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धर्मांतरण को लेकर गुजरात सरकार का SC में हलफनामा, जानें पूरा मामला

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नई दिल्ली। जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। सरकार ने धर्मांतरण के खिलाफ देश में कड़ा कानून बनाने की मांग का भी समर्थन किया है। साथ ही कहा है कि राज्य विधानसभा द्वारा लालच, प्रलोभन, धमकी देकर जबरन धर्मांतरण के खिलाफ उसने कानून पारित किया है।

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इसके साथ ही गुजरात सरकार ने शीर्ष अदालत से धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2003 की धारा पांच पर से गुजरात हाईकोर्ट की रोक हटाने की भी मांग की, जिसके तहत कहा गया है कि विवाह के माध्यम से होने वाले धर्मांतरण के लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति अनिवार्य होगी। गुजरात सरकार ने कहा है कि हाईकोर्ट के स्टे के खिलाफ उसने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है।

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने? 

दरअसल, बीते दिनों 14 नवंबर को वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए धर्मांतरण पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। न्यायमूर्ति एम आर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि धर्म की आजादी हो सकती है, लेकिन जबरन धर्म परिवर्तन की कोई स्वतंत्रता नहीं है।

संविधान के तहत धर्मांतरण कानूनी है, पर यह जबरन नहीं हो सकता। साथ ही शीर्ष अदालत ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र से जवाब दाखिल करने के लिए कहा था।

केंद्र ने बताया था प्लान

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा था कि वह याचिका में उठाए गए मुद्दे की गंभीरता से अवगत है। केंद्र सरकार की ओर से इस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा और उचित कदम उठाए जाएंगे। केंद्र ने यह भी कहा था कि धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार और विशेष तौर पर, देश के सभी नगारिकों की चेतना का अधिकार एक अत्यंत पोषित और मूल्यवान अधिकार है। इसे कार्यपालिका और विधायिका दोनों की ओर से संरक्षित किया जाना चाहिए।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि भारत का संविधान हर व्यक्ति को अपने धर्म का स्वतंत्रतापूर्वक पालन करने का अधिकार देता है। हालांकि, इसमें किसी को भी अन्य लोगों को किसी विशेष धर्म में परिवर्तित करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है। इसलिए, महिलाओं, आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े और समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए अवैध धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून आवश्यक है।

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मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

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नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।

गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।

शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।

 

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