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अन्तर्राष्ट्रीय

SCO SUMMIT में चीन के समर्थन में खुलकर आया रूस, अमेरिका पर साधा निशाना  

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Russian Defense Minister Sergei Shoigu at SCO Summit

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नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच एक साल से अधिक समय से चल रहे युद्ध शुरू होने के बाद से दुनियाभर में कूटनीतिक समीकरण बदले हैं। खासकर भारत को अपनी तरफ लेकर चलने को लेकर अधिकतर देश सजग हुए हैं। इनमें रूस और अमेरिका सबसे आगे हैं।

हालांकि, भारत की ओर से अपनी रक्षा खरीद में विविधता बढ़ाना रूस को कुछ खास रास नहीं आ रहा है। इतना ही नहीं यूक्रेन से युद्ध में चीन की तरफ से मिले अप्रत्यक्ष समर्थन के बाद रूस भी अब अलग-अलग मुद्दों पर उसके बचाव में खड़ा दिखता है, खासकर अमेरिका और पश्चिमी देशों के खिलाफ।

इससे जुड़ा एक वाकया कल शुक्रवार को फिर सामने आया, जब भारत में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में रूस के रक्षा मंत्री ने अमेरिका के सहयोग वाले बहुपक्षीय संगठन-क्वाड और ऑकस (AUKUS) की खुले मंच से निंदा की और इन्हें चीन को घेरने का प्रयास बताया।

क्या बोले रूस के रक्षा मंत्री?

रूस के रक्षा मंत्री शर्गेई शोइगु ने SCO देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान कहा कि अमेरिका और उसके साथी देश एशिया-प्रशांत में बहुपक्षीय दुनिया के गठन का विरोध कर रहे हैं। इसके लिए वे सैन्य और राजनीतिक गठबंधन भी बनाने में जुटे हैं। जैसे कि क्वाड और ऑकस, जिन्हें नाटो के साथ जोड़ने की कोशिश की जा रही है।

शोइगु ने कहा कि मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की अवधारणा को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि चीन को घेरा जा सके। इसके लिए एक फ्रंट बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके मददगार एक कूटनीतिक एजेंडा चला रहे हैं, ताकि रूस और चीन के बीच सैन्य टकराव को भड़ाकाया जा सके।

रूसी रक्षा मंत्री ने कहा कि यूक्रेन में जो संघरष हुआ है, वह इनकी (पश्चिमी देशों) की आपराधिक नीतियों को नतीजा है। इसका असल लक्ष्य रूस को कूटनीतिक तौर पर हराना और चीन को डराना है, ताकि यह देश पूरी दुनिया में अपना एकाधिकार बनाए रख सकें।

भारत में बढ़ सकती है नाराजगी

गौरतलब है कि रूस के रक्षा मंत्री से पहले एक कार्यक्रम के लिए भारत आए रूसी विदेश मंत्री ने भी चीन को लेकर क्वाड की आलोचना की थी। हालांकि, भारत अब तक यह साफ करता रहा है कि वह किसी एक देश के साथ नहीं है और दुनिया में कूटनीतिक स्वतंत्रता की नीति अपनाता आ रहा है।

रूस की ओर से बार-बार चीन के समर्थन और भारत से जुड़े गठबंधनों के विरोध का नतीजा आने वाले समय में नई दिल्ली-मॉस्को के रिश्तों में देखने को मिल सकता है। खासकर भारत और चीन के बीच सीमा पर हुए हालिया टकराव के मुद्दों के बावजूद रूस का यह रुख मोदी सरकार के लिए चोट पहुंचाने वाला साबित हो सकता है।

एक तरफ जहां, रूस खुले मंचों पर भारत और पश्चिमी देशों के गठबंधन की आलोचना कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ उसके विदेश और रक्षा मंत्री लगातार भारत और रूस के रिश्तों के वर्षों से मजबूत होने की बात कहते रहे हैं।

भारत में SCO SUMMIT के दौरान ही रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद कहा था कि दोनों देशों के रिश्तों पर चुनौतियों को झेलने के बाद भी असर नहीं पड़ा है।

अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।

इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।

जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।

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