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उत्तर प्रदेश

रॉबर्ट्सगंज में बनेगा नया पर्यटन भवन, चित्रकूट के मड़फा किले का होगा इको-टूरिज्म हब के तौर पर विकास

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लखनऊ, । उत्तर प्रदेश में पर्यटन विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में तमाम प्रकार की परियोजनाओं को गति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पर्यटन विकास की विभिन्न परियोजनाओं को लेकर सीएम योगी के विजन अनुसार एक विस्तृत कार्ययोजना बनी थी। इसी कार्ययोजना को क्रियान्वित करते हुए योगी सरकार ने सोनभद्र जिले के रॉबर्ट्सगंज में नए जिला पर्यटन भवन की इमारत के निर्माण तथा चित्रकूट के मड़फा फोर्ट को इको-टूरिज्म हब के तौर पर विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस क्रम में, सीएम योगी की मंशा अनुसार उत्तर प्रदेश कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) को जिम्मा सौंपा गया है जिसने शॉर्ट नोटिस के माध्यम से दोनों ही परियोजनाओं को पूरा करने के लिए आवेदन मांगे हैं। इस प्रक्रिया के जरिए एजेंसी निर्धारण व कार्यावंटन के कार्यों को पूरा किया जाएगा। वर्षा ऋतु के अतिरिक्त रॉबर्ट्सगंज में नए पर्यटन भवन के निर्माण कार्य को 2.54 करोड़ रुपए की लागत से 18 महीनों में जबकि चित्रकूट के मड़फा किले में होने वाले विकास कार्यों को 76 लाख रुपए की लागत से 6 महीने की समयावधि के अंदर पूरा किया जाएगा।

विदेशों में कार्यों को पूरा करने की अनुभव एजेंसियों को मिलेगी वरीयता

इन दोनों ही कार्यों को पूरा करने के लिए निर्धारण प्रक्रिया में विशेषतौर पर विदेशों में कार्यों को पूरा करने का अुभव रखने वाली एजेंसियों को वरीयता दी जाएगी। परियोजना के अंतर्गत कार्यावंटन प्राप्त करने वाली एजेंसियों को सभी निर्माण व विकास कार्यों को निर्धारित समयावधि के अंतर्गत उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा करना होगा। नए पर्यटन भवन को आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया जाएगा और उसे भविष्य की जरूरतों के हिसाब से विकसित किया जाएगा। वहीं, दूसरी ओर मड़फा फोर्ट को इको-टूरिज्म के हब के तौर पर विकसित करने के लिए तमाम पर्यटन विकास की प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी। इन सभी कार्यों को पूरा करने के लिए कार्यावंटन प्राप्त करने वाली एजेंसी को डीटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनानी होगी जिस पर मंजूरी मिलने के बाद सभी निर्माण व विकास कार्यों को पूरा किया जाएगा।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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