आध्यात्म
विद्या माया का नाश भगवत्कृपा से ही होता है
फिर अंत में ब्रह्मज्ञान प्राप्ति के हेतु भक्ति की ही शरण लेनी होगी तथा ब्रह्मज्ञान हो जाने पर भी यदि श्रीकृष्ण को देख ले। अथवा मुरलीध्वनि ही सुन ले तो अपना ब्रह्मज्ञान बरबस भुला देता है। यथा- जनक-
बरबस ब्रह्म सुखहिं मन त्यागा।
ब्रह्मादिक, उद्धवादिक, भक्ति रस रसिक ब्रजवासियों की चरण रज चाहते हैं। एवं तदर्थ ब्रज में पशु, पक्षी एवं वृक्ष बनने का वरदान माँगते हैं। माँ के पेट में रहने वाले शिशु एवं उत्पन्न होकर विविध लीला युक्त शिशु में कितना अन्तर है।
राधे राधे राधे राधे राधे राधे
ज्ञानी अरु योगी लहैँ, निज स्वरूप को ज्ञान।
हरि स्वरूप जाने नहीँ, माया माहिं भुलान।।26।।
भावार्थ- ज्ञानी एवं योगी (भक्ति रहित) अपने लक्ष्य पर पहुँच कर भी माया से मुक्त नहीं हो सकते। क्योंकि उन दोनों ने आत्मा का ही स्वरूप जाना है, परमात्मा का नहीं जाना।
व्याख्या- ज्ञानी एवं योगी अपनी साधना से केवल अविद्यात्मिका (स्वरूपावरिका) माया का ही नाश कर पाता है किंतु विद्यात्मिका (गुणावरिका) माया का नाश नहीं कर सकता। विद्या माया का नाश भगवत्कृपा से ही होता है। अतः आत्मज्ञान प्राप्त करना तो ब्रह्म का आंशिक ज्ञान ही है। पूर्णज्ञान के हेतु गीता-
ब्रह्मभूतः प्रसन्नात्मा न शोचति न काङ्क्षति।
समः सर्वेषु भूतेषु मद्भक्तिं लभते पराम् ।।
(गीता 18-54)
सर्वशक्ति प्राकट् य हो, लीला विविध प्रकार।
विहरत परिकर संग जो, तेहि भगवान पुकार।।24।।
भावार्थ- जिस स्वरूप में समस्त शक्तियों का पूर्ण प्राकट्य हो एवं अनन्त नाम, रूप, गुण, लीला, धाम तथा परिकर भी हों, । नित्य विहार भी करते हों। वह भगवान् श्रीकृष्ण का स्वरूप है।
व्याख्या- पूर्व में बताया गया कि परमात्मा का नाम, रूप, गुण होता है। इसी प्रकार भगवान् श्रीकृष्ण के भी हैं। किंतु श्रीकृष्ण अपने परिकरों के साथ नित्यविहार लीलायें भी करते हैं। यह विशेषता है। तथा उनके रूपादि में भी माधुर्य विशेष है। इस स्वरूप में सभी शक्तियों का पूर्ण प्राकट्य होता है। किंतु इस स्वरूप में पूर्ण ऐश्वर्य होते हुए भी ऐश्वर्य, माधुर्य पर कभी भी अधिकार नहीं कर सकता। परमात्मा का ऐश्वर्य स्वतंत्र है किंतु भगवान् का ऐश्वर्य ब्रज में गुप्त रूप से ही सेवा करता है। इस रूप में इतना माधुर्य है कि स्वयं नारायण एवं लक्ष्मी भी हठात् मुग्ध हो जाते हैं। युगों तपस्या करने पर भी लक्ष्मी जी को महारास माधुर्य नहीं मिला।
इस स्वरूप में पूर्ण ऐश्वर्य, माधुर्य, तेज आदि के साथ सर्वाधिक गुण भथ्तवश्यता का है। श्रीकृष्ण स्वयं को सदा नर ही मानते हैं। एवं उनके सखा सखी भी नर ही मानते हैं।
श्रीकृष्ण ही पूर्व निरूपित ब्रह्म एवं परमात्मा के आधार हैं। मायिक जगत् तथा परव्योम एवं गोलोक के अध्यक्ष हैं। श्रीकृष्ण ने अपना विराट् ऐश् वर्य रूप अर्जुन, यशोदा, ब्रह्मा आदि को भी दिखाया था। किंतु ब्रजरसिक ऐश् वर्य लीला भी माधुर्य से आत-प्रोत रहती है। यथा- कालिय नाग दमन में फण पर नृत्य करना।
श्रीकृष्ण ही का अल्पशक्ति प्रकट स्वरूप परमात्मा है एवं अप्रकट रूप ब्रह्म है। 3 रूप साधकों की भिन्न-भिन्न रूचि के कारण बनाये हैं। जैसे-अद्वैत ही चाहता है तो उसे ब्रह्म रूप की उपासना करनी है।
