Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

देश भर में लखनऊ की हवा सबसे साफ़, स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में प्रथम स्थान

Published

on

clean air survey 2022

Loading

भुवनेश्वर/लखनऊ। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2022 (clean air survey 2022) की ओवरऑल रैंकिंग में उप्र की राजधानी लखनऊ ने देशभर के बड़े शहरों को पीछे छोड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया। 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में प्रयागराज दूसरे, वाराणसी तीसरे स्थान पर रहा।

स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2022 की नेशनल रैंकिंग में लखनऊ के नंबर एक आने पर महापौर संयुक्ता भाटिया को उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में शनिवार को 1.5 करोड़ रुपये का पुरस्कार प्रदान करते हुए सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उड़ीसा के राज्यपाल गणेशी लाल, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन राज्यमंत्री अश्वनी कुमार चौबे, डायरेक्टर जनरल पर्यावरण भारत सरकार चंद्र प्रकाश गोयल ने प्रदान किया।

यह भी पढ़ें

सपा का विलय भाजपा में करें अखिलेश, तो बना सकते हैं केंद्रीय मंत्री: योगी के मंत्री

रूस का बड़ा दावा, कहा- भारत को नाटो में शामिल करना चाहते हैं पश्चिमी देश

इस मौके पर महापौर संयुक्ता भाटिया ने बताया कि लखनऊ में पर्यावरण की सेहत सुधारने के लिए विगत पांच वर्षों से ही प्रयासरत थी. वायु की गुणवत्ता सुधारने के लिए ही लालबाग स्थित नगर निगम मुख्यालय के सामने कृत्रिम फेफड़ों को लगवाया था, ताकि वायु की गुणवत्ता को जांचा जा सके। नौ रोड स्वीपिंग मशीनें, 8 एंटी स्मोक गन, 40 वाटर स्प्रिंकल मशीनों को खरीदा गया। साथ ही अटल उदय वन व अन्य कई वाटिकाओं का निर्माण करा उक्त स्थानों पर लाखों पौधे भी लगाए गए।

महापौर ने लखनऊ की जनता का किया धन्यवाद  

स्वच्छ वायु सर्वेक्षण की नेशनल रैंकिंग में लखनऊ के नंबर 1 आने पर महापौर संयुक्ता भाटिया ने लखनऊ की जनता और नगर निगम के अधिकारियों का धन्यवाद अदा किया है। लखनऊ में आज प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी की रैंकिंग में 269 में स्थान से लखनऊ 17 नंबर पर आ गया है।

उन्होंने कहा कि नगर निगम लगातार शहर को सुंदर बनाने और साफ सफाई रखने का काम कर रहा है। सड़क निर्माण के साथ फुटपाथ का भी निर्माण तेजी से किया जा रहा है। कच्चे फुटपाथों की वजह से धूल उड़ती थी जिससे वायु प्रदूषण होता था आज सभी फुटपाथ के बन गए हैं। नगर निगम पहले अविकसित कॉलोनियों में काम नहीं करता था, अब उन कालोनियों में भी निर्माण कार्य कराकर रास्तों को ठीक कराया है और सारे संसाधन उपलब्ध कराए हैं।

Lucknow first place in clean air survey 2022, clean air survey 2022, clean air survey 2022 lucknow, clean air survey 2022 news,

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

Published

on

Loading

लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

Continue Reading

Trending