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प्रादेशिक

पंजाब के लोग चाहते हैं कि कांग्रेस दोबारा सत्ता में आएः चरणजीत सिंह चन्नी

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चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने रविवार को कहा कि पंजाब के लोगों ने कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से सत्ता में वापस लाने का फैसला किया है। वोट डालने के लिए मतदान केंद्र पर जाने से पहले मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, स्थिति स्पष्ट है, लोग कांग्रेस को वापस चाहते हैं, और हम दो-तिहाई बहुमत की ओर बढ़ रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधानसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा ने भाजपा के साथ मिलकर अकाली दल का समर्थन किया है। चन्नी ने आगे कहा, पंजाब में बेअदबी की घटनाओं के लिए डेरा जिम्मेदार था और उन्हें अब मतदान में उनका समर्थन मिल रहा है।

उन्होंने कहा, हम राज्य में सभी को मुफ्त शिक्षा देंगे और अन्य पिछड़े समुदायों (ओबीसी) और कमजोर वर्गों को छात्रवृत्ति भी देंगे और सत्ता में आने के बाद हम जल्द ही इस पर एक नीति तैयार करेंगे।

चुनाव के मुख्य मुद्दों पर बात करते हुए पंजाब के सीएम ने कहा कि उनका 111 दिनों का कार्यकाल सिर्फ काम का रहा है और इस वजह से हमें लोगों का भारी समर्थन मिल रहा है।

आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के चुनाव प्रचार पर एक सवाल के जवाब में चन्नी ने कहा कि केजरीवाल किसी भी तरह सत्ता में आना चाहते हैं। इसके लिए उसने खालिस्तानियों जैसे आतंकी संगठनों का सहारा लिया है और अमेरिका स्थित खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नून से पत्र मांगा है। पंजाब में रविवार को मतदान चल रहा है और 2.14 करोड़ से अधिक मतदाता 1,304 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे।

राज्य प्रशासन द्वारा चुनाव को पूरी तरह शांतिपूर्ण बनाने के लिए व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं। राज्य में 14,684 स्थानों पर कुल 24,689 मतदान केंद्र और 51 सहायक मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें से 2,013 को संवेदनशील और 2,952 संवेदनशील मतदान केंद्रों के रूप में चिन्हित किया गया है। इसके अलावा 1,196 आदर्श मतदान केंद्र, 196 महिला संचालित मतदान केंद्र और 70 दिव्यांग (दिव्यांग) मतदान केंद्र होंगे। सभी मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग भी की जा रही है।

 

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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