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उत्तराखंड

‘निशंक‘ के पैतृक गांव पिनानी पहुंची राज्यपाल बेबी रानी मौर्य व सीएम त्रिवेंद्र

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देहरादून। देश की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ के पैतृक गांव पिनानी पहुंचे।

पिनानी में ग्रामीणों ने सभी अतिथियों का वाद्य यंत्र व फूल मालाओं से स्वागत किया। इस दौरान डॉ. निशंक द्वारा अपने गांव पिनानी में बनाए गए घर की विधिवत पूजा अर्चना के बाद अपने परिजनों के साथ गृह प्रवेश किया।

इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष /सांसद अजय भट्ट, सांसद तीरथ सिंह रावत, सहकारिता, प्रोटोकॉल, दुग्ध विकास और उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत, अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश सहित भाजपा पदाधिकारी राजेन्द्र अंथ्वाल, राजेन्द्र प्रसाद टम्टा, नरेन्द्र रावत, बालकृष्ण चमोली, चण्डी प्रसाद पोखरियाल और दूसरे गणमान्य व्यक्तियों ने कार्यक्रम में शामिल होकर ग्राम वासियों के साथ सहभोज भी किया।

 

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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