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अधिकांश पार्टियां चुनावी बांड की राह में रोड़ा : जेटली

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नई दिल्ली, 7 जनवरी (आईएएनएस)| केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि अधिकांश राजनीतिक दल राजनीतिक चंदे (पॉलिटिकल फंडिंग) की मौजूदा प्रणाली से ‘पूरी तरह संतुष्ट’ हैं और वे चुनावी बांड जैसी पारदर्शी प्रणाली की तरफ नहीं बढ़ना चाहेंगी।

जेटली ने एक विश्लेषण में लिखा, भारत में एक पारदर्शी राजनीतिक फंडिंग की व्यवस्था नहीं हो सकती, क्योंकि ज्यादातर राजनीतिक समूह मौजूदा व्यवस्था से पूरी तरह संतुष्ट दिख रहे हैं। इसलिए राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की प्रक्रिया को साफ-सुथरा बनाने के लिए वैकल्पिक प्रणाली लाने पर अडं़गा डालने की कोशिश हो रही है।

वित्तमंत्री ने वर्ष 2017-18 के अपने बजट भाषण में चुनावी बांड की संकल्पना की घोषणा की थी और दो जनवरी को इसे लोकसभा में उन्होंने प्रस्तुत भी किया। उन्होंने कहा कि वर्षो से कई सुधार किए गए, लेकिन उन सुधारों से राजनीतिक दलों को दिए जा रहे चंदे का सिर्फ छोटा अंश चेक में आ रहा है।

उन्होंने कहा, इस सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के क्रम में मैंने 2017-18 के बजट भाषण में घोषणा की थी कि राजनतिक दलों को सफेद धन कई प्रकार से दिए जा सकते हैं। चेक में दिए गए धन पर दानदाता को कर में छूट मिल सकती है। दानदाताओं को ऑनलाइन राजनीति दलों को दान देने की भी आजादी दी गई।

वित्तमंत्री ने कहा, इसके अतिरिक्त, राजनीतिक दलों को दिए जा रहे चंदे की प्रणाली में सफेद धन व पारदर