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प्रादेशिक

पहले योजनाओं का पैसा खर्च नहीं होता था, दीवारों में चला जाता थाः सीएम योगी

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लखनऊ। प्रतापगढ़ में जनविश्वास यात्रा में मुख्यमंत्री ने सपा पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बबुआ नोटबंदी का विरोध क्यों करते थे, यह अब पता चला। गरीबों से लूटा गया करोड़ों रुपया जो उनकी दीवारों में छुपाया गया था। इस अवैध कमाई का पैसा कभी न कभी तो निकलता ही निकलता। लेकिन गरीबों की हाय बहुत तेजी से लगती है, तभी तो यह पैसा बाहर आ पाया।

हमारी सरकार प्रतापगढ़ के 120 गांवों में पेयजल स्कीम लागू कर रही है। अब इन गांवों की बहन-बेटियों और बहुओं को पानी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। हमारी सरकार यही योजना प्रदेश के 50 हजार गांवों में लागू करने जा रही है। कांग्रेस, सपा, बसपा की सरकारों ने देश-प्रदेश में पांच दशक तक शासन किया लेकिन प्रतापगढ़ में मेडिकल कालेज क्यों नहीं बनाया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रतापगढ़ में सोमवार को 554 करोड़ रुपये की 378 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनता से सीधा संवाद बनाते हुए कहा कि एक पार्टी है भाई-बहन की, एक चाचा-भतीजे की है और एक है बुआ-भतीजे की। यानी यह लोग वंशवाद-परिवारवाद को राजनीति से अलग नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर आगे सत्ता के लिए चाचा-भतीजे में मारपीट होती है तो प्रदेश का हाल क्या होगा। कोरोना के दौरान सपा के नेता कहीं दिखाई दिए। वह तो गरीबों के राशन को हड़प कर ले जाते थे। सपा, बसपा और कांग्रेस यह सब आपके संकट के समय नहीं थे। कोरोना काल के 22 महीने होने जा रहे हैं, इनमें से यह सब 20 महीने से गायब थे। विपत्ति के समय यह सब होम क्वारंटीन थे। अब इन्हें राजनीति से क्वारंटीन करने का समय आ गया है। वहीं हमारी सरकार आपके साथ खड़ी रही। ऐसे में जो विपत्ति के समय साथ दे तो सुख के समय में आपको उसके साथ रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की बनाई वैक्सीन जरूर लगवाएं। क्योंकि जैसे हमारी सरकार दंगाइयों को पास नहीं भटकने दे रही है, उसी तरह यह वैक्सीन भी कोरोना को पास नहीं भटकने देगी।
उन्होंने कहा कि अगर सोच ईमानदार होती है तो काम दमदार दिखाई देता है। हमारी सरकार के सभी लोग जनविश्वास यात्रा को लेकर आपके पास आए हैं।

आपका साथ रहेगा तो कमल ही खिलेगा क्योंकि कमल ही कल्याण का कारक बनेगा। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों के मन में गरीबों, विधवा महिलाओं, बेटियों के लिए कोई जगह नहीं थी यह केवल वोटबैंक की राजनीति करते थे। पहले जब इन्हें लगता था कि लोगों पर गोली चलाने से वोट मिलेंगे तो यह रामभक्तों पर भी गोली चलाते थे। लेकिन हमारी सरकार में रामभक्तों के सम्मान के साथ अयोध्या में भव्य राममंदिर बनाया जा रहा है। सपा सरकार कांवड़ यात्रा पर रोक लगाती थी। अब कांवड़ यात्रा पर पुष्पवर्षा के साथ ही काशी में भव्य श्रीकाशी विश्वनाथ धाम बनकर तैयार है। हमारी सरकार ने दो करोड़ 61 लाख शौचालय बनाए हैं। अब तो मोदीजी ने यह भी कर दिया है कि बैंकिंग की सुविधा गांव की बहू या बेटी गांव में ही उपलब्ध कराएगी।
उन्होंने कहा कि 2017 से पहले प्रदेश में दंगे, आतंकी घटनाएं, भ्रष्टाचार होता था। आज दंगाइयों की हिम्मत नहीं है कि कहीं दंगा करें क्योंकि वे जानते हैं कि अगर उन्होंने दंगा किया तो उनकी पीढ़ियां गुजर जाएंगी दंगे में हुए नुकसान की भरपाई करते-करते। उन्होंने कहा कि सपा जिस तरह से पांच साल से सत्ता से बाहर है, लेकिन उनकी दीवारों से 370 करोड़ रुपये निकल रहे हैं। पहले योजनाओं का पैसा खर्च नहीं होता था इन्हीं दीवारों में चला जाता था। आज इनकम टैक्स यह पैसा निकाल रहा है। यह पैसा अब गरीबों की योजनाओं में खर्च होगा।

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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