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उत्तर प्रदेश

देव दीपावली पर गौ माता के गोबर से बनाए दीयों से दमकेंगे काशी के घाट

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वाराणसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत की है। इन प्रयासों से न केवल महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण हो रहा है, बल्कि उनके आत्मसम्मान में भी वृद्धि हो रही है। खासकर वाराणसी जिले में देव दीपावली के मौके पर गाय के गोबर से बने दीपों का निर्माण कर रही महिलाओं की सफलता इस बात का गवाह है कि कैसे योगी सरकार ने उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत किया है।

गाय के गोबर से बने दीपों के निर्माण में जुटी हैं महिलाएं

देव दीपावली के मौके पर, वाराणसी के घाटों पर लाखों दीप जलाने की तैयारी हो रही है। खास बात यह है कि इन दीपों का निर्माण गाय के गोबर से किया जा रहा है और यह कार्य स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कर रही हैं। 7 स्वयं सहायता समूहों की 25 परिवारों की महिलाएं इस कार्य में जुटी हुई हैं और उनका लक्ष्य 30,000 गोबर से बने दीप तैयार करना है। पहले जहां देव दीपावली पर महिलाएं मुश्किल से 400-500 रुपये कमाती थीं, अब उन्हें इस कार्य के लिए लगभग 4,000 से 5,000 रुपये की आय हो रही है।

स्वयं सहायता समूह के जरिए महिलाओं की कमाई में वृद्धि

स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं अब घर-घर जाकर दीपों की बिक्री नहीं करतीं, बल्कि उन्हें पहले से ही बड़े पैमाने पर आर्डर मिलने लगे हैं। ग्राम अहरक की राधिका ने बताया कि पहले उन्हें दीपों को बेचने के लिए घर-घर जाना पड़ता था, लेकिन अब योगी सरकार के प्रयासों से उन्हें पहले से ही आर्डर मिल जाते हैं, जिससे उनकी आय में जबरदस्त वृद्धि हुई है। महिलाएं अब आत्मनिर्भर बनी हैं और अपने पैरों पर खड़ी हैं, जिसका सीधा लाभ उनके परिवारों को मिल रहा है।

सरकार की योजनाओं से महिलाएं को मिल रहा प्रोत्साहन

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं को रोजगार और सशक्तिकरण के नए अवसर प्रदान किए हैं। इस मिशन से जुड़ी महिलाएं गाय के गोबर से बने दीपों का निर्माण कर रही हैं, और इन दीपों की बिक्री से उनकी आय में वृद्धि हो रही है। इसके अलावा, सरकार ने महिलाओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हुए गाय के गोबर का उपयोग करके उन्हें एक स्वच्छ और पर्यावरण फ्रेंडली रोजगार का अवसर दिया है।

देव दीपावली पर काशी में 12 लाख दीपों से रोशन होंगे घाट

15 नवंबर को काशी में मनाई जाने वाली देव दीपावली में 12 लाख दीपों से घाट रोशन होंगे, जिसमें गाय के गोबर से बने दीप भी शामिल होंगे। देव दीपावली पर गाय के गोबर से बने दीपों के निर्माण में महिलाओं की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि जब महिलाओं को सही अवसर मिलते हैं, तो वे समाज में बदलाव ला सकती हैं। योगी सरकार के इन प्रयासों से न केवल महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं, बल्कि वे समाज में अपनी पहचान भी बना रही हैं

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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