Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

अब सोलर सिटी के रूप में भी होगी गोरखपुर की पहचान

Published

on

Loading

गोरखपुर। बीते कुछ सालों में शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व प्रगति से गोरखपुर की पहचान नॉलेज और मेडिकल सिटी के रूप में होने लगी है। अब आने वाले दिनों में इस पहचान में सोलर सिटी भी जुड़ जाएगी। प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश के जिन शहरों को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा है, उनमें गोरखपुर का भी नाम प्रमुखता से शामिल है।

गोरखपुर को सोलर सिटी बनाने की दिशा में प्रदेश सरकार पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना पर खासा जोर दे रही है। इस योजना के लिए नारा दिया गया है “हर घर सोलर अभियान”। यूपीनेडा (उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण) के परियोजना अधिकारी गोविंद तिवारी के मुताबिक हर घर सोलर अभियान में सोलर सिटी गोरखपुर में 75000 आवासीय भवनों पर सोलर रूफटॉप संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए पोर्टल http://pmsuryaghar.gov.in के माध्यम से आवेदन हो रहा है। हर घर सोलर रूफटॉप के लिए केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से भरपूर अनुदान दिया जा रहा है।

इस योजना में सभी श्रेणी के घरेलू विद्युत उपभोक्ता 1 किलोवाट से 10 किलोवाट तक के घरेलू विद्युत कनेक्शनधारी अपने निजी घर की छत पर सोलर रूफटॉप स्थापित कराकर, अनुदान प्राप्त करते हुए 25 वर्षों तक विद्युत खर्च की बचत कर सकते हैं। हर घर सोलर अभियान में 1 किलोवाट का सोलर प्लांट लगवाने पर केंद्र सरकार की तरफ से 30000 रुपये और राज्य सरकार की तरफ से 15000 रुपये यानी कुल 45000 रुपये का अनुदान मिल रहा है। 2 किलोवाट के सोलर प्लांट पर केंद्र की तरफ से 60000 व राज्य की तरफ से 30000 यानी कुल 90000 रुपये का अनुदान प्राप्त होगा। जबकि 3 किलोवाट या इससे अधिक क्षमता के सोलर प्लांट पर केंद्र सरकार से 78000 और राज्य सरकार से 30000 रुपये अर्थात कुल 108000 रुपये का अनुदान मिलेगा। अनुदान की राशि लाभार्थी के खाते में डीबीटी के माध्यम से प्राप्त होगी।

यूपीनेडा के परियोजना अधिकारी गोविंद तिवारी ने बताया कि 2 किलोवाट के विद्युत उपभोक्ता सोलर रूफटॉप प्लांट के जरिये औसतन 10 यूनिट विद्युत प्रतिदिन बचत करते हुए लगभग दो हजार रुपये की बचत प्रति माह कर सकते हैं। 2 किलोवाट क्षमता के सोलर रूफटॉप प्लांट के लिए 200 वर्गफीट छत की आवश्यकता होगी। बाजार दरों पर लगभग 120000 रुपये रजिस्टर्ड वेंडर को भुगतान कर सोलर रूफटॉप स्थापित कराया जा सकता है। इसमें से 90000 रुपये की राशि एक माह में वापस अनुदान के रूप में मिल जाएगी। इस तरह 2 किलोवाट के सोलर रूफटॉप प्लांट ओर लाभार्थी का वास्तविक खर्च महज 30000 रुपये होगा। और, यह राशि भी एक तरह से 15 माह में विद्युत खर्च की बचत के रूप में वापस प्राप्त हो जाएगी। सोलर रूफटॉप प्लांट से 25 सालों में कुल 528000 रुपये का लाभ अर्जित होगा। इस योजना में 5 वर्षों तक मुफ्त मरम्मत व सर्विस की सुविधा तो मिलेगी ही, सोलर मॉड्यूल की भी 25 वर्ष की गारंटी होगी।

सोलर सिटी की लक्ष्यपूर्ति के लिए विभागवार भी दी गई जिम्मेदारी

सोलर सिटी गोरखपुर में 75000 सोलर रूफटॉप प्लांट स्थापना की लक्ष्य पूर्ति के लिए विभागवार जिम्मेदारी भी तय की गई है। इसमें विभिन्न अधिकारियों समेत कुल 47 विभागों को टारगेट दिया गया है। सभी विभागाध्यक्ष अपने सेवारत और सेवानिवृत्त कार्मिकों के निजी घरों पर कम से कम 2 किलोवाट का सोलर रूफटॉप प्लांट स्थापित कराएंगे।

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

Published

on

Loading

 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

Continue Reading

Trending