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प्रादेशिक

आपदा मद के कार्यों में धन की बंदरबांट

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आपदा मद के कार्यों में धन की बंदरबांट

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आपदा मद के कार्यों में धन की बंदरबांट

देहरादून। आपदा के कार्यों में किस तरह से ठेकेदार, जनप्रतिनिधि और अफसर मिल कर किस तरह से धन की बंदरबांट कर रहे हैं, इसका अंदाजा उत्तरकाशी के बडकोट के दो गांवों से लगा सकते हैं। इन गांवों में संपर्क मार्ग बनने थे मार्ग तो नहीं बने लेकिन कार्यदायी संस्था का भुगतान हो गया। इन कार्यों का भौतिक सत्यापन भी नहीं हुआ। यह खुलासा तब हुआ जब तहसीलदार मौके पर पहुंचे। इसके बाद तहसीलदार ने इस मामले की जांच के आदेश जारी किये हैं।

मामला बड़कोट तहसील के ग्राम सभा घुण्ड और नाल्ड बनाल में दो विकास योजनाओं का है। लाखों रुपये की इन योजनाओं पर काम हुआ ही नहीं और कार्यदायी संस्था को अधिकांश भुगतान बिना सत्यापन के कर दिया गया। नियमानुसार 30 प्रतिशत की शेष धनराशि के भुगतान होने से पहले योजना की गुणवत्ता एंव भौतिक सत्यापन नहीं किया गया।

ज्ञात हो कि 2013 में उत्तरकाशी जनपद में आपदा का कहर बरपा था। इसके बाद नदियों व गदेरों में बाढ़ आ गई थी, इसमें गांव के संपर्क मार्ग व छोटे पुल बह गये थे। आपदा मद में उत्तरकाशी जिले को करोड़ों रुपये मिले थे, लेकिन इस धन की बर्बादी हो रही है। बनाल पट्टी के घुण्ड गांव से आखोड़ी तोक बगीचे तक देवीय आपदा मद से क्षतिग्रस्त सम्पर्क मार्ग की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण के नाम पर 2015-16 में पांच लाख 23 हजार की धनराशि स्वीकृत हुई, जिसमें आधा एक किलोमीटर तक कार्य को पूर्ण दिखाया गया और कार्यदायी संस्था जिला पंचायत विभाग से चार लाख की धनराशि अवमुक्त भी करा ली। इतना ही नहीं ग्राम घुण्ड से ग्राम नाल्ड तक स्वीकृत पांच लाख 47 हजार की धनराशि से क्षतिग्रस्त सम्पर्क मार्ग के मरम्मत एवं पुर्न निर्माण पर घुण्ड की सीमा तक लगभग डेढ़ किलोमीटर कार्यदायी संस्था से ठेकेदार ने चार लाख की धनराशि अवमुक्त कर ली। और दोनों योजनाओं का शेष 30 प्रतिशत स्वीकृत धनराशि का बड़कोट स्थानीय प्रशासन के गुणवत्ता एंव भौतिक सत्यापन के बाद भुगतान होना था। अब इस मामले के उजागर होने के बाद इसमें उपजिलाधिकारी ने तहसीलदार को जांच के निर्देश दिये थे।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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