Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तराखंड

क्षेत्रीय दल एकजुट हों तो बन सकते हैं ताकत

Published

on

उत्‍तराखण्‍ड के क्षेत्रीय दल, यूकेडी उपपा प्रजामंडल स्वराज मोर्चा आम आदमी पार्टी

Loading

उत्‍तराखण्‍ड के क्षेत्रीय दल, यूकेडी उपपा प्रजामंडल स्वराज मोर्चा आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी भी हो सकती है गठबंधन में शामिल

सुनील परमार

देहरादून। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने व बदले राजनीतिक हालात के बाद राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। क्षेत्रीय दलों की महत्वकांक्षाएं भी ऐसे माहौल में हिलोरे मारने लगी हैं। हालांकि ये छोटे दल जानते हैं कि चुनाव में उनकी क्या गति हो जाती है, इसके बावजूद वह अपने-अपने तरीकों से जनता के बीच जाने की कोशिश में जुट गये हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अकेले दम पर कोई भी क्षेत्रीय दल कोई चुनाव में अपनी छाप नहीं छोड़ सकेगा, लेकिन यदि सभी छोटे दल एकजुट हो जाते हैं तो भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनौती बन सकते हैं।

यूकेडी, उपपा, प्रजामंडल, स्वराज मोर्चा से उम्मीदें

प्रदेश में पिछले एक पखवाड़े से राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। भाजपा और कांग्रेस विधायकों के अंकगणित को सुलझाने में जुटे हुए हैं। विधायक देश भर में फाइव स्टार होटल में ठहरे हैं या जंगल सफारी कर मौज कर रहे हैं तो जनता राशन और गैस की लाइन में लगी इन नेताओं को कोस रही है। राजनीतिक पतन की यह दशा देख कुछ क्षेत्रीय दल भी सक्रिय हो गये हैं। मलेथा जनांदोलन की उपज समीर रतूड़ी ने प्रजामंडल पार्टी का गठन किया है तो भाजपा शासन काल में दर्जाधारी आदित्य कोठारी ने स्वराज मोर्चा बनाया है। यूकेडी को कुर्सी का सिंबल मिल गया है तो उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी को नैनीसार मुद्दे से खासी पहचान मिली है। हालांकि यदि कार्यकर्ताओं की बात हो तो इन सब दलों को मिलाकर पांच हजार का आंकड़ा भी बमुश्किल पहुंचेगा।

निजी हित आड़े न आए तो हो सकता है गठबंधन

राजनीति के जानकारों का मानना है कि क्षेत्रीय दल इसलिए जनसमर्थन को वोट में तब्दील नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनका संदेश जनता में ठीक से नहीं पहुंचता है। इसके अलावा इन दलों के नेताओं में अहम व निजी स्वार्थ आड़े आ जाते हैं। इसका परिणाम यह रहा है कि प्रदेश में क्षेत्रीय दल पनप नहीं सके हैं। एक कारण यह भी रहा है कि भाजपा और कांग्रेस ने छोटे दलों में अपने समर्थकों को फिट कर दिया है। यह मुखबरी का काम करते हैं साथ में फूट डलवाने का भी। ऐसे में छोटे दलों के और भी टुकड़े हो जाते हैं। पूर्व गढ़वाल कमिश्नर एसएस पांगती का कहना है कि छोटे दल तब तक राजनीति में पहचान नहीं बना पाते हैं जब तक कि वह जनता के बीच में जाकर काम नहीं करते। इसके अलावा संसाधनों की कमी होने से भी वह जनसमर्थन को वोट में मुश्किल से बदल पाते हैं। यदि छोटे दल एकजुट हों तो संभव है कि बेहतर परिणाम निकले।

 

उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का किया उद्घाटन

Published

on

Loading

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का उद्घाटन किया। नीति आयोग, सेतु आयोग और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से राजधानी देहरादून में दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कौशल एवं रोज़गार सम्मलेन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं प्रदेश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को बेहतर रोजगार मुहैया कराने की दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है।

कार्यक्रम में कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इसे सरकार की ओर से युवाओं के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के तमाम बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना है। मुख्यमंत्री ने कहा, “निश्चित तौर पर इस कार्यशाला में जिन विषयों पर भी मंथन होगा, उससे बहुत ही व्यावहारिक चीजें निकलकर सामने आएंगी, जो अन्य युवाओं के लिए समृद्धि के मार्ग प्रशस्त करेगी। हमें युवाओं को प्रशिक्षण देना है, जिससे उनके लिए रोजगार की संभावनाएं प्रबल हो सकें, ताकि उन्हें बेरोजगारी से निजात मिल सके।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में स्किल डेवलपमेंट का विभाग खोला था, ताकि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके। इसके अलावा, वो रोजगार खोजने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें। अगर प्रदेश के युवा रोजगार देने वाले बनेंगे, तो इससे बेरोजगारी पर गहरा अघात पहुंचेगा। ” उन्होंने कहा, “हम आगामी दिनों में अन्य रोजगारपरक प्रशिक्षण युवाओं को मुहैया कराएंगे, जो आगे चलकर उनके लिए सहायक साबित होंगे।

Continue Reading

Trending