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उत्तर प्रदेश

महाकुंभ से पहले चमकते नजर आएंगे हाईवे और रोड्स

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प्रयागराज। डबल इंजन की सरकार महाकुंभ के अवसर को ऐतिहासिक बनाने पर जोर दे रही है। इसी क्रम में हाईवे से लेकर प्रयागराज सिटी को जोड़ने वाली सड़कों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सीएम योगी की मंशा के अनुरूप एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी हाईवे और सिटी को जोड़ने वाली सड़कों को चमकाने में जुट गए हैं। महाकुंभ 2025 के दौरान जब देश और दुनिया से करोड़ों श्रद्धालु सड़क मार्ग से होकर प्रयागराज पहुंचेंगे तो उन्हें चौड़ी सड़क के साथ ही निश्चित अवधि में मल्टीलिंग्वल साइनेज बोर्ड, ग्रीनरी और पेंटिंग नजर आएगी। यही नहीं, टोल प्लाजा के पास भी उन्हें तमाम सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगी।

लगाए जाएंगे मल्टीलिंग्वल साइनेज

बुधवार को प्रयागराज मेला प्राधिकरण स्थित सभागार में एनएचएआई के चेयरमैन संतोष कुमार यादव ने प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात और प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी अजय चौहान के साथ एनएचएआई के कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि महाकुंभ ऐतिहासिक अवसर है और इस दौरान हमें सिर्फ सड़क नहीं बनानी है,बल्कि उसे अच्छी और खूबसूरत भी बनाना है। प्रयागराज को जोड़ने वाली जितनी भी सड़कों पर काम चल रहा है उस पर सेफ्टी आर्डिटर्स लेकर अधिक से अधिक साइनेज लगाए जाएं। ब्यूटीफिकेशन का काम हो, पेंटिंग हो, लाइटिंग हों और इसे कैमरे से युक्त होना चाहिए। यही नहीं, रोड्स पर ऐसे साइनेज भी पर्याप्त मात्रा में होने चाहिए जो श्रद्धालुओं का स्वागत कर रहे हों।

सड़कों पर हो लाइट्स की सुविधा

उन्होंने कहा कि महाकुंभ में करोड़ों लोग आएंगे। रोड ऐसी हो कि जिसकी चमक श्रद्धालुओं को आनंदित करे। यह पूरी दुनिया के सामने अपने काम को शोकेस करने का शानदार जरिया है। उन्होंने अपने अधिकारियों से कहा कि जहां भी कैट्स आई लगानी हैं, लगाई जानी चाहिए। एंट्री गेट पर फ्लॉवरिंग होनी चाहिए। डिवाइडर पर पेंटिंग हो, ताकि फॉग के समय श्रद्धालुओं को समस्या न हो। एनएच की रोड लाइट्स चेक करके सुव्यवस्थित की जाएं। एनएचएआई के कंट्रोल रूम नंबर को हाईलाइट करें और साथ ही एनएचएआई के राजमार्ग यात्रा एप के विषय में भी लोगों को जागरूक करें, ताकि वो इसके माध्यम से अपनी यात्रा को सुगम बना सकें।

टोल प्लाजा के स्टाफ की होगी बिहेवियरल ट्रेनिंग

टोल प्लाजा को लेकर भी एनएचएआई चेयरमैन ने कहा कि कुंभ के रास्ते में पड़ने वाले टोल प्लाजा की लगातार मॉनीटरिंग होनी चाहिए। टोल प्लाजा सुंदर दिखाई देने चाहिए, ताकि लोगों को बेहतर अनुभव हो। यहां दी जाने वाली सुविधाओं को सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए। टॉयलेट्स साफ सुथरे हों। टोल प्लाजा स्टाफ की हर हाल में बिहेवियरल ट्रेनिंग कराई जाए। साथ ही टोल प्लाजा पर 3 शिफ्ट में ही कर्मचारी कार्य करें, ये सुनिश्चित किया जाए। इसके अतिरिक्त इंसिडेंट व्हीकल के साथ ही पर्याप्त संख्या में एंबुलेंस की व्यवस्था भी सुनिश्चित होनी चाहिए।

इस अवसर पर मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत, एडीजी भानु भाष्कर, मेलाधिकारी विजय किरण आनंद, डीएम रविंद्र कुमार मांदड़, एसएसपी कुंभ राजेश कुमार द्विवेदी समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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