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उत्तर प्रदेश

आजमगढ़ मंडल को भी योगी सरकार ने बनाया ‘रूरल टूरिज्म डेवलपमेंट स्ट्रैटेजी’ का हिस्सा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार ने प्रदेश में रूरल टूरिज्म को बढ़ावा देने की प्रक्रिया में एक नए अध्याय को जोड़ा है। प्रदेश की समृद्ध ग्रामीण परिवेश को घरेलू व विदेशी पर्यटकों में प्रसिद्ध बनाने की परियोजना से अब आजमगढ़ मंडल को भी जोड़ा जा चुका है। सीएम योगी के विजन अनुसार योजना के अंतर्गत, आजमगढ़, मऊ व बलिया में 4 गांवों में रूरल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए होम स्टे समेत विभिन्न पर्यटक सुविधाओं विकास किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि आजमगढ़ मंडल के गांवों को इस योजना के साथ जोड़ने के बाद अब कुल मिलाकर रूरल टूरिज्म के लिए डेवलप किए जा रहे गांवों की संख्या 97 हो गई है। देवीपाटन, चित्रकूट, अयोध्या, लखनऊ तथा वाराणसी मंडल में पहले से ही इस परियोजना के अंतर्गत क्रियान्वयन शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि प्रदेश के अन्य मंडलों के चिह्नित गांवों को भी इस प्रक्रिया से जल्द ही जोड़ा जाएगा। इन सभी पर्यटन विकास एवं निर्माण कार्यों को उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा सीएम योगी के विजन अनुसार पूरा किया जा रहा है और योजना को गति देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

पर्यटन विभाग द्वारा योजना को दी जा रही गति

सीएम योगी के विजन अनुसार, परियोजना के अंतर्गत आजमगढ़, मऊ और जौनपुर जिलों में कुल 4 गांवों का चयन रूरल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए होम स्टे परियोजना के लिए चयनित किया जाएगा। सभी चारों गांव में एक विलेज को ऑर्डिनेटर, एक-एक जिला को ऑर्डिनेटर, एक टूरिज्म एक्सपर्ट, एक रूरल डेवलपमेंट एक्सपर्ट व टीम लीड की तैनाती होगी। प्रत्येक गांव में 10 लोकल गाइड, 5 स्टोरी टेलर, तथा लोकल कुजीन का स्वाद उपलब्ध कराने का दायित्म 5 परिवारों को सौंपा जाएगा। इसके अतिरिक्त, जरीदोजी, मूंज, लकड़ी के शिल्पकार, कुम्हार तथा बोटिंग, फिशिंग, फल व सब्जी तोड़ने तथा साइक्लिंग इत्यादि की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 20 कलाकारों तथा स्थानीय लोगों को कार्यभार सौंपा जाएगा। ग्राम स्तर पर 10 होम स्टे तक निर्मित किए जा सकेंगे। इनकी रजिस्ट्रेशन, विकास व नियमन इत्यादि की प्रक्रिया को स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार की पॉलिसी के अनुरूप पूरा किया जाएगा। सारी प्रक्रिया उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के दिशा-निर्देशन में पूरी की जाएगी।

सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए होगा प्रमोशन

परियोजना के अनुसार, सभी रूम स्टे निधि प्लस पोर्टल के साथ भी एकीकृत होंगे। इसके अतिरिक्त, 4 आइसोलेटेज एग्रो टूरिज्म प्रॉपर्टीज के विकास की संभावनाओं को भी तलाशा जाएगा। परियोजना के अंतर्गत प्रत्येक तीन महीने में गांवों में टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाएंगे। साथ ही, इन सभी ग्रामों का सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर अकाउंट बनाकर उन्हें प्रमोट किया जाएगा। ग्रामों में 15 रूम तक की कैपेसिटी पर रूम स्टे विकसित किए जाएंगे। सारी विकास प्रक्रिया को 6 महीने के 3 चरण, 4 महीने के चौथे चरण तथा 2 महीने के पांचवें चरण के रूप में 24 महीनों यानी दो वर्षों की अवधि में विकसित किया जाएगा।

पर्यटन बढ़ाने की अपार संभावनाओं में ग्रामीण पर्यटन करेगा इजाफा

उत्तर प्रदेश घरेलू पर्यटकों के लिहाज से देश का नंबर वन टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। प्रदेश में आध्यात्मिक पर्यटन के अतिरिक्त प्राकृतिक, वन्य व लोक पारंपरिक कलाओं आधारित पर्यटन की भी अपार संभावनाएं हैं। उत्तर प्रदेश की संस्कृति और प्रकृति को देखने और उसे अनभूत करने की ललक न केवल देसी बल्कि विदेशी पर्यटकों में भी बहुत है। यही कारण है कि प्रदेश में ग्रामीण पर्यटन की अपार संभावनाओं को भी व्यापक स्तर पर जागृत करने की दिशा में योगी सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं। प्रदेश के प्रमुख टूरिस्ट डेस्टिनेशंस के समीप ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गांवों में होम स्टे समेत पर्यटन विकास की प्रक्रिया पर फोकस किया जा रहा है। साथ ही, ग्रामीण, वन समेत पर्यटन के लिहाज से प्रमुख टूरिस्ट सर्किट में टूर गाइड्स व ऑपरेटर्स की ट्रेनिंग प्रक्रिया को भी बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में विस्तृत फ्रेमवर्क पर काम जारी है।

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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