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प्रादेशिक

सट्टा माफियाओं के खिलाफ हाथरस पुलिस की कार्यवाही

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सट्टा माफियाओं के खिलाफ हाथरस पुलिस की कार्यवाही, चतुर्भुज गुप्ता उर्फ़ चतुरा के खिलाफ मुकदमा, हाथरस पुलिस कप्तान अजय पाल शर्मा

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सट्टा माफियाओं के खिलाफ हाथरस पुलिस की कार्यवाही, चतुर्भुज गुप्ता उर्फ़ चतुरा के खिलाफ मुकदमा, हाथरस पुलिस कप्तान अजय पाल शर्मा

मुकुल गौतम ​

हाथरस ​​।​ पुलिस कप्तान ​​अजय पाल शर्मा की  बड़ी कार्यवाही ​से ​​​सट्टा माफिया चतुर्भुज गुप्ता उर्फ़ चतुरा और अमित चौहान उर्फ़ सोनू और अन्य चार लोगो पर मुकदमा दर्ज​ कर लिया गया है। कुख्यात सट्टा माफिया चतुरा ​पर 29 मुक़दमे है  और 15 साल में 300 करोड़ से ​ज़्यादा की अवैध संपत्ति​ अर्जित करने का आरोप है। पुलिस कार्रवाई की जानकारी मिलते ही सट्टा माफिया ​ने ​अपने ही घर में आग लगाने की योजना बना कर पुलिस पर झूठा मुकदमा दर्ज ​कराने का प्रयास किया लेकिन इस  मामले में फ़ोन रिकॉर्डिंग के आधार पर पुलिस ने दो नाम​ज़द ​और चार अन्य लोगो के खिलाफ धारा 193,211,120 और 66 ई टी एक्ट में थाना हाथरस गेट में मुकदमा दर्ज ​कराया है । पुलिस कप्तान ​​अजय पाल शर्मा ​ने जानकारी देते हुए बताया की जल्द ही ​चतुरा की  गिरफ्तारी​ ​होगी​ ​​।​ ​

चतुरा के खिलाफ मुकदमा

​​सट्टा माफिया​ के  खिलाफ पुलिस की सख्त कार्रवाई से आम लोगों में काफी ख़ुशी है। ​जिले में ​​जुआरी शराबी सट्टे वालो ​का आतंक है​ और ​जिले में और भी पुलिस कप्तान आये लेकिन कोई भी सट्टे के कारोबार को बंद नहीं करा सका​.  लोगों का कहना है कि ​​जब से नये कप्तान डॉ. अजय पाल शर्मा ने चार्ज लिया हे जिले में क़ानून का राज कायम हो गया है​ और अपराधियो को जिले से भागना पड़ा है ।  ​ ​वैसे भी युवा आईपीएस ​​​अजयपाल शर्मा जिस जिले मे भी जाते है वहां के लोगों के दिल मे अपनी जगहा बना लेते हैं और बदमाशों के दिल मे अपना इतना ख़ौफ़ भर देते है की अपराधी घुटने टेकने पर मजबूर हो जाते हैं। अजयपाल शर्मा  गाजियाबाद में एसपी सिटी रहे चुके हैं और और गाजियाबाद मे अपराधों पर लगाम लगाने मे कामयाब भी रहे ।​​ अजयपाल शर्मा अब हाथरस मे पुलिस अधीक्षक के पद पर हैं​ और  जब से हाथरस जिले में आये हे पुलिस का काम तेज गति से होने लगा है ।​ ​जिले के सभी थाना प्रभारी जो अपने कमरो में से नहीं निकलते थे​ वे आज सड़को पर पैदल गस्त कर रहे हे ​​.

 

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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