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उत्तर प्रदेश

यूपी के शिक्षा मॉडल को समझने के लिए गुजरात शिक्षा विभाग के प्रतिनिधिमंडल ने किया दौरा

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे उल्लेखनीय कार्यों और प्रगति का दूसरे राज्य भी अनुसरण कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश ने विगत 7 वर्ष में शिक्षा का जो मॉडल तैयार किया है, उसकी सफलता को देखने और समझने के लिए राज्य अपने प्रतिनिधिमंडल उत्तर प्रदेश में भेज रहे हैं। इसी क्रम में गुजरात सरकार ने भी अपने शिक्षा विभाग का एक 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल उत्तर प्रदेश में भेजा है। इस प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश के तीन दिवसीय दौरे पर यहां निपुण भारत मिशन की सफलता की बारीकियों को जानने-समझने और उन्हें आत्मसात करने का प्रयास किया। प्रतिनिधिमंडल ने दो दिन में उत्तर प्रदेश के विद्यालयों, टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर और विद्या समीक्षा केंद्रों का दौरा किया और टीएलएम सामग्रियों व लर्निंग एप्स का विश्लेषण भी किया। गुजराती प्रतिनिधिमंडल ने यूपी में निपुण भारत मिशन को लेकर अपनाई जा रही इंटीग्रेटेड एप्रोच की सराहना की और इसे अपने यहां लागू करने के लिए उत्साह दिखाया। प्रतिनिधिमंडल अब 10 अगस्त को अयोध्या स्थित श्रीराममंदिर जाएगा और रामलला का आशीर्वाद लेगा।

टीम ने देखी लाइव टीचिंग क्लास

एएसपीडी, एसएसए गुजरात एमएम पटेल (आईएएस) की अगुवाई में लखनऊ आए प्रतिनिधि मंडल ने निपुण भारत मिशन में उत्तर प्रदेश की प्रगति को बारीकी से समझने का प्रयास किया। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश की निपुण प्रगति को समझा और यहां छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए किए जा रहे प्रयासों को भी देखा। दौरे के पहले दिन प्रतिनिधिमंडल ने लखनऊ में दो विद्यालयों का दौरा किया, जिसमें प्राथमिक विद्यालय रामचौरा और कंपोजिट स्कूल पहाड़पुर सम्मिलत रहे। विद्यालय के दौरे पर प्रतिनिधिमंडल ने हेडमास्टर, शिक्षक एवं मेंटोर से बातचीत की। साथ ही, निपुण भारत मिशन की सभी टीएलएम सामग्रियों के बारे में जानने का प्रयास किया। इस दौरान टीम के सदस्यों को मेंटरिंग प्रॉसेस, रिव्यू, मॉनीटरिंग और ट्रेनिंग समेत सभी आवश्यक पहलुओं को समझाया गया। गुजरात से आए प्रतिनिधिमंडल ने कक्षा में बैठकर ‘लाइव कक्षा शिक्षण’ भी देखा। उन्हें सहयोगात्मक पर्यवेक्षण का डेमो भी देखने का अवसर प्राप्त हुआ। यह सब देखकर न सिर्फ उनकी जिज्ञासाएं शांत हुईं, बल्कि आगामी योजना बनाने के टिप्स भी मिले।

टीचिंग एप्स से हुए प्रभावित

यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग के तकनीकी विशेषज्ञों ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को उत्तर प्रदेश में चलाए जा रहे विभिन्न टीचिंग एप्स से जुड़ी जानकारियां भी दीं। इनमें लर्निंग एप्स जैसे दीक्षा, निपुण लक्ष्य और गुणवत्ता एप संबंधी जानकारियां शामिल रहीं। भ्रमण के दूसरे दिन प्रतिनिधिमंडल ने सरोजनी नगर ब्लॉक, लखनऊ में स्थित टीचर्स ट्रेनिंग में चल रहे शिक्षकों और संदर्भदाताओं से बातचीत की। उन्होंने टीचर्स हैंडआउट, वीडियोज और पीपीटी के माध्यम से इंटरैक्टिव व इंगेजिंग टीचर ट्रेनिंग को भी ध्यान से देखा। टीम ने एक शिक्षक संकुल बैठक में भी प्रतिभाग किया। यहां होने वाली पियर लर्निंग को सराहा। टीम ने विद्या समीक्षा केंद्र का भी दौरा किया और समझा कि यहां कैसे विभिन्न डेटा प्वॉइंट्स को एनालाइज कर जनपदों को पूरी जानकारी मुहैया कराई जा रही है। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश से भी मुलाकात की और अपने दौरे में मिलीं जानकारियों को साझा किया और उन्हें लागू किए जाने सम्बन्धी व्यवहारिक टिप्स लिए।

निपुण मिशन को लेकर किए जा रहे प्रयासों को सराहा

गुजराती प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश में निपुण भारत मिशन को लेकर अपनाई जा रही इंटीग्रेटेड एप्रोच की सराहना की। उन्होंने टीएलएम सामग्रियों जैसे कार्य-पुस्तिका, पाठ्य पुस्तिका, शिक्षक संरक्षिका की विशेष रूप से प्रशंसा की। इन सभी के बीच एकीकरण का कार्य उन्हें पसंद आया। शिक्षक संरक्षिका में साप्ताहिक एवं दैनिक शिक्षण योजना के विवरण और इसके माध्यम से शिक्षकों के लिए सभी योजनाओं का पालन करने की आसान प्रक्रिया को भी उन्होंने सराहा। सहयोगात्माक पर्यवेक्षण की बारीकियों को समझने का भी मौका मिलने से वे काफी गदगद दिखे। प्रतिनिधिमंडल में एएसपीडी डॉ एमएम पटेल के अलावा, कनवीनर अनिल कुमार उपाध्याय, स्टेट रिसोर्स पर्सन संजय चौधरी, धर्मेश रामानुज, अतुल पंचाल और अभिषेक सिंह चौहान मौजूद रहे।

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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