विनोद में ब्रह्म या परमात्मा के लिये रसिक लोग हेय शब्दों का प्रयोग कर देते हैं। किंतु वे जानते हैं कि मेरे ही प्राणवल्लभ के स्वरूप वे भी हैं। केवल रस वैलक्षण्य का अन्तर है। जैसे कोई दूर से आम (पका हुआ) देखता है (ब्रह्म), कोई देखता एवं सूंघता भी है। कोई देखता सूंघता एवं चूसता भी है। आम वही एक है।
ऐसे ही ब्रह्म दूर से देखने वाला तथा परमात्मा रूप- देखने, सूंघने वाला तथा भगवान् का स्वरूप- देखने, सूंघने एवं चूसने वाला है। यथा एक ही गन्ने का गुड़, चीनी, मिश्री ये तीन अभिन्न रूप हैं। ऐसे ही पूर्ण अभेद मानना है। एक बात अवश्य ध्यान देने की है कि ब्रह्म कृपा नहीं करता। अतः ब्रह्मज्ञान के हेतु ज्ञानी को भी श्रीकृष्ण की शरण जाना होगा।
राधे राधे राधे राधे राधे राधे
ब्रह्म-प्राप्ति-पथ ज्ञान है, परमात्मा-पथ योग।
कृष्ण-प्राप्ति-पथ भक्ति है, अधिकारी सब लोग।।25।।
भावार्थ- ब्रह्म की प्राप्ति के मार्ग को ज्ञानमार्ग तथा परमात्मा की प्राप्ति के मार्ग को योग मार्ग एवं श्रीकृष्ण भगवान् की प्राप्ति के मार्ग को भक्ति मार्ग कहते हैं।
व्याख्या- निर्गुण निर्विशेष निराकार ब्रह्म की प्राप्ति का मार्ग ज्ञानमार्ग कहलाता है। इस मार्ग के अधिकारी को साधन चतुष्टय सम्पन् न पूर्ण निर्विण्ण होना चाहिये। स्वयं भगवान् ने गीता में कहा है। यथा-
क्लेशोऽधिकतरस्तेषामव्यक्तासक्त चेतसाम् ।
(गीता 12-5)
अर्थात् इस मार्ग में अत्यन्त क्लेश है। मेरे विचार से संप्रति 5 अरब मनुष्यों में 5 सौ व्यक्ति भी अधिकारी न मिलेंगे। मार्ग में चलने के पश् चात् भी नाना विघ्न हैं। यथा-
कहत कठिन समुझत कठिन साधन कठिन विवेक।
होइ घुणाच्छर न्याय जौं पुनि प्रत्यूह अनेक।।
Success Story
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी एक पैसेंजर वैन पर हुए आतंकी हमले में 50 करीब लोगों की मौत हो गई। ये घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले की है। पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर लगे अफगानिस्तान के साथ पाराचिनार जिले में अक्सर हिंसा का अनुभव होता रहता है। इसके सुन्नी और शिया मुस्लिम समुदाय जमीन और सत्ता पर काबिज हैं।
इस क्षेत्र के शिया अल्पसंख्यक हैं, उन्हें 241 मिलियन की आबादी वाला मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम राष्ट्र भी कहा जाता है। स्थानीय पुलिस अधिकारी अजमत अली का इस मामले में बयान सामने आया है, उन्होंने बताया कि कुछ गाड़ियां एक काफिले में पाराचिनार शहर से खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर की ओर जा रही थी।
इस दौरान बीच रास्ते में काफिले पर हमला हो गया। प्रांतीय मंत्री आफताब आलम ने कहा है कि अधिकारी हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए जांच कर रहे हैं। साथ ही गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने गोलीबारी को आतंकवादी हमला बताया। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हमले की निंदा की और कहा कि निर्दोष नागरिकों की हत्या के पीछे के लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
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