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प्रादेशिक

महाराष्ट्र में फिर बढ़ने लगे कोरोना के मामले, उद्धव सरकार ने उठाया ये सख्त कदम

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मुंबई। महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हालात बेकाबू होने से रोकने के लिए उद्धव ठाकरे सरकार ने कई कड़े फैसले लिए हैं। ताजा स्थिति को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने वर्धा जिले के स्कूल-कॉलेजों को बंद करने के आदेश दिए गए हैं।

बीते 24 घंटे में महाराष्ट्र में कोरोना के 5427 नए मामले दर्ज करने के बाद ये सख्त कदम उठाए गए हैं। बता दें कि गुरूवार को महाराष्ट्र में इस साल के सबसे ज्यादा मामले आए। जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र के 8 जिलों में कोरोना वायरस के नए मामलों में अचानक तेजी आई है।

बढ़ रहे खतरे को देखते हुए सख्त गाइलाइंस जारी की गई हैं। साथ ही अमरावती में वीकेंड पर लॉकडाउन और यवतमाल में नाइट कर्फ्यू का एलान किया गया है। महाराष्ट्र में बीते 24 घंटों में कोरोना से 38 लोगों की मौत हुई है। कोरोना से कुल मौतें 51,631 हुई हैं। राज्य में फिलहाल एक्टिव मरीजों की संख्या 40 हजार से ऊपर है।

मुंबई में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 736 नए केस आए हैं। हालात को पटरी से उतरते देख बीएमसी ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं। अब होम क्वारंटाइन का नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी और जिस सोसाइटी में कोरोना के 5 से ज्यादा केस आएंगे उसे सील कर दिया जाएगा। विदर्भ के यवतमाल में 28 फरवरी और अमरावती में एक दिन के लिए लॉकडाउन लगाया गया है।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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