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प्रादेशिक

आरआरटी टीम अपनी पूरी क्षमता के साथ ट्रेसिंग, टेस्टिंग व दवा वितरण का कार्य करे: रोशन जैकब

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लखनऊ: ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड संक्रमण पर प्रभावी रोक लगाने के उद्देश्य से जनपदीय नोडल अधिकारी डॉ रोशन जैकब अचानक समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र माल पहुँची। स्वास्थ्य केंद्र पहुँच कर नोडल अधिकारी द्वारा आरआरटी टीमो, सर्विलांस टीम और निगरानी समितियों की समीक्षा की। नोडल अधिकारी द्वारा निर्देश दिया गया कि निगरानी समिति में आशा और आंगनबाडी कार्यकत्रियों की संख्या को बढ़ाया जाए और युद्धस्तर पर कार्य किया जाए। साथ ही निर्देश दिया कि आरआरटी टीम अपनी पूरी क्षमता के साथ ट्रेसिंग, टेस्टिंग व दवा वितरण का कार्य करे। सभी घरों को कवर करना सुनिश्चित किया जाए। साथ ही सुपरवाइजर के तौर पर एएनएम की उपस्थिति को अनिवार्य रूप से सुनिश्चित कराया जाए।

अधीक्षक, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, माल द्वारा अवगत कराया गया कि क्षेत्र में 08 आर0आर0टी0 टीमें टेस्टिंग का कार्य कर रही हैं। कुछ आर0आर0टी0 टीमों में 02 एल0टी0 एक साथ कार्य कर रहे हैं, जिसपर नोडल अधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया कि प्रत्येक टीम में एक एल0टी0 ही रहे तथा दूसरे सदस्य, स्टाफ नर्स, आँगनबाड़ी, आशा बहू आदि होने चाहिये। साथ ही अधीक्षक, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, माल द्वारा अवगत कराया गया कि होम आइसोलेशन में रह रहे सभी मरीजों को समय से मेडिकल किट उपलब्ध करा दी जाती है तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर दवाइयों की कोई भी कमी नहीं है। सी0एच0सी0 पर समीक्षा बैठक के उपरान्त नोडल अधिकारी द्वारा ग्राम मसीढ़ा हमीर जाकर कोविड-19 संबंधी कार्यों का सत्यापन किया गया। मौके पर कोविड-19 धनात्मक व्यक्ति से नोडल अधिकारी द्वारा स्वयं बातचीत की गयी, जिसपर धनात्मक व्यक्ति द्वारा बताया गया कि उसे समय से कोविड-19 की रिपोर्ट तथा मेडिकल किट प्राप्त हुई है और प्रतिदिन कोविड कमान्ड सेन्टर से उन्हें फोन कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली जाती है। उसी ग्राम में नोडल अधिकारी द्वारा आर0आर0टी0 टीम द्वारा किये जा रहे कार्यों को भी देखा गया। आर0आर0टी0 टीम द्वारा निरीक्षण के समय पर 30 लोगों की टेस्टिंग का कार्य किया जा चुका था।

नोडल अधिकारी द्वारा ग्राम में ही कार्य कर रही निगरानी समिति के सदस्यों तथा नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों से भी वार्ता की गयी जिस दौरान निगरानी समिति द्वारा अवगत कराया गया कि गाँव में घर-घर जाकर उनके द्वारा लक्षण युक्त व्यक्तियों को चिन्हित किया जा रहा है तथा मेडिकल किट प्रदान की जा रही है। गाँव में कोविड-19 धनात्मक व्यक्तियों की संख्या के मद्देनजर नोडल अधिकारी द्वारा निर्देश दिये गये कि सम्पूर्ण गाँव में सेनेटाइजेशन का कार्य कराया जाये।

तत्पश्चात् नोडल अधिकारी द्वारा ग्राम नवीपनाह में निगरानी समिति द्वारा किये जा रहे कार्यों का निरीक्षण किया गया। ग्राम में निवास कर रहे तीन चार परिवारों के घरों में जाकर उनसे निगरानी समिति द्वारा किये जा रहे कार्यों के बारे में पूछताछ की गयी। पूछताछ के दौरान निगरानी समिति के कार्य संतोषजनक पाये गये। नोडल अधिकारी द्वारा ग्रामवासियों को मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने, साबुन से बार-बार हाथ धोने आदि कोविड-19 के नियमों का पालन करने हेतु कहा गया।

नोडल अधिकारी द्वारा निर्देश दिया गया निगरानी समिती द्वारा कोविड लक्षण वाले व्यक्ति की सूचना देते ही उसकी तुरन्त टेस्टिंग और दवा वितरण का कार्य करना सुनिश्चित कराया जाए। साथ ही निर्देश दिया कि आरआरटी टीम के कार्यो में तेजी लाने के लिए समस्त ब्लाक में 10-10 आरआरटी टीमो की संख्या को बढ़ाया जाए। ग्रामीण क्षेत्र की पीएचसी को निर्देश दिया गया कि वह होम आइसोलेशन वाले रोगियों के स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग करना सुनिश्चित करे। साथ ही निर्देश दिया कि होम आइसोलेशन रोगियों और कोविड लक्षण वाले लोगो को निगरानी समिति के द्वारा तत्काल दवा उपलब्ध कराना सुनिश्चित कराया जाए।

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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