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उत्तर प्रदेश

वरुण गांधी के बागी तेवर, भाजपा प्रत्याशियों को छोड़ निर्दलीयों का खुलकर किया समर्थन

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Rebel attitude of Varun Gandhi

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पीलीभीत। पीलीभीत के भाजपा सांसद वरुण गांधी के बागी तेवर कम नहीं हो रहे। निकाय चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशियों को छोड़ निर्दलीयों का खुलकर समर्थन किया है। वरुण ने रविवार को बीसलपुर और पूरनपुर में निर्दलीय प्रत्याशियों के समर्थन में जनसंपर्क भी किया।

वरुण गांधी ने कहा कि आजकल राजनीति पैसे और बाहुबल पर टिकी हुई हैं। राजनीति में ईमानदार लोग काफी कम है। रविवार को उन्होंने बीसलपुर नगर पालिका चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार किया। उनके लिए जनता से समर्थन मांगा। सांसद द्वारा भाजपा प्रत्याशी को छोड़ निर्दलीय प्रत्याशी का प्रचार करना चर्चा में है।

वरुण गांधी ने रविवार शाम बीसलपुर के डाकखाना तिराहे पर नगर पालिका अध्यक्ष की निर्दलीय प्रत्याशी माधुरी देवी के समर्थन में आयोजित सभा में कहा कि बीसलपुर नगर पालिका के अध्यक्ष पद के जितने प्रत्याशी हैं, वह सभी पैसे वाले हैं और किसी ने किसी के सहारे चुनाव लड़ रहे हैं। केवल माधुरी देवी ही एकमात्र ऐसी प्रत्याशी हैं, जो पैसे से काफी कमजोर हैं लेकिन जन सेवा करने के लिए चुनाव लड़ रही हैं।

पैसे वाले जीतना चाहते हैं चुनाव

उन्होंने कहा कि माधुरी देवी के पति राजेश सिंह उनके पिछले 30 वर्षों से प्रतिनिधि हैं। वह पूरी तरह से ईमानदारी से काम कर रहे हैं। उन्होंने अगर ईमानदारी से काम नहीं किया होता तो वह भी बहुत पैसे वाले हो जाते। उन्होंने कहा कि बीसलपुर में कुछ लोग पैसे के दम पर नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव जीतना चाहते हैं ,लेकिन नगर की जनता उन्हें पालिका अध्यक्ष नहीं बनाएगी।

सांसद ने कहा कि चुनाव माधुरी देवी का नहीं है बल्कि उनका अपना चुनाव है। सांसद ने कहा कि बीसलपुर नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव पैसे और बाहुबल के आधार पर नहीं होगा। केवल ईमानदारी के आधार पर होगा।

पूरनपुर में भी निर्दलीय प्रत्याशी की तारीफ

सांसद वरुण गांधी रविवार को सराफा बाजार में विपिन सराफ के घर और प्रतिष्ठान में पहुंचे। यहां उनके समर्थकों की भीड़ रही। नगर पालिका अध्यक्ष पद के निर्दलीय प्रत्याशी प्रदीप जायसवाल लल्लन भी अपनी टीम और समर्थकों के साथ मौजूद रहे।

सांसद ने पूर्व चेयरमैन और निर्दलीय प्रत्याशी प्रदीप जायसवाल लल्लन की तारीफ की। कहा कि लल्लन उनके दाहिने हाथ है, हमेशा साथ रहे है। सांसद ने चुनाव लल्लन का नहीं अपना होना भी कहा।

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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