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प्रादेशिक

सम-विषम योजना की उपलब्धि समाप्त, आपात कदम आवश्यक : सीएसई

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नई दिल्ली| दिल्ली की सम-विषम योजना की अवधि समाप्त होने के बाद राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) ने इस संदर्भ में आपात कदम उठाने का आग्रह करते हुए कहा है कि दिल्ली में एक से 15 जनवरी के बीच लागू सम-विषम योजना से अर्जित लाभ खत्म हो गया है और यदि इस दिशा में तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो प्रदूषण का स्तर और बिगड़ सकता है।

सीएसई ने एक बयान में कहा है, “सीएसई के नए विश्लेषण से पता चला है कि प्रदूषण वापस लौट आया है। सम-विषम योजना समाप्त होने के बाद तीन कामकाजी दिनों में वायु की गुणवत्ता तेजी से गिरी है। प्रथम कामकाजी दिन में पीएम2.5 का स्तर 57 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है।”

दिल्ली सरकार ने सड़कों पर यातायात की परेशानी से निजात दिलाने के लिए एक दिन सम संख्या वाले वाहन और दूसरे दिन विषम पंजीकरण संख्या वाले वाहन चलाने का फरमान जारी किया था।

सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा, “इससे वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए आपात कदम उठाने की जरूरत सत्यापित होती है।”

विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दी के दिनों में वायु में घुले प्रदूषक तत्व धरती के कारीब आ जाते हैं और वायु के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं।

सीएसई के मुताबिक, बिना किसी आपात कार्ययोजना के, राजधानी में देर से शुरू हुई सर्दी के कारण प्रदूषण स्तर तेजी से बढ़ सकता है।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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