प्रादेशिक
महिला सिपाही बनी ‘मदर कॉप’, डीजीपी ने पूछा एक सवाल, जवाब दिया ऐसा कि कर दिया ट्रांसफर
इन दिनों झांसी की एक महिला सिपाही की तारीफ चारों तरफ हो रही हैं। दरअसल, ये महिला सिपाही अपनी ड्यूटी और मां का फर्ज एक साथ निभा रही है। किसी को शिकायत का मौका भी नहीं देती है। सिपाही अर्चना हर रोज अपनी 6 माह की बेटी को साथ पुलिस थाने लाती हैं। क्योंकि उनके घर पर बच्चे की देखभाल करने वाला कोई नहीं है।
आपको बता दें, अर्चना झांसी के कोतवाली में पोस्टेड हैं। वह अपनी बच्ची को एक टेबल पर अपने पास रखती हैं ताकि उसकी देखभाल भी कर सके और वह अपना काम भी करती हैं। इस फोटो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर उनकी प्रशंसा हुई।
Meet ‘MotherCop’ Archana posted at kotwali jhansi for whom the duties of motherhood & the department go side by side !
She deserves a Salute !! pic.twitter.com/oWioMNAJub— RAHUL SRIVASTAV (@upcoprahul) October 27, 2018
उत्तर प्रदेश के सीनियर पुलिस अधिकारी राहुल श्रीवास्तव ने तस्वीर को शेयर कर ट्वीट किया- मिलिए, झांसी में कोतवाली में तैनात मदरकॉप अर्चना से, जो मां के साथ-साथ विभाग का काम एक साथ निभा रही हैं। उन्हें मेरा सलाम।
मदरकॉप अर्चना से प्रभावित होकर डीआईजी सुभाष सिंह बघेल ने अर्चना को पुरस्कृत करने का ऐलान किया है। उनके सीनियर अधिकारियों ने उनके इस समर्पण के लिए 1000 रुपये के इनाम की घोषणा की।
The quintessential 21st century woman, an ace at any responsibility she is trusted with! Had a conversation with Archana this morning & ordered her transfer to Agra, closer home! The lil one brightening Jhansi Pstn, has inspired us to explore crèche options at every Police line pic.twitter.com/hx8b54Bcb5
— DGP UP (@dgpup) October 28, 2018
डीजीपी ने महिला सिपाही अर्चना को किया फ़ोन, पूछा जानती हो कौन बोल रहा हूं, अर्चना बोली डीजीपी सर। इस पर डीजीपी ने पूछा कहां चाहती हो ट्रांसफर? उसने कहा जहां आप चाहें। डीजीपी ने तत्काल गृह जनपद के दिये निर्देश दिए हैं।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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