Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

चारों ओर फैले अंधविश्वास के कूड़े पर झाड़ू लगाती सूर्य ग्रहण की ये सच्चाई

Published

on

Loading

नई दिल्ली। 11 अगस्त को इस साल का आख़िरी सूर्य ग्रहण पड़ने वाला है। ये 2018 का आखिरी सूर्य ग्रहण है। पिछले सूर्य ग्रहणों की तरह इस ग्रहण में भी लोग डरे हुए हैं और तमाम उपाय करने में लगे हुए हैं। लगभग सभी लोगों को पता है कि सूर्य ग्रहण कैसे होता है लेकिन आज हम आपको इस खगोलीय घटना की सच्चाई एक बार फिर से बताने जा रहे हैं। ताकि अपने आसपास फैले अंधविश्वास का खंडन आप आत्मविश्वास से कर सकें।

पृथ्वी अपनी धुरी पर निरंतर घूमते रहने के साथ-साथ सौरमंडल में सूर्य का चक्कर भी लगाती है। चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है तो वह पृथ्वी के चारों ओर घूमता रहता है। ऐसे में कई बार चंद्रमा घूमते-घूमते सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है। ऐसी दशा में पृथ्वी से सूर्य आंशिक या पूर्ण रूप से दिखाई नहीं देता है। यही घटना ‘सूर्य ग्रहण’ के नाम से जानी जाती है।

15 फरवरी को इस साल का पहला ‘सूर्य ग्रहण’ पड़ा था। दूसरा सूर्य ग्रहण 13 जुलाई को लगा था। इस बार सूर्य ग्रहण 11 अगस्त दिन शनिवार को दोपहर 1 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगा। और शाम 5 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगा।

व्रत एवं त्यौहार

CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं

Published

on

Loading

मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।

छठ पूजा क्यों मनाते है ?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

 

Continue Reading

Trending