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उत्तराखंड

फर्जी डाक्टर ने ली नवजात की जान

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उत्‍तराखण्‍ड में फर्जी डाक्टर, नवजात की जान, इलेक्ट्रो होम्योपैथिक में बीईएमएस

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उत्‍तराखण्‍ड में फर्जी डाक्टर, नवजात की जान, इलेक्ट्रो होम्योपैथिक में बीईएमएस

fake doctor in uttarakhand

देहरादून। जसपुर के एक झोलाछाप फर्जी डाक्टर ने एक नवजात की जान ले ली। यह फर्जी डाक्टर दावा करता रहा कि उसने जीबी पंत विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रो होम्योपैथिक में बीईएमएस की है। पीडि़त परिजनों ने जसपुर थाने में डाक्टर के खिलाफ पिछले साल 25 अक्टूबर को रिपोर्ट दर्ज कराई थी लेकिन पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

जीबी पंत विवि से बीईएमएस की डिग्री का किया था दावा

जसपुर के मोहल्ला नत्थसिंह के निवासी मोहम्मद इलियास ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जीबी पंत विवि से जानकारी मांगी थी कि क्या अजीजुर्हमान ने इस विवि से बीईएमएस की डिग्री हासिल की है। सूचना आयुक्त सुरेंद्र सिंह रावत ने इस संबंध में विवि प्रशासन को फर्जी डिग्री वाले डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया है, साथ ही पुलिस को भी कार्रवाई करने के लिए कहा है।

सूचना का अधिकार से खुलासा, विवि में है ही नहीं बीईएमएस कोर्स

अपीलकर्ता मोहम्मद इलियास ने सूचना आयोग में शिकायत की कि अजीजुर्हमान ने जसपुर में आदर्श इलेक्ट्रो होम्योपैथी क्लीनिक से उनका इलाज कराया। दुकान पर लगे बोर्ड में डाक्टर की उपाधि जी बी पंत विवि, पंतनगर दिखाई गई थी। इस फर्जी डाक्टर द्वारा बच्चे के इलाज के दौरान मौत हो गयी। इस संबंध में इलियास ने 25 अक्टूबर 2015 को जसपुर थाने में उक्त डाक्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवायी थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

इस संबंध में सूचना आयुक्त सुरेंद्र सिंह रावत ने सुनवाई की। इसमें विवि से कुलसचिव ने जानकारी उपलब्ध कराई कि जो डिग्री यानी बीईएमएस की डिग्री उक्त डाक्टर ने दिखाई थी तो वह डिग्री संस्थान देता ही नहीं है। कुलसचिव ने उक्त डाक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। न ही विवि के दुरुपयोग करने का मामला उठाया। सूचना आयुक्त ने इस संबंध में विवि को निर्देशित किया है कि आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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