उत्तराखंड
उत्तराखंड: अब भाजपा में भी उठने लगे हैं बगावत के सुर
देहरादून। उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से रणनीतिक मोर्चे पर लगातार मिल रही नाकामी से भाजपा को फजीहत झेलनी पड़ रही है। सत्तारूढ़ कांग्रेस से लगातार मात खाने के बाद अब प्रदेश भाजपा के बड़े तबके में बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं।
कर्मठ और समर्पित कार्यकर्ताओं के बजाय पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने और चुनावों में प्रत्याशियों की राह में मुश्किल खड़ी करने वालों को विभिन्न मोर्चों में महत्वपूर्ण पद देने को लेकर उत्तराखंड भाजपा में कलह शुरू हो गई है।
राज्यसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में देहरादून आए प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू से पार्टी के लगभग दर्जन भर विधायकों ने ऐसी शिकायतें कीं। उनका आरोप है कि राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व के कुछ नेताओं के वरद हस्त होने से यह मनमानी हो रही है।
शुक्रवार को प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू ने राज्यसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के बाद पार्टी के विधायकों से बातचीत की थी। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में मौजूद चार-पांच विधायकों को छोड़ बाकी सभी ने एक सुर में अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसे लोगों के नाम गिनाने शुरू किए, जिन्होंने चुनाव जीतने की राह में तमाम अड़चनें खड़ी कीं।
ऐसे तमाम उदाहरण भी बताए गए कि जब इन लोगों ने पार्टी के निर्णयों की मुखालफत की और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हुए। यह भी बताया कि किस तरह से हाल ही में गठित हुए किसान मोर्चा, अनुसूचित जनजाति मोर्चा, महिला मोर्चा, पिछड़ा वर्ग, युवा मोर्चा आदि में इन्हीं लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया गया।
विधायकों ने आरोप लगाया कि ऐसी स्थिति में सक्रिय और समर्पित कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर रहा है। इस बाबत जब प्रदेश नेतृत्व से शिकायत की जाती है तो राष्ट्रीय नेताओं के पाले में गेंद डाल दी जाती हैं। कई बार तो पदाधिकारियों के संबंध में यहां से भेजी गई सूची में दिल्ली से फेरबदल होने की बात बता दी जाती है।
गौरतलब है कि भाजपा से बगावत करने वाले भीमलाल और दान सिंह भंडारी के मामलों में भी ऐसी ही शिकायतों की अनदेखी की बात सामने आई है। इधर विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती देख जल्द ही कोई बड़ा फैसला संभावित है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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