ऑफ़बीट
भारत का एक ऐसा गांव जहां शवों को लटकाकर रखने की है परंपरा
नई दिल्ली। भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। यहां अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह से रहने-खाने की परंपरा देखी जाती है।
लेकिन इस खूबसूरत देश की कुछ परंपराए ऐसी हैं जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। उन्ही में एक परंपरा के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में एक ऐसा भी गांव है जहां शवों को लटकाकर रखा जाता है। गुजरात-राजस्थान सीमा से दो किलोमीटर की दूरी पर मौजूद साबरकांठा जिले के पोशिना तालुका का यह गांव अपनी इसी अजीबोगरीब परंपरा के लिए जाना जाता है। शवों को लटकाने वाले इस परंपरा को चडोतरु कहा जाता है।
इस परंपरा के मुताबिक जब किसी शख्स की मौत अप्राकृतिक तरीके से होती है तो आरोपियों द्वारा मुआवजे की मांग की जाती है। मुआवजे का जो पैसा मिलता है उन्हें पीड़ित परिवार और समुदाय के नेताओं में बांटा जाता है।
बता दें कि यह परंपरा डुंगरी गरासिया भील आदिवासियों में प्रचलित है। गुजरात के एक गांव टाढ़ी वेदी में पिछले छह महीने से एक शव पेड़ पर लटका हुआ है। यह शव भातियाभिया गामर का है। भातियाभिया गामर का शव पिछले 6 महीने से पेड़ पर टंगा हुआ है। क्योंकि उसके घरवालों को शक है कि उसकी हत्या की गई है।
22 वर्षीय गामर का शव पोशिना के पास एक पेड़ पर टंगा हुआ मिला था। मृत गामर के पिता मेननभाई का मानना है कि उसकी हत्या की गई है। मेननभाई के अनुसार जिस लड़की से वह प्रेम करता उसकी के परिवार वालों ने उसकी हत्या की है।
गामर के शव को पिछले 6 महीने से 15 फीट की लंबाई पर लटकाया गया है। और लोग अपना रोजमर्रा का काम कर रहे हैं।
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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