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प्रादेशिक

आशा कार्यकत्रियों को योगी सरकार ने दिया बड़ा तोहफा, मानदेय होगा दोगुना

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार आशा कार्यकत्रियों का मानदेय दोगुना करने जा रही है। अब प्रदेश सरकार की ओर से दिए जाने मानदेय को 750 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये प्रति माह किया जाएगा। यह घोषणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को आशाओं के सम्मेलन और 80 हजार मोबाइल फोन वितरण कार्यक्रम के शुभारंभ के मौके पर की।

साथ ही उन्होंने 1 अप्रैल 2020 से लेकर 31 मार्च 2022 तक कोरोना कालखंड में अच्छा कार्य करने वाले को 500 रुपये प्रति माह अतिरिक्त मानदेय देने का भी ऐलान किया। उन्होंने कहा कि 20 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करने में 60 दिवस से अधिक टीकाकरण करने वाले संविदा एएनएम को 10000 रुपये एकमुश्त मानदेय दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि आशा बहनों को शिकायत रहती थी कि हमारे पास कोई ऐसा माध्यम नहीं है, जिससे शासन से मिलने वाले मानदेय को समय से प्राप्त कर सकें और अनावश्यक लिखा-पढ़ी से मुक्ति मिल सके। इसको देखते हुए आज हम 80 हजार मोबाइल देकर आशा बहनों को जोड़ रहे हैं और आने वाले समय में दूसरे चरण में 80 हजार और मोबाइल फोन उपलब्ध कराएंगे।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने तय किया है कि 1 अप्रैल 2020 से लेकर 31 मार्च 2022 तक कोरोना काल में अच्छा कार्य करने वाले आशा और आशा संगीनी को अतिरिक्त मानदेय के रूप में 500 रुपये प्रति माह अतिरिक्त उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने कहा कि आशा और आशा संगीनी को केंद्र से 1500 रुपये और 750 रुपये प्रति माह राज्य से उपलब्ध कराया जाता था। अब आपके कार्यों को देखते हुए राज्य सरकार ने तय किया है कि प्रदेश सरकार की ओर से दी जाने वाली राशि को 750 से बढ़ाकर 1500 रुपये प्रति माह कर दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य की सुविधा को निचले पायदान तक पहुंचाने वाली आशा बहनें ही हैं। कोरोना की दूसरी लहर में जब पूरी दुनिया बदहवास थी तब उस स्थिति में डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग, दवा बांटने, टेस्टिंग को आगे बढ़ाने का आशा बहनों, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और एएनएम ने जो कार्य किया, वह सराहनीय है। कोरोना प्रबंधन में एक हेल्थ वर्कर के रूप में आशा का काम हर स्तर पर सराहनीय है। कोरोना काल खंड में जब हर व्यक्ति अपने लिए जी रहा था, तब ये तीनों समाज के जीवन को बचाने के लिए कार्य कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में बच्चों के टीकाकरण से लेकर स्वास्थ्य संबंधी अभियान से जिस मजबूती के साथ आप जुड़ते हैं, वह सराहनीय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो 20 करोड़ कोरोना का टीका लगा है, इसमें भी आशा बहनों की बड़ी भूमिका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश इस बात के लिए बदनाम था कि यहां मातृ और शिशु मृत्यु दर देश के एवरेज से ज्यादा थी। इसके लिए उत्तर प्रदेश हमेशा कठघरे में खड़ा रहता था। अभी हाल ही में भारत सरकार की स्टेट हेल्थ इम्पैक्ट वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट आई है, उसमें देश के 19 बड़े राज्यों में इनक्रेमेंटल रैंकिंग में उत्तर प्रदेश पहला स्थान प्राप्त हुआ है।

उन्होंने कहा कि यह तब संभव हो पाया है जब आशा बहनों ने समय पर राज्य के प्रत्येक नागरिक तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का कार्य किया है। मातृ और शिशु मृत्यु दर में वर्ष 2015-16 के मुकाबले काफी सुधार हो रहा है। इसी प्रकार से जानकारी के अभाव में माताओं, बहनों और बच्चों का टीकाकरण नहीं हो पा रहा था, इसमें भी प्रदेश ने बहुत अच्छी सफलता प्राप्त की है। इसमें भी प्रदेश अब पीछे नहीं रहेगा। स्मार्ट फोन मिलने के बाद आने वाले समय में इस फील्ड में प्रदेश बहुत अच्छी सफलता प्राप्त करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि साढ़े चार साल में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार हुआ है। आज उत्तर प्रदेश हर जनपद में मेडिकल कालेज खोलने की ओर अग्रसर है। 59 जनपदों में मेडिकल कालेज है। प्रदेश सरकार 30 नए मेडिकल कालेज बनवा रही है। साथ ही पीपीपी मोड पर भी दो मेडिकल कालेज बन रहे हैं। इससे आने वाले समय में एक जनपद एक उत्पाद के तर्ज पर हर जनपद में एक मेडिकल कालेज होगा। उन्होंने कहा कि जब करोना का पहला मामला आया था तो प्रदेश के अन्दर कई ऐसे जनपद थे, जहां आईसीयू बेड नहीं थे। आज हर जनपद में आईसीयू, वेंटिलेटर और ट्रेंड स्टाफ है। दूसरी लहर में दुनिया में आक्सीजन की समस्या हुई थी। आज प्रदेश में 551 आक्सीजन प्लाट हैं। हाल ही में यूपी में 5000 से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है।

उन्होंने कहा कि सशक्त समाज का पहला आधार स्वास्थ्य है। अगर समाज स्वस्थ नहीं होगा तो सशक्त नहीं हो सकता। सशक्त नहीं होगा तो समृद्ध भी नहीं हो सकता है। स्वास्थ्य की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में आशा बहनों की भूमिक असंदिग्ध है। स्मार्ट फोन आपको और सशक्त करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जा रही है। यद्यपि यह दूसरी लहर के हिसाब से कम खतरनाक मानी जा रही है। फिर भी सतर्कता की दृष्टि से जागरूकता लानी पड़ेगी। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से निगरानी समिति को एक्टिव करने को कहा।

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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