उत्तर प्रदेश
इंटरनेशनल ट्रेड शो में पहुंचे लोगों ने कहा, पता नहीं था यूपी में इतने उम्दा उत्पाद बनते हैं
ग्रेटर नोएडा| ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो सेंटर एवं मार्ट में बुधवार को शुरू हुआ पांच दिवसीय (25 से 29 सितंबर) यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो (UPITS 2024) का दूसरा संस्करण भी खरीदारों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। पहले ही दिन खरीदार अच्छी खासी संख्या में जुटना शुरू हो गए हैं, जो राज्य के विभिन्न उत्पादों के बारे में जानकारी ले रहे हैं। प्रदर्शनी में आए लोगों ने यहां तक कहा कि उत्तर प्रदेश में इतने उम्दा उत्पाद बनते हैं ये पता ही नहीं था। लोगों ने इस आयोजन के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त किया। खरीदारों के इस उत्साह को देखकर प्रदर्शनी लगाने वाले एग्जीबिटर्स भी उत्साहित नजर आ रहे हैं और उन्हें इस बार अच्छा कारोबार होने की उम्मीद दिखाई दे रही है।
एक छत के नीचे इस तरह उत्पादों की प्रदर्शनी काफी महत्वपूर्ण
गाजियाबाद से आए खरीददार आदित्य ने इसे शानदार आयोजन बताया। उन्होंने कहा कि यहां जिस तरह प्रदेश के लगभग हर जिले के उत्पाद देखने को मिल रहे हैं, वह सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक छत के नीचे इस तरह उत्पादों की प्रदर्शनी काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश सरकार की इसके लिए जितनी सराहना की जाए, वह कम है।
इंटरनेशनल ट्रेड शो को लेकर पहले से था काफी उत्साह
बुलंदशहर से आए तरुण कुमार ने बताया कि वह यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में आने को लेकर पहले से ही उत्साहित थे, इसीलिए उन्होंने पहले ही दिन शो में आने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा, जब से प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है, तब से इस तरह के आयोजन लगातार हो रहे हैं। यह केवल प्रदर्शनी लगाने वालों के लिहाज से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि खरीदारों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्हें भी एक छत के नीचे ही प्रदेशभर के उत्पाद देखने का मौका मिलता है।
अपने शहर में इस तरह का इंटरनेशनल आयोजन होना खास
ग्रेटर नोएडा निवासी आस्था चौधरी ने कहा, जब से मैंने इस इस ट्रेड फेयर के बारे में सुना, मैं तब से ही बहुत उत्साहित थी, इसीलिए पहले ही दिन खुद को ट्रेड फेयर में आने से नहीं रोक पाई। उन्होंने कहा, दिल्ली में भी इस तरह के आयोजन होते हैं, लेकिन ग्रेटर नोएडा से दूर होने की वजह से वहां जा नहीं पाते हैं, इसीलिए अपने ही शहर में इस तरह का इंटरनेशनल आयोजन होना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, पिछले साल भी हमने खूब खरीददारी की थी और इस बार भी करेंगे।
ट्रेड शो का भव्य आयोजन योगी सरकार की बहुत बड़ी सफलता
गाजियाबाद निवासी मीना ने कहा, इस तरह का भव्य आयोजन करना योगी सरकार की बहुत बड़ी सफलता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में इतने सारे और उम्दा उत्पाद बनते हैं, यहां आकर पता चाला। एक छत के नीचे से अपने पसंदीदा उत्पाद खरीदना बहुत अच्छा लगता है। एक दो दिन बाद यहां काफी भीड़ होगी, इसीलिए हमने पहले ही दिन मेले में आने और पसंदीदा उत्पाद खरीदने की योजना बनाई। प्रदेश सरकार द्वारा ऐसा भव्य आयोजन करना बहुत सराहनीय है।
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन
महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।
महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।
महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान
महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।
प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम
दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।
महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार
महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।
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