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उत्तर प्रदेश

शिक्षा और अध्यात्म का समावेश करके ही पाई जा सकती है अराजकता से मुक्ति : योगी आदित्यनाथ

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गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को मेवालाल गुप्त गुरुकुल विद्यालय में नवनिर्मित सभागार, पांच कक्षों और प्रशासनिक भवन का लोकार्पण किया। उन्होंने गुरुकुल के पुनरुद्धार के लिए गोरखपुर गुरुकुल सोसाइटी के पदाधिकारियों को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने एक करोड़ पांच लाख रुपये के सीएसआर फंड से यह निर्माण कार्य समय पर पूरा किया गया है।

गुरुकुलों में आध्यात्मिक वातावरण जरूरी

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुकुलों में यज्ञ और हवन की पुरानी आर्य समाज की पद्धति का अनुसरण होना चाहिए। उन्होंने बताया कि जब तक गुरुकुलों में यह परंपरा जीवित रही, तब तक वहां का वातावरण आध्यात्मिक और अनुशासनपूर्ण था, जिससे पठन-पाठन के बेहतरीन परिणाम सामने आते थे। योगी आदित्यनाथ ने जोर दिया कि आज के समय में शिक्षा और अध्यात्म का समावेश करके ही अराजकता से मुक्ति पाई जा सकती है।

स्किल डेवलपमेंट और उद्यमिता पर जोर

मुख्यमंत्री ने गुरुकुल विद्यालय को शिक्षा के साथ-साथ स्किल डेवलपमेंट और उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि कोई भी वंचित बच्चा शिक्षा से वंचित न रह पाए। हर बच्चा भविष्य के लिए आत्मनिर्भर बने। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे इन प्रयासों से भारत को विकसित भारत बनाने में मदद मिलेगी।

गुरुकुल विद्यालय की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

गोरखपुर गुरुकुल विद्यालय की स्थापना 1935 में हुई थी। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस गुरुकुल में आध्यात्मिक और राजनीतिक गतिविधियों के कारण ब्रिटिश सरकार ने इसे 5 साल तक बंद कर दिया था। इसके बाद यह विद्यालय फिर से सक्रिय हुआ। आज यह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के रूप में संचालित हो रहा है। उन्होंने कहा कि समय के साथ संसाधनों की कमी के कारण विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या घटने लगी, लेकिन अब नए निर्माण और संसाधनों से इसे फिर से प्रतिष्ठित किया जा रहा है।

शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार के लिए सरकार प्रतिबद्ध

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार हर बच्चे को उत्तम शिक्षा और हर नागरिक को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने पीएम मोदी की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि यह नीति छात्रों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित है। इसे आधुनिक जरूरतों के अनुरूप तैयार किया गया है। वहीं स्वास्थ्य के दृष्टि से आयुष्मान कार्ड योजना के तहत 10 करोड़ लोगों को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जा रही है।

इससे पहले सीएम योगी ने गुरुकुल विद्यालय के विभिन्न कक्षाओं में जाकर पठन-पाठन की गतिविधियों का अवलोकन किया। उन्होंने बच्चों से मुलाकात भी की और गुरुकुल प्रांगण में पौधरोपण किया। कार्यक्रम की शुरुआत में छात्राओं ने आकर्षक प्रस्तुति के साथ गणेश वंदना की।

इस अवसर पर सांसद रवि किशन शुक्ल, महापौर मंगलेश श्रीवास्तव, गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन, गोरखपुर गुरुकुल सोसाइटी के अध्यक्ष प्रमोद कुमार, कालीबाड़ी के महंत रविंद्र दास, यूपी राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी, भाजपा महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता, सीताराम जायसवाल, पार्षद पवन त्रिपाठी, शिवशंकर गुप्त, परमेश्वर प्रसाद गुप्त, इंद्रदेव विद्यार्थी, जगदीश गुप्त, मंडलायुक्त अनिल ढींगरा सहित प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षकगण आदि उपस्थित रहे।

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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