प्रादेशिक
अत्यधिक भीड़, तंग दरवाजे के कारण मची भगदड़ : पुजारी
रांची| झारखंड के देवघर स्थित प्रसिद्ध बैद्यनाथधाम में सोमवार को भगदड़ मचने की वजह अत्यधिक भीड़ और मंदिर का तंग दरवाजा था। भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई है।
बैद्यनाथधाम मंदिर के मुख्य पुजारी कार्तिक मिश्रा ने बताया कि मंदिर में जल चढ़ाने पहुंचे श्रद्धालुओं के बीच पहले प्रवेश करने के लिए मची होड़ के कारण अव्यवस्था पैदा हो गई।
मिश्रा ने फोन पर बताया, “सोमवार सुबह मंदिर दर्शन के लिए श्रद्धालु रविवार रात से ही कतारों में लग गए थे। सोमवार तड़के चार बजे जब मंदिर का फाटक खुला, तो लोगों के बीच मंदिर में पहले प्रवेश करने की होड़ लग गई और इससे वहां अव्यवस्था फैल गई।”
उन्होंने बताया, “मौके पर मौजूद पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मामूली लाठीचार्ज किया, जिसके बाद भगदड़ मच गई।”
मिश्रा ने बताया कि भगदड़ में 60-70 लोग घायल हुए हैं, लेकिन इससे श्रद्धालुओं के बीच धार्मिक उत्साह और जोश में फर्क नहीं पड़ा है।
उन्होंने कहा, “भगदड़ के बाद भी हजारों लोग भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए कतार में खड़े थे।”
उन्होंने बताया कि मंदिर का प्रवेश द्वार बेहद तंग है और भगदड़ मचने का एक कारण यह भी है। मिश्रा ने कहा, “मुख्य मंदिर का प्रवेश द्वार बेहद तंग है, जिसमें से एक बार में एक-दो लोग ही गुजर सकते हैं। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर प्रशासन के लिए हमेशा से मसला रही है।”
राजधानी रांची से देवघर की दूरी 300 किलोमीटर है। हिंदू कैलेंडर के श्रावण माह में 30 लाख से ज्यादा श्रद्धालु यहां बैद्यनाथधाम मंदिर में जल चढ़ाने पहुंचते हैं। विशेषकर सोमवार के दिन मंदिर दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दो लाख तक पहुंच जाती है।
पुलिस उपायुक्त अमित कुमार ने कहा कि भगदड़ मचने का कारण अत्यधिक भीड़ थी। उन्होंने बताया कि घायलों को देवघर के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
उत्तर प्रदेश
निराश्रित बच्चों के लिए सुरक्षित और संवेदनशील वातावरण बनाने में जुटी योगी सरकार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महिला कल्याण विभाग ने बच्चों के सर्वांगीण विकास और सुरक्षा के लिए एक नई और महत्वपूर्ण पहल की है। इस पहल के तहत राज्य के विभिन्न जनपदों में 10 नए बाल संरक्षण गृहों का निर्माण और संचालन किया जाएगा। इन संरक्षण गृहों का उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना है, जहाँ वे अच्छे नागरिक के रूप में विकसित हो सकें।
वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, अयोध्या समेत 10 जिलों में बनेंगे नए बाल संरक्षण गृह
महिला कल्याण विभाग द्वारा प्रस्तावित इस योजना के अनुसार, प्रदेश के मथुरा, प्रयागराज, कानपुर नगर, आजमगढ़, झांसी, अमेठी, फिजाबाद, देवरिया, सुल्तानपुर, तथा ललितपुर में इन संरक्षण गृहों की स्थापना की जाएगी। हर संरक्षण गृह में 100-100 बच्चों को रखने की क्षमता होगी, जिससे अधिक से अधिक बच्चों को लाभान्वित किया जा सके। इनमें 1 राजकीय बाल गृह(बालिका) 1 राजकीय बाल गृह (बालक), 7 राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर), किशोर न्याय बोर्ड सहित 1 प्लेस ऑफ सेफ्टी गृह शामिल है। इन संरक्षण गृहों में बच्चों को न केवल रहने की सुविधाएं दी जाएंगी, बल्कि उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास का भी ध्यान रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशानुरूप महिला एवं बाल विकास विभाग इन संरक्षण गृहों की स्थापना से असहाय और संवेदनशील बच्चों को एक नया जीवन देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। इन गृहों में बच्चों को एक संरक्षित वातावरण में शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और जीवन कौशल जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
समाज में बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा कदम
इस योजना के तहत राज्य सरकार ने बाल संरक्षण गृहों के निर्माण के लिए आवश्यक फंड भी निर्धारित किए हैं। सभी गृहों का निर्माण योगी सरकार अपने बजट से करेगी। वहीं इन गृहों के संचालन में केंद्र सरकार द्वारा मिशन वात्सल्य योजना के प्राविधानों के केंद्रांश-60 प्रतिशत और राज्यांश-40 प्रतिशत के अनुसार राज्य सरकार पर 7.96 करोड़ रुपये का व्ययभार आएगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 100 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। योजना के सफल संचालन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इन गृहों का निर्माण और प्रबंधन गुणवत्ता मानकों के अनुसार किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से कंसल्टेंट्स का चयन भी किया है, ताकि इन बाल संरक्षण गृहों में दी जाने वाली सेवाओं का उच्चतम स्तर सुनिश्चित किया जा सके।
बाल अधिकारों की रक्षा में सीएम योगी का सशक्त प्रयास
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उद्देश्य है कि राज्य का कोई भी बच्चा असुरक्षित या उपेक्षित महसूस न करे। सीएम योगी ने कहा कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि वे समाज के भविष्य हैं। इस योजना के तहत बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षित कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी, जो उनकी सुरक्षा और कल्याण के प्रति संजीदा होंगे। इन बाल संरक्षण गृहों में बच्चों को उनकी उम्र और जरूरतों के हिसाब से सेवाएं दी जाएंगी, ताकि वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें।
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