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उत्तर प्रदेश

22 जनवरी को प्रदेश की शिक्षण संस्थाओं में अवकाश घोषित, नहीं बिकेगी शराब; CM योगी ने दिए निर्देश

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CM Yogi gave instructions

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अयोध्या। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्याधाम में श्रीरामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से आम जनमानस के भावनात्मक जुड़ाव को देखते हुए 22 जनवरी को प्रदेश में शिक्षण संस्थाओं में अवकाश घोषित करने के निर्देश दिए हैं। इस विशिष्ट अवसर को ‘राष्ट्रीय उत्सव’ की संज्ञा देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि 22 जनवरी को प्रदेश में मदिरा आदि की दुकानें बंद रखी जाएं।

मंगलवार को अयोध्या दौरे पर आए मुख्यमंत्री ने श्रीरामलला और हनुमान गढ़ी के दर्शन-पूजन के उपरांत श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। मकर संक्रांति के बाद प्रारंभ हो रहे प्राण प्रतिष्ठा के वैदिक अनुष्ठानों की जानकारी लेते हुए मुख्यमंत्री ने समारोह की सुरक्षा व अन्य व्यवस्थाओं में तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सभी आवश्यक सहयोग के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया।

इसके बाद, आयुक्त सभागार में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों से तैयारियों का जायजा लिया और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में आ रहे गणमान्य जनों को अयोध्या में बेहतर आतिथ्य प्राप्त होना चाहिए। हर एक वीवीआईपी के विश्राम स्थल का चयन पूर्व में ही कर लिया जाए। मौसम के दृष्टिगत संभव है कि कुछ अतिथि एक-दो दिन पहले ही आ जाएं, ऐसे में उनके रुकने की बेहतर व्यवस्था हो।

मुख्यमंत्री योगी ने निर्देश दिया कि अयोध्या में होटल और धर्मशालाएं हैं। होम स्टे की व्यवस्था भी है। टेंट सिटी की संख्या और बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। कुंभ की तर्ज पर अयोध्या में 25-50 एकड़ में एक भव्य टेंट सिटी तैयार कराएं। 22 जनवरी के उपरांत अयोध्या में दुनिया भर से रामभक्तों का आगमन होगा। उनकी सुविधा के लिए पूरे नगर में विभिन्न भाषाओं में साइनेज लगाए जाएं। संविधान की 08वीं अनुसूची में सम्मिलित भाषाओं और संयुक्त राष्ट्र की 06 भाषाओं में साईनेज हों।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आतिथ्य-सत्कार में स्वच्छता एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। इसमें जनसहयोग लें। धर्म पथ, जन्मभूमि पथ, भक्ति पथ, राम पथ जैसे प्रमुख मार्गों अथवा गलियों में धूल न उड़े, गंदगी न हो। जगह-जगह कूड़ेदान रखे हों। वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था हो। अभी 3800 से अधिक स्वच्छताकर्मी तैनात हैं, 1500 कर्मचारियों की संख्या और बढाएं। अयोध्या प्रतिबंधित पॉलीथिन मुक्त नगर हो, इसके लिए हम सभी को प्रयास करना होगा। 14 जनवरी से नगर में स्वच्छता विषयक विशेष अभियान चलाएं। नगर में कहीं भी गंदगी नहीं दिखनी चाहिए।

हर देव मंदिर में दीपोत्सव मनाएं

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा का यह ऐतिहासिक कार्यक्रम करोड़ों सभी सनातन आस्थावानों के लिए हर्ष-उल्लास, गौरव और आत्मसंतोष का अवसर है। पूरा देश राममय है। 22 जनवरी को सायंकाल हर देव मंदिर में दीपोत्सव मनाया जाएगा। हर सनातन आस्थावान अपने घरों/प्रतिष्ठानों में रामज्योति प्रज्ज्वलित कर रामलला का स्वागत करेगा। सभी सरकारी भवनों की साज-सज्जा कराई जाए। सायंकाल  आतिशबाजी के भी प्रबंध हों।

उन्होंने निर्देश दिया कि सभी टेंट सिटी में 10-10 बेडेड का स्वास्थ्य केंद्र तैयार कराएं। इसमें सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन भी सहयोग के लिए उत्सुक हैं। यहां एम्बुलेंस की तैनाती हो। विभिन्न विशेषज्ञ चिकित्सकों को अयोध्या ने तैनात करें।

टेंट सिटी की व्यवस्थाओं का आज मैने अवलोकन किया है। यहां अच्छी व्यवस्था है। साफ सफाई का ध्यान रखें। यहां ठहरने वालों को गर्म पानी मिले। टेंट सिटी में खाद्यान्न की उपलब्धता बनी रहे, इसके लिए खाद्य एवं रसद विभाग तथा मंडी परिषद द्वारा आवश्यक व्यवस्था की जाए।

रैन बसेरे को और व्यवस्थित करें

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि रैन बसेरे को और व्यवस्थित करें। कई स्थानों पर इनकी संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। धर्मनगरी में रात्रि विश्राम करने वाला एक भी व्यक्ति ठंड से ठिठुरता न मिले। राहत आयुक्त के स्तर से इसके लिए आवश्यक प्रबंध किए जाएं। प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में बड़ी संख्या में लोगों का आगमन हो रहा है।

ऐसे में लखनऊ, प्रयागराज और गोरखपुर से अयोध्या मार्ग को ग्रीन कॉरिडोर के रूप में तैयार रखा जाए। वाहन चलते रहें, खड़े न रहें। इन मार्गों को रामायण, रामचरितमानस के श्लोकों, चौपाइयों और दोहों से आकर्षक बनाएं। विभिन्न भाषाओं में साइनेज भी लगाए जाएं। 22 जनवरी के समारोह के लिए पार्किंग और यातायात प्रबंधन की बेहतर कार्ययोजना बनाएं। अयोध्या को जोड़ने वाले प्रमुख मार्गो पर पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था हो। आगंतुकों के आवागमन के लिए इलेक्ट्रिक बसों की पर्याप्त उपलब्धता हो। इनकी पार्किंग के इंतजाम कर लें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या का डिजिटल टूरिस्ट एप विकसित इसी सप्ताह तैयार कराया लें। इसमें अयोध्या में मौजूद सभी आधारभूत सुविधाओं एवं प्रमुख स्थलों की जानकारी वॉक थ्रू के माध्यम से उपलब्ध हो। अयोध्या नगर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का लाइव प्रसारण हो। इसके लिए मोबाइल वैन,एलईडी स्क्रीन आदि की व्यवस्था हो।

CM ने कहा कि अयोध्याधाम में बड़ी संख्या में बाहरी लोग भी निवास कर रहे हैं। ऐसे लोगों का सत्यापन करते हुए नगर की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। आवश्यकतानुसार पुलिस पिकेट बढ़ाएं। अयोध्या में पूरी दुनिया से लोग आने वाले हैं। यहां तैनाती पाने वाले पुलिसकर्मियों का व्यवहार प्रदेश की छवि प्रभावित करने वाला होगा। ऐसे में उनकी काउंसिलिंग की जाए। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों से सतत संपर्क बनाए रखें।

अयोध्याधाम आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को नव्य, दिव्य, भव्य अयोध्या की महिमा से परिचय कराने प्रशिक्षित टूरिस्ट गाइड तैनात करें। इसमें स्थानीयता को वरीयता दें।

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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