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उत्तर प्रदेश

शंख व डमरू वादन से रामनगरी में पीएम मोदी का होगा अभूतपूर्व स्वागत, CM योगी ने दिए निर्देश

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PM Modi welcome in Ramnagari ayodhya

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अयोध्या। उत्तर प्रदेश व देश की विभिन्न संस्कृतियों संग रामनगरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभूतपूर्व स्वागत होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर संस्कृति विभाग भी इस तैयारी में जुटा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन पर शंख व डमरू वादन भी होगा।

वहीं एयरपोर्ट से धर्मपथ, रामपथ होते हुए रेलवे स्टेशन तक कुल 40 मंचों पर लगभग 1400 से अधिक लोक कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देंगे। साथ ही एयरपोर्ट सभा स्थल पर भी 30 लोक कलाकारों की ओऱ से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रसधारा बहेगी।

रास्ते में कुल 40 मंचों पर कलाकार न सिर्फ अपनी संस्कृति की छटा बिखरेंगे, बल्कि अपनी प्रस्तुतियों से प्रधानमंत्री व आगंतुकों को भी मंत्रमुग्ध करेंगे। संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश ने इसकी सारी तैयारी कर ली है।

1400 से अधिक लोक कलाकारों की होगी प्रस्तुति

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर संस्कृति विभाग ने भी पीएम के स्वागत की जोरदार तैयारी की है। प्रधानमंत्री के रोड शो के मध्य कुल 40 मंच बनेंगे, जिस पर 1400 से अधिक लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां होंगी। एयरपोर्ट के गेट नंबर 3 पर एक विशाल मंच होगा।

वहीं एयरपोर्ट से साकेत पेट्रोल पंप के बीच पांच मंच होंगे। धर्मपथ पर 26 मंचों पर कलाकार अपनी भावपूर्व प्रस्तुति देंगे। राम पथ पर पांच, अरुंधती पार्किंग, टेढ़ी बाजार से रेलवे स्टेशन के मध्य तीन मंचों पर यूपी की संस्कृति की बयार बहेगी।

शंख वादन से पीएम का होगा जोरदार स्वागत

सीएम योगी आदित्यनाथ ने रामनगरी अयोध्या में पीएम के अभूतपूर्व स्वागत का निर्देश दिया है। इस पर संस्कृति विभाग ने भी काफी तैयारी की है। अयोध्या के वैभव मिश्र शंख वादन से रामलला की धरा पर पीएम का स्वागत करेंगे तो बाबा विश्वनाथ की धरा से आए मोहित चौरसिया डमरू वादन कर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करेंगे।

मथुरा के खजान सिंह व महिपाल अपनी टीम संग बम रसिया की छाप छोड़ेंगे। साथ ही मथुरा का लोकप्रिय मयूर नृत्य भी कई मंचों पर होगा। दीपक शर्मा, गोविंद तिवारी, माधव आचार्य समेत कई अन्य कलाकार अन्य मंचों पर भी अपनी टीम संग प्रस्तुति देंगे।

लोकनृत्य के जरिए संस्कृति से अवगत होंगे आगंतुक

सांस्कृतिक कार्यक्रमों के क्रम में अवधी, वनटांगिया व फरुवाही समेत अनेक संस्कृतियों के रंग में रामनगरी रंगी होगी। लखनऊ की रागिनी श्रीवास्तव व सुल्तानपुर के ब्रजेश पांडेय जहां अवधी लोकनृत्य से मन मोह लेंगे, वहीं गोरखपुर की सुगम सिंह शेखावत वनटांगिया नृत्य से परिचित कराएंगी।

गोरखपुर के ही बृज बिहारी दुबे, विंध्याचल आजाद, अयोध्या के मुकेश कुमार फरुवाही और झांसी के जेके शर्मा अपनी टीम के साथ राई लोकनृत्य की अनुपम प्रस्तुति देंगे।

अन्य राज्यों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भी दीदार करेंगे अयोध्यावासी

उत्तर प्रदेश के विभिन्न लोकप्रिय लोकनृत्यों के साथ ही अयोध्यावासी अन्य राज्यों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भी दीदार करेंगे। य़हां पलवल (हरियाणा) के रामवीर व फरीदाबाद के पालीनाथ बीन नृत्य की प्रस्तुति देंगे।

राजस्थान के अकरम की प्रस्तुति के जरिए बहरूपिया विधा से लोग अवगत होंगे। राजस्थान की ही ममता चकरी नृत्य पर प्रस्तुति देंगी। मध्य प्रदेश के मनीष यादव बरेदी, मायाराम ध्रुवे गुदुमबाजा व सागर के सुधीर तिवारी लोकनृत्य के जरिए बधाई देंगे।

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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