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प्रादेशिक

अब तक 4 लाख से अधिक कोविड लक्षणयुक्त लोगों की पहचान की गयी हैः नवनीत सहगल

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लखनऊ। अपर मुख्य सचिव ‘सूचना’ नवनीत सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा विभिन्न जनपदों का भ्रमण कर प्रदेश में चलाये जा रहे एग्रेसिव टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट की नीति की समीक्षा कर रहे हैं तथा गांवों में जाकर लोगों से उनका हालचाल ले रहे हैं। उनके द्वारा गावों में लगी निगरानी समितियों को मार्गदर्शन दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सर्विलान्स के माध्यम से घर घर जा कर लोगों से कोविड के लक्षणों की जानकारी ली जा रही है। सर्विलान्स के साथ-साथ 97 हजार राजस्व गाँवों में लोगों से सम्पर्क करते हुए कोविड लक्षणयुक्त लोगों की पहचान कर उनका कोविड टेस्ट तथा उन्हें मेडिकल किट प्रदान की जा रही है। गाँव में निगरानी समितियों के द्वारा गाँव में रहने वाले लोगों से सम्पर्क कर कोविड लक्षणों की जानकारी ली जा रही है। कोविड लक्षण मिलने वाले लोगों की आरआरटी टीम द्वारा एन्टीजन कोविड टेस्ट किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गाँव में संक्रमणयुक्त लोगों को होमआइसोलेशन में रखने के लिए गाँव में ही पंचायत भवन/स्कूल/सरकारी इमारतों में आइसोलेट करके उनका उपचार किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा गांवों में चलाये जा रहे इस अनूठे अभियान को सराहा गया है। इस अभियान के तहत अब तक 4 लाख से अधिक कोविड लक्षणयुक्त लोगों की पहचान की गयी है। प्रदेश में आरटीपीसीआर टेस्ट की संख्या बढ़ाने के लिए 14 मशीने खरीदी गयी हैं। प्रदेश में एक्टिव मामलों की संख्या में निरन्तर कमी आ रही, इसी तरह नये मामलों की संख्या में भी तेजी से कमी हो रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में टीकाकरण के लिए ग्लोबल टेण्डर जारी किया गया है, ताकि प्रदेशवासियों का टीकाकरण जल्दी से जल्दी कराया जा सके।

श्री सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी के साथ आज लखनऊ में एचएएल द्वारा हज हाउस में निर्मित 255 बेड का कोविड अस्पताल उद्घाटन किया गया। इस अस्पताल में 125 आईसीयू तथा 130 ऑक्सीजनयुक्त बेड हैं। प्रदेश में कोविड मरीजों के लिए बेडों की संख्या दुगुनी की जा रही है। इसी क्रम में प्रत्येक सीएचसी में 20-20 ऑक्सीजन युक्त बेड सृजन का अभियान चल रहा है। सभी जनपदों में 4500 से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भेजे गये हैं और 17000 से अधिक आॅक्सीजन कंसंट्रेटर की खरीद की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने बताया कि कल अस्पतालों में 1011 मीट्रिक टन आक्सीजन की सप्लाई की गयी है। मुख्यमंत्री जी द्वारा आॅक्सीजन आडिट का अभियान चलाया जा रहा है, जिसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। अब मानक अनुसार ऑक्सीजन की खपत हो रही है।

उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी एवं मुख्य चिकित्साधिकारी को जिम्मेदारी दी गयी है कि सभी अस्पतालों में वेंटीलेटर, आईसीयू और ऑक्सीजन बेड्स निरन्तर कार्यशील रहें। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा पहली बार एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के छात्रों/नर्सिग के छात्रों को उनकी कोविड महामारी में सेवा देने के लिए मानदेय दिया जायेगा। श्री सहगल ने बताया कि प्रदेशव्यापी आंशिक कोरोना कर्फ्यू के सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।आंशिक कोरोना कर्फ्यू में वैक्सीनेशन, औद्योगिक गतिविधियों, मेडिकल सम्बन्धी कार्य आदि आवश्यक अनिवार्य सेवाएं यथावत जारी रहेंगी। आंशिक कोरोना कर्फ्यू की अवधि में पूरे प्रदेश के शहरों और गांवों में विशेष सफाई एवं फाॅगिंग अभियान चलाया जा रहा है।
श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश सरकार किसानों के हितों के लिए कृतसंकल्प है और किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी फसल को खरीदे जाने की प्रक्रिया कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए तेजी से चल रही है। 01 अप्रैल से 15 जून, 2021 तक गेहूं खरीद का अभियान जारी रहेगा। गेहूं क्रय अभियान में अब तक 21,45,165.36 मी0 टन गेहूँ खरीदा गया है।उन्होंने लोगों से अपील की है कि मास्क का प्रयोग करे, सैनेटाइजर व साबुन से हाथ धोते रहे तथा भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।

अपर मुख्यसचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री अमित मोहन प्रसाद ने बताया किमुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार प्रदेश में बड़ी संख्या में टेस्टिंग कार्य करते हुए, टेस्टिंग क्षमता निरन्तर बढ़ायी जा रही है। गत एक दिन में कुल 2,33,705 सैम्पल की जांच की गयी, जिसमें से लगभग 01 लाख 10 हजार से अधिक निजी एवं सरकारी संस्थानों में आरटीपीसीआर के माध्यम से जांच की गई। प्रदेश में अब तक कुल 4,34,04,184 सैम्पल की जांच की गयी है, जो पूरे देश में सर्वाधिक है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना सेे संक्रमित 20,463 नये मामले आये हैं तथा 29,358 मरीज संक्रमणमुक्त हुए हैं। अब तक 13,13,112 लोग कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं। प्रदेश में कुल कोरोना के एक्टिव मामलों में से 1,61,600 व्यक्ति होम आइसोलेशन में हैं, इसके अतिरिक्त अन्य मरीज सरकारी एवं निजी चिकित्सालयों में इलाज करा रहे है।

श्री प्रसाद ने बताया कि सर्विलांस की कार्यवाही निरन्तर चल रही है। प्रदेश में अब तक सर्विलांस टीम के माध्यम से 2,66,049 क्षेत्रों में 6,10,187 टीम दिवस के माध्यम से 3,46,69,555 घरों के 16,70,64,108 जनसंख्या का सर्वेक्षण किया गया है। उन्होंने बताया कि 18 से 44 वर्ष वाले लोगों के साथ-साथ 45 वर्ष से अधिक आयु वालों का वैक्सीनेशन चल रहा है। अब तक 1,10,48,902 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी गई तथा पहली डोज वाले लोगों में से 28,59,250 लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज दी गई। इस प्रकार कुल 1,39,08,152 वैक्सीन की डोज लगायी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कल से 18 से 44 वर्ष वाले लोगों का भी टीकाकरण 18 जनपदों में किया जा रहा है। उन्होंने ने बताया कि शीघ्र ही अन्य जनपदों में 18 से 44 वर्ष के आयु के लोगों का टीकाकरण प्रारम्भ किया जायेगा। उन्होंने लोगों से कहा कि जिन लोगों ने वैक्सीन की पहली डोज लगवा ली वो समय आने पर वैक्सीन की दूसरी डोज भी अवश्य लगवाये। उन्होंने लोगों से अपील की है कि मास्क का प्रयोग अनिवार्य रूप से करे, सैनेटाइजर व साबुन से हाथ धोते रहे। टीकाकरण के बाद भी कोविड प्रोटोकाॅल का पालन अवश्य करें।

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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