उत्तराखंड
21 दिन बाद खुला नंदप्रयाग घाट मोटर मार्ग
देहरादून। चमोली जिले के नंदप्रयाग घाट क्षेत्र को जोड़ने वाली सड़क आज 21 दिन बाद खुल गई है। हालांकि अभी यहां हल्के वाहनों की आवाजाही हो रही है, जबकि भारी वाहनों की आवाजाही में तीन से चार दिन तक का समय लग सकता है। घाट-नंदप्रयाग मोटर मार्ग खुलने से दर्जन भर गांव के लोगों ने राहत की सांस ली।
उधर, बदरीनाथ, केदारनाथ हाईवे पर शुक्रवार को यातायात सुचारु हो गया है। वहीं अभी चमोली जिले में 33 ग्रामीण मोटर मार्ग बंद हैं। काफी दिनों से बंद नंदप्रयाग घाट मोटर मार्ग गुरुवार देर रात साढ़े 11 बजे खुलने के बाद लगभग एक दर्जन गांव के लोगों ने राहत की सांस ली है। मार्ग खुलने के बाद क्षेत्र में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुचारू हो गई है।
बताते चलंे कि एक जुलाई को घाट क्षेत्र में हुई भारी बारिश के चलते सेरा के पास नंदाकिनी नदी के तेज कटाव के चलते लगभग 100 मीटर सड़क बह गई थी, जिससे पूरे विकासखंड का संपर्क अन्य क्षेत्रों से कट गया था।
मगर लोक निर्माण विभाग द्वारा दिन रात यहां 100 मीटर चट्टान को काटकर नई सड़क तैयार की गई है। जिसके चलते अब यहां वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। सडक खुलने से क्षेत्रवासियों के चेहरे पर रौनक लौट आई है।
सड़क के खुल जाने से लोगों को अब दो किमी का अतिरक्त पैदल सफर नहीं करना पड़ेगा। वहीं लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता का कहना है कि सड़क मार्ग अभी हल्के वाहनों के लिये खुला है, जबकि भारी वाहनों की आवाजाही के लिये मार्ग को खुलने में चार दिन का और समय लग सकता है, विभाग द्वारा मार्ग को मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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