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उत्तर प्रदेश

ग्रेटर नोएडा: बेटे व पति से अलग रह रही रिटायर डॉक्टर का सड़ी हालत में मिला शव

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Dead body of retired doctor in Greater Noida in rotten condition

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ग्रेटर नोएडा। उप्र के ग्रेटर नोएडा में बेटे और पति से अलग रही सेवानिवृत डॉक्टर अमिया कुमारी सिन्हा (70) का शव सड़ी गली हालत में उनके घर से बरामद हुआ। करीब चार माह से उनकी बात गाजियाबाद निवासी बेटे और बहू से नहीं हुई थी। फोन नहीं लगने पर रविवार रात बेटे और बहू बीटा-1 स्थित घर पहुंचे थे। घर में शव देखने के बाद उन्होंने पुलिस को सूचना दी।

पुलिस ने लगभग 20 दिन पहले मौत की आशंका जताई है। वहीं, फोरेंसिक टीम ने भी मौका मुआयना कर जांच की है। करीब तीन दशक पहले महिला के पति से संबंध विच्छेद हो गए थे। बीटा-2 थाना प्रभारी विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि अमिया कुमारी सिन्हा बिहार के स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर थीं।

उन्होंने बीटा-1 सेक्टर में घर बनाया था। बेटा प्रणव रंजन सिन्हा गाजियाबाद के वैशाली में रहता है। प्रणव और उसकी पत्नी गाजियाबाद में ही नौकरी करते हैं। प्रणव ने पुलिस को बताया कि वह कई दिनों से मां के मोबाइल पर कॉल कर रहा था। कई बार कॉल की तो फोन नहीं उठा था।

उसने बताया कि मां अकसर नाराज होकर फोन उठाना बंदकर देती थी। मगर कई दिन से फोन नहीं लगने पर वह पत्नी और सास को लेकर रविवार रात बीटा-1 स्थित मां के घर पहुंचे। दरवाजा खटखटाने पर नहीं खुला। दरवाजा तोड़कर देखा तो अंदर मां का शव पड़ा हुआ था।

प्रणव ने इसकी सूचना यूपी-112 पर कॉल कर दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच पड़ताल की। पुलिस ने अमिया का मोबाइल बरामद कर लिया है। पुलिस यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि महिला का फोन कब से स्विच ऑफ था और उसकी आखिरी बार किससे बात हुई थी।

बेड से गिरने के बाद दम तोड़ने की आशंका

बुजुर्ग महिला डॉक्टर का शव बेडरूम में फर्श पर पड़ा मिला। बेड पर मच्छरदानी लगी हुई थी। मच्छरदानी एक साइड से हटी हुई थी। आशंका जताई जा रही है कि महिला ने बेड से गिरने के बाद दम तोड़ा था। पुलिस को महिला के घर या कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही महिला की मौत का कारण स्पष्ट होगा।

पड़ोसियों को भी नहीं लगी भनक

बीटा-1 सेक्टर में पड़ोस में रहने वाले लोगों को भी महिला की मौत की खबर नहीं लगी। पुलिस का कहना है कि अमिया पड़ोसियों से भी ज्यादा बातचीत नहीं करती थी। आसपास के लोगों ने भी उनकी सुध नहीं ली।

हत्या के एंगल की भी जांच शुरू

घर की पहली मंजिल पर बने बेडरूम में महिला का शव औंधे मुंह जमीन पर पड़ा था। पुलिस हत्या के कोण से भी जांच कर रही है। जानकारी मिली है कि महिला डॉक्टर के बेटे प्रणव की सास कुछ दिन से अपनी समधन से मिलने की इच्छा जता रही थी।

इसी वजह से प्रणव रविवार को अवकाश के दिन पत्नी व सास को मां से मिलाने के लिए ग्रेटर नोएडा आया था। उसने नीचा का दरवाजा तोड़ा और फिर पहली मंजिल पर पहुंचा। जहां शव पड़ा था।

कटा था बिजली कनेक्शन, घर का भी बुरा हाल

सेवानिवृत डाक्टर के घर का बिजली का कनेक्शन कटा हुआ था। पुलिस को यहां टार्च की रोशनी में जांच करनी पड़ी। वहीं, घर भी देखभाल के अभाव में बदहाल था। फ्रिज में रखे मक्खन पर उत्पादन तिथि नवंबर की थी।

घर के अंदर सामान अस्त व्यस्त था और बाहर झाड़ियां आदि बड़ी हुईं थीं। कुछ लोगों का तो यह भी कहना था कि उन्हें अब पता चला कि इस घर में कोई रहता था। ये हाल तब था जब महिला के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी।

एडीसीपी ग्रेनो जोन अशोक कुमार शर्मा ने बताया घटना की सूचना मिली थी और मौके पर पुलिस ने पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। हालांकि स्वाभाविक मौत लग रही है, मगर मौत के कारणों का असली पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही पता चलेगा।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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