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अक्षय तृतीया : ब्रह्ममुहूर्त तक दुर्लभ योग

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रायपुर| पुरातन परंपराओं के मुताबिक, विवाह के लिए अक्षय तृतीया को सबसे शुभ दिन माना जाता है। शुभ मुहूर्त में हजारों वर-वधू फेरा लेने वाले हैं। अक्षय तृतीया 21 अप्रैल को है। वैवाहिक एवं अन्य मांगलिक कार्यो के लिए इस दिन किसी भी तरह की कोई रुकावट नहीं है। सुबह 11. 37 बजे से दूसरे दिन ब्रह्ममुहूर्त तड़के चार बजे तक है।

छत्तीसगढ़ के पंडितों के अनुसार, प्रदेश में इस दिन 5000 से अधिक मंडप सजेंगे। संबंधित परिवार भी इसकी तैयारी में जुट गए हैं।

राजधानी रायपुर के पंडित मनोज शर्मा ने बताया कि अक्षय तृतीया विवाह का प्रमुख लग्न होता है। लोग इसी दिन फेरे लेने की इच्छा रखते हैं। इस साल तो दिनभर शुभ योग है, इसलिए लोगों को शुभ मुहूर्त के लिए परेशान भी नहीं होना पड़ेगा। 21 अप्रैल को 11:37 बजे से रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ होगा। इस समय से दूसरे दिन अलसुबह तक शुभ मुहूर्त है।

बेमेतरा के आचार्य झम्मन शास्त्री के मुताबिक, विवाह के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन बेमेतरा शहरी क्षेत्र में ही 15 से अधिक शादियां हैं और पूरे जिले में 200 शादियां होने का अनुमान है। गांव-गांव में शादी होने से इस दिन पंडित भी व्यस्त रहेंगे। पूरे प्रदेश में अनुमानत: 5000 से ज्यादा विवाह संपन्न होंगे।

विवाह का सीजन आने से दुकानों में अच्छी भीड़ देखी जा रही है। पर्रा-बिजना, झांपी से लेकर सोने-चांदी की अच्छी बिक्री हो रही है। कपड़ा दुकानों में भी भारी भीड़ लग रही है। रेडिमेड के साथ टेलरों को भी भारी ऑर्डर मिले हैं। कारीगर सिलाई कार्य में व्यस्त हैं। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक सामान, बर्तन व गिफ्ट दुकानों में भी इन दिनों अच्छी ग्राहकी है। कस्बों के साप्ताहिक बाजारों में भी भीड़-भाड़ देखी जा रही है।

छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया के दिन किसान देवी-देवताओं को दोना में भरकर धान चढ़ाते हैं। घरों में पूजा-अर्चना की जाती है। अच्छी फसल की कामना की जाती है।

 

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