Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

धर्मांतरण को लेकर गुजरात सरकार का SC में हलफनामा, जानें पूरा मामला

Published

on

Loading

नई दिल्ली। जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। सरकार ने धर्मांतरण के खिलाफ देश में कड़ा कानून बनाने की मांग का भी समर्थन किया है। साथ ही कहा है कि राज्य विधानसभा द्वारा लालच, प्रलोभन, धमकी देकर जबरन धर्मांतरण के खिलाफ उसने कानून पारित किया है।

यह भी पढ़ें

इसरो जासूसी मामले से जुड़े अभियुक्तों को SC से झटका, अग्रिम ज़मानत का आदेश रद्द

घर की सीढ़ियां उतरते वक्त गिरे व्लादिमीर पुतिन, आई मामूली चोट

इसके साथ ही गुजरात सरकार ने शीर्ष अदालत से धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2003 की धारा पांच पर से गुजरात हाईकोर्ट की रोक हटाने की भी मांग की, जिसके तहत कहा गया है कि विवाह के माध्यम से होने वाले धर्मांतरण के लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति अनिवार्य होगी। गुजरात सरकार ने कहा है कि हाईकोर्ट के स्टे के खिलाफ उसने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है।

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने? 

दरअसल, बीते दिनों 14 नवंबर को वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए धर्मांतरण पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। न्यायमूर्ति एम आर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि धर्म की आजादी हो सकती है, लेकिन जबरन धर्म परिवर्तन की कोई स्वतंत्रता नहीं है।

संविधान के तहत धर्मांतरण कानूनी है, पर यह जबरन नहीं हो सकता। साथ ही शीर्ष अदालत ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र से जवाब दाखिल करने के लिए कहा था।

केंद्र ने बताया था प्लान

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा था कि वह याचिका में उठाए गए मुद्दे की गंभीरता से अवगत है। केंद्र सरकार की ओर से इस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा और उचित कदम उठाए जाएंगे। केंद्र ने यह भी कहा था कि धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार और विशेष तौर पर, देश के सभी नगारिकों की चेतना का अधिकार एक अत्यंत पोषित और मूल्यवान अधिकार है। इसे कार्यपालिका और विधायिका दोनों की ओर से संरक्षित किया जाना चाहिए।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि भारत का संविधान हर व्यक्ति को अपने धर्म का स्वतंत्रतापूर्वक पालन करने का अधिकार देता है। हालांकि, इसमें किसी को भी अन्य लोगों को किसी विशेष धर्म में परिवर्तित करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है। इसलिए, महिलाओं, आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े और समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए अवैध धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून आवश्यक है।

Gujarat government affidavit in SC regarding conversion, Gujarat government affidavit, Gujarat government affidavit news,

Continue Reading

आध्यात्म

नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की आराधना, भक्तों के सभी कष्ट हरती हैं मां

Published

on

By

Loading

नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। इस दिन मां कूष्मांडा की उपासना की जाती है।  मां कूष्मांडा यानी कुम्हड़ा। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा, यानी कद्दू, पेठा। धार्मिक मान्यता है कि मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरुप का नाम कूष्मांडा पड़ा।

मां को प्रिय है ये भोग

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को मालपुआ का प्रसाद अर्पित कर भोद लगाएं। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आएगी। साथ ही इस दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन या वस्त्र भेट करने से धन में वृद्धि होगी।

यूं करें मां कूष्मांडा की पूजा

मां कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करें। मन को अनहत चक्र में स्थापित करें और मां का आशीर्वाद लें। कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करने के बाद मां कूष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लें और मां का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें।

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।

माता कूष्मांडा हरेंगी सारी समस्याएं

जीवन में चल रही परेशानियों और समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मां कूष्मांडा के इस मंत्र का जाप 108 बार अवश्य करें। ऐसा करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

मां कूष्मांडा की पूजा के बाद इस मंत्र का 21 बार जप करें

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्त पद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

शास्त्रों में उल्लेख है कि इस मंत्र के जप से सूर्य संबंधी लाभ तो मिलेगा ही,साथ ही, परिवार में खुशहाली आएगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आय में बढ़ोतरी होगी।

Continue Reading

Trending