उत्तर प्रदेश
लखनऊ के इकाना स्टेडियम में ऐसा क्या है खास जहां होगा सीएम योगी का शपथ ग्रहण समारोह
उत्तर प्रदेश में प्रचंड जीत के बाद दोबारा भाजपा की बहुमत की सरकार बनने की तैयारी जोरों पर चल रही है। 25 मार्च को योगी आदित्यनाथ और उनकी नवनिर्वाचित विधायकों की बिग्रेड शपथ लेगी । 2022 के शपथग्रहण का ऐसा भव्य आयोजन किया जा रहा है जिसे हमेशा याद किया जाएगा। ये शपथ ग्रहण समारोह लखनऊ के अंतरराष्ट्रीय इकाना क्रिकेट स्टेडियम में किया जा रहा है। आइए जानते हैं इस शपथ ग्रहण समारोह के लिए क्यों इस स्टेडियम को चुना गया है और इसकी खासियत क्या है?
जानें कितनी लागत में बना है ये स्टेडियम
अंतरराष्ट्रीय इकाना क्रिकेट स्टेडियम जो योगी आदित्यनाथ को दोबारा यूपी का मुख्यमंत्री बनने के शपथ ग्रहण का साक्षी बनेगा उसको बनाने में पांच सौ करोड़ रुपए की लागत आई थी।
70 एकड़ जमीन पर फैला है ये स्टेडियम
लखनऊ में सुलतानपुर रोड के स्थित शहीद पथ पर बन रहे इस स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय क्रिकट मैचों के आयोजन के साथ साथ नए खिलाड़ियों को ट्रेनिंग भी दिए जाने के लिए इसका निर्माण करवाया गया है। योगी सरकार में 2018 में स्टेडियम बनकर तैयार हुआ है। 70 एकड़ जमीन पर फैले इस स्टेडियम में नौ पिच हैं। इस स्टेडियम में चार वीआईपी लाउंच हैं।
क्यों शपथ ग्रहण के लिए चुनाव गया
लखनऊ में स्थित इस स्टेडियम को शपथग्रहण के एिल इसलिए चुना गया क्योंकि इस स्टेडियम में एक साथ 50 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है। अगर बीच मैदान में भी बैठने की व्यवस्था की गई तो 60 से 65 हजार लोग इस स्टेडियम में आ सकते हैं।
इकाना स्टेडियम की खासियत
ये भारत का पांचवां सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम है । यहां साथ एक हजार कार पार्किंग हो सकती हैं और पांच हजार टू-वीलर पार्किंग की यहां व्यवस्था है। इस स्टेडियम में इंटरनेशनल लेवल की फ्लड लाइट, मीडिया सेंटर, पवेलियन सहित अन्य सुविधाएं भी हैं। इस स्टेडियम की खासियत है कि बारिश होने के कुछ ही घंटो के अंदर आधुनिक तकनीक से पानी को बाहर निकालकर ग्राउंड को खेलने योग्य बना दिया जाता है।
योगी सरकार ने इस स्टेडियम को नया नाम दिया
पूर्व में इकाना अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के रूप में जाना जाता था, योगी सरकार ने पूर्व पीएम अटल बिहारी के निधन के बाद इसका नाम बदलकर भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम कर दिया था।
शपथ ग्रहण में 45 लोग होंगे शामिल
इस शपथ ग्रहण में पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट के मंत्री समेत संघ प्रमुख और विपक्ष के नेताओं के अलावा लगभग 45 हजार से अधिक लोग शामिल होंगे इसलिए इस भव्य आयोजन के लिए इस स्टेडियम को चुना गया है। नेताओं के साथ नामी उद्योपतियों और धर्माचार्यों को भी न्योता दिया गया है। शपथ ग्रहण समारोह के लिए इस स्टेडियम को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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