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प्रादेशिक

यूपीः मंत्री स्वाती सिंह ने माहवारी स्वच्छता प्रबंधन कार्यक्रम का किया उद्घाटन

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लखनऊ। महिला कल्याण एवं बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह ने टाटा वॉटर मिशन द्वारा उत्तर प्रदेश के जनपद लखनऊ के सरोजिनी नगर ब्लाक में संचालित होने वाले माहवारी स्वच्छता प्रबंधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर 100 से अधिक अजीविका मिशन से जुड़ी स्वंय सहायता समूह एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया।

मंत्री जी ने अपने संबोधन में टाटा ट्रस्टस् के इस प्रयास की सराहना की और बताया कि माहवारी विषय पर समाज में खुलकर बातचीत नहीं की जाती है और इस विषय को सिर्फ महिलाओं से संबंधित विषय ही माना जाता है। इसकी वजह से महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है साथ ही माहवारी के दौरान सही उत्पादों की जानकरी न होने के कारण वे गलत उत्पादों का चयन करती हैं जो उनके शारीरिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से प्रतिकूल  प्रभाव डालता है।

आज भी 52 प्रतिशत महिलाओं को माहवारी शुरू होने से पहले उसकी जानकारी नहीं होती है। वे माहवारी से जुड़े मिथकों को बिना सोचे उसका पालन करती रहती हैं जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है। मंत्री जी द्वारा कहा गया है कि सरोजनी नगर की सभी महिलाएं अपने घर में लाल रंग की बूंद बनायेंगी, जो कि माहवारी का प्रतीक है और सभी का अस्तित्व है। मंत्री जी ने आई0सी0डी0एस0 विभाग में ड्राप ऑउट किशोरियों के साथ ये कार्यक्रम और रियूसेबल क्लाथ पैड विभाग द्वारा किशोरियों तक पहुचाने का प्रस्ताव रखा है।

मंत्री जी ने टाटा वॉटर मिशन के सहयोग से स्वंय सहायता समूह की महिलाओं को स्वावलंबन एवं अजीविका के अवसर उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से स्थापित की गई क्लाथ पैड स्टिचिंग इकाई का उद्घाटन किया और इससे जुड़ी महिलाओं की प्रशंसा करते हुए प्रेरित करते हुए कहा कि आप लोग समाज के लिए बहुमूल्य सहयोग कर रहे हैं और कम लागत वाले, बार-बार उपयोग होने वाले क्लाथ पैड उपलब्ध करा कर अपने लिए स्वरोजगर के अवसर उत्पन्न कर रहे हैं।

टाटा ट्रस्ट्स की पल्लवी गौतम ने बताया कि टाटा वॉटर मिशन के अंतर्गत माहवारी स्वच्छता प्रबंधन कार्यक्रम ‘‘अस्तित्व एक पहचान‘‘ परियोजना के अंतर्गत  जनपद लखनऊ के सरोजिनी नगर ब्लाक में 4000 किशोरियों और महिलाओं को माहवारी स्वास्थ्य स्वच्छता एवं प्रबंधन के बारे में जागरूक किया जायेगा। यह कार्यक्रम माहवारी से जुड़े मिथकों, गलत मान्यताओं एवं धारणाओं के बारे में समाज को जागरूक करेगा और माहवारी से जुड़े स्वच्छता एवं प्रबंधन संबंधी सकारात्मक व्यवहारों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा यह कार्यक्रम महिलाओं के स्वास्थ्य एवं वातावरण की सुरक्षा हेतु इस्तेमाल किये गये माहवारी उत्पादों का सुरक्षित निस्तारण एवं कम लागत वाले माहवारी उत्पादों को प्रेरित करेगा। अस्तित्व परियोजना की उपलब्धियों का विस्तार करने के लिए टाटा वॉटर मिशन द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा एवं स्वास्थ्य समूह सखी के लिए संवेदन कार्यशालाओं एवं प्रशिक्षण का आयोजन किया जायेगा।

टाटा ट्रस्ट्स से डा0 अमिता जैन द्वारा बताया गया कि यह कार्यक्रम जनपद बहराइच और श्रावस्ती में वर्ष 2019 से चलाया जा रहा हैं जिसमें अभी तक 26,000 किशोरियों, महिलाओं, किशोर युवाओं एवं पुरूषों को जागरूक किया जा चुका है। टाटा वॉटर मिशन उत्तर प्रदेश सहित आठ राज्यों में माहवारी स्वच्छता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके माध्यम से महिलाओं एवं किशोरियों के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार किया जा रहा है जिससे वे बिना किसी भय के सम्मान के साथ माहवारी प्रबंधन कर सकें।

इस कार्यक्रम के अवसर पर टाटा ट्रस्टस से जोनल मैनेजर श्री शारदा गौतम, टाटा पावरलिंक से अर्जुन तोमर, जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेन्द्र दूबे, अजीविका मिशन से आदिल अब्बास आदि लोग उपस्थित रहे।

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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