उत्तराखंड
शहर में भाजपा विरोधी पोस्टर, पार्टी नींद में
पौड़ी (गढ़वाल)। प्रदेश में मौजूदा राजनीतिक हालातों पर तंज कसने वाले पोस्टरों से शनिवार रात पौड़ी शहर पट गया। पिछले दिनों कुछ इस तरह के पोस्टर राजधानी में भी चस्पा हुए थे। तब प्रदेश भाजपा ने विपक्षी खेमे के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था। लेकिन पौड़ी में सुप्तावस्था में पड़ी जिला भाजपा की ओर से इन पोस्टरों पर कोई प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली। राजनीतिक गतिविधियों के लिए सक्रिय माना जाने वाला पौड़ी शहर शनिवार रात प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक हालातों को लेकर व्यंग्यात्मक तौर पर बनाए गए पोस्टरों से पट गया। प्रदेश की राजधानी देहरादून के बाद पौड़ी शहर में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के हाथ में कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की कमान दिर्शायी गई है और बकरों के धड़ों पर बागियों के चेहरे दिखाए गए हैं। इसके साथ ही भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह को तीन अन्य विधायकों की जरूरत महसूस करते हुए कंधे में नोटों की पोटली लिए खरीद-फरोख्त की इच्छा जाहिर करते दिखाया गया है।
राजधानी देहरादून में इन पोस्टरों के चस्पा होने पर भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत कांग्रेसी नेताओं पर मुकदमा दर्ज करवाया गया था। स्वयं प्रशासन ने आनन-फानन में इन पोस्टरों को शहर की दीवारों से उतरवाया भी था। लेकिन पौड़ी जिले में ऐसा नहीं है। शहर भर में ये पोस्टर जगह-जगह चिपकाए गए हैं। जिला भाजपा की ओर से न तो ये पोस्टर हटवाए गए हैं और ना ही अभी तक किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। सांगठनिक दृष्टि से पौड़ी में भाजपा शुरूआत से ही कमजोर रही है। तेजतर्रार नेताओं के अभाव में भाजपा इस बार भी कांग्रेस से कमजोर साबित हुई है। उप जिलधिकारी पौड़ी से सम्पर्क करने पर उनके द्वारा बताया गया कि शहर में लगे पोस्टरों के बारे में कोई जानकारी नहीं है और भाजपा कार्यकर्ताओं या अन्य किसी व्यक्ति द्वारा अभी तक कोई शिकायत भी दर्ज नहीं कराई गई है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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