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उत्तर प्रदेश

योगी के मंत्रियों ने मणिपुर और हरियाणा की जनता को दिया महाकुंभ-2025 का निमंत्रण

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गुवाहाटी/चंडीगढ़। योगी सरकार महाकुंभ 2025 को भव्य बनाने के लिए देशभर में रोडशो के माध्यम से आम जनता और गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित कर रही है। इसी कड़ी में हरियाणा और असम में भव्य रोडशो आयोजित किए गए। हरियाणा में औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ और राज्यमंत्री जसवंत सिंह सैनी ने रोडशो का नेतृत्व करते हुए राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात कर उन्हें महाकुंभ में शामिल होने का आमंत्रण दिया। वहीं, असम के गुवाहाटी में स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने रोडशो का नेतृत्व किया। उन्होंने राजभवन में मणिपुर के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य से भेंट कर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से महाकुंभ 2025 में भाग लेने का निमंत्रण दिया।

रोडशो के दौरान प्रेस वार्ता कर मंत्रियों ने लोगों को महाकुम्भ 2025 के ऐतिहासिक आयोजन की जानकारी दी। मंत्रियों ने कहा कि आगामी 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम तट पर प्रयागराज में महाकुम्भ का भव्य आयोजन होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इसे दिव्य, भव्य और पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए विशेष तैयारियां की जा रही हैं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे महाकुंभ 2025 में भाग लेकर न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करें, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं को करीब से जानने का अवसर भी प्राप्त करें।

उन्होंने बताया कि महाकुंभ 2025 को स्वच्छ और हरित बनाने के लिए पूरे मेला क्षेत्र में डेढ़ लाख से अधिक शौचालय बनाए गए हैं, सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है, और पर्यावरण संरक्षण के लिए तीन लाख पौधे लगाए गए हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सात स्तरीय सुरक्षा चक्र, 2,750 सीसीटीवी कैमरे और अत्याधुनिक एआई आधारित निगरानी प्रणाली का उपयोग होगा। स्वास्थ्य सुविधाओं के तहत 100 बेड का अस्पताल और आईसीयू की व्यवस्था की गई है।

महाकुंभ के दौरान प्रयागराज को सजाने के लिए ’पेंट माई सिटी’ अभियान चलाया गया है, जिसमें 35 लाख वर्गफुट क्षेत्र में वॉल पेंटिंग की गई है। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए 101 स्मार्ट पार्किंग स्थल और 1,249 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई गई है। डिजिटल खोया-पाया केंद्र और गूगल मैप इंटीग्रेशन जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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