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प्रादेशिक

देश-दुनिया करेगी दिव्य-भव्य अयोध्या के दर्शनः सीएम योगी

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लखनऊ/अयोध्या । सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए डबल इंजन की सरकार ने 30 हजार करोड़ से अधिक के प्रोजेक्ट को मंजूर किया है। इनमें अधिकांश परियोजनाएं अब पूर्ण होने की तरफ अग्रसर हैं। हमारा प्रयास है कि दीपोत्सव के आयोजन तक ज्यादातर प्रोजेक्ट पूरे हो जाएं, जो बचेंगे, उन्हें 31 दिसंबर तक पूरा करते हुए दिव्य-भव्य अयोध्या हम लोग देश व दुनिया के श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराएंगे। दीपोत्सव के लिए पूरी अयोध्या पहले से तैयार है। साथ ही जनवरी 2024 के उस भव्य आयोजन के लिए भी अपने आप को तैयार करेगी, जिसका इंतजार 500 वर्ष से अयोध्या, प्रदेश वासियों व सनातन धर्मावलंबियों को है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को अयोध्या में पत्रकारों से वार्ता के दौरान यह बातें कहीं। सीएम ने कहा कि अयोध्या में पुनः आने का अवसर प्राप्त हुआ है। इस दौरान शासन से जुड़े विकास कार्यों की गहन समीक्षा हुई है। सीएम ने सभी को शारदीय नवरात्रि व विजयादशमी की शुभकामना दी।

प्रदेश-देश के लिए आने वाला है गौरवशाली क्षण

सीएम ने कहा कि अयोध्या, प्रदेश व देश के लिए वह गौरवशाली क्षण आने वाला है, जब जनवरी 2024 में यशस्वी प्रधानमंत्री जी के द्वारा 500 वर्षों के लंबे इंतजार को समाप्त करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को एक बार फिर से उनके भव्य मंदिर में विराजमान कराने का दिव्य आयोजन होगा। देश-दुनिया एक नई अय़ोध्या, भव्य अयोध्या का दर्शन करेगी। इसकी तैयारी हमारे स्तर पर प्रारंभ की गई है। इसका पहला रिहर्सल दीपोत्सव पर देखने को मिलेगा। प्रदेश सरकार की ओर से पिछले छह वर्षों से अनवरत दीपोत्सव का आयोजन कर अयोध्या को वैश्विक मंच पर पुनर्स्थापित करने का सफलतम प्रयास किया गया।

अयोध्या को सबसे सुंदरतम नगरी के रूप में स्थापित करना हमारी प्राथमिकता

सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के प्रेरणा व मार्गदर्शन में जो कार्य चल रहे हैं। इन विकास कार्यों के माध्यम से अयोध्या की आध्यात्मिक व सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हुए भौतिक विकास की दृष्टि से भी दुनिया की सबसे सुंदरतम नगरी के रूप में स्थापित करना, इसके लिए विभिन्न विभागों को कार्यों के मानक व गुणवत्ता को बनाए रखते हुए समयबद्ध तरीके से इस कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए पहले ही स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। आज उसकी समीक्षा की गई। प्रसन्नता है कि सभी विभागों ने अपने कार्यों को युद्ध स्तर पर आगे बढ़ाया है। इस दौरान कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, महापौर गिरीश पति त्रिपाठी, विधायक वेदप्रकाश गुप्त, डॉ. अमित सिंह चौहान आदि मौजूद रहे।

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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