड़े स्थलों को बनाया पंच तीर्थ, दलित और वंचितों को सरकार की योजना का हिस्सा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रद्धेय अटल जी की सरकार हो या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलने वाली बीजेपी सरकार, सभी ने बाबा साहेब को सम्मान देकर उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव रखा। बाबा साहेब से जुड़े स्थलों को पंच तीर्थ बनाया। उनकी स्मृति को सदैव के लिए जीवंत बनाया है। सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलने वाली एनडीए सरकार में दलित और वंचित सरकार की योजना का हिस्सा बना है। डबल इंजन सरकार की शौचालय, पीएम आवास, नि:शुल्क राशन, आयुष्मान योजना सहित अन्य सभी योजनाओं से दलित वर्ग को लाभ मिल रहा है। हमारी सरकार बाबा साहेब से प्रेरणा लेकर उनके मूल्य व आदर्श से समर्पित होकर काम कर रही है। वहीं कांग्रेस का इतिहास-दलित और वंचित को उनके अधिकार से वंचित करने का रहा है।
दलितों और वंचितों का अपमान करना ही कांग्रेस का रहा है इतिहास
सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य वंचित तबके को शासन की सभी प्रकार की सुविधाओं से आच्छादित किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी बाबा साहेब के मूल्यों के प्रति समर्पित होकर कार्य कर रही है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस, जिसका इतिहास देश के अंदर भारत के दलितों और वंचितों का अपमान करना है। इनका इतिहास तुष्टिकरण के आधार पर दलितों और वंचितों को उनके अधिकारों से पूरी तरह राेकने के कुत्सित चेष्टा का हिस्सा रहा है। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के आधार पर देश को विभाजन के कतार पर पहुंचने का कार्य भी किया है।
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन
महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।
महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।
महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान
महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।
प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम
दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।
महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार
महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।
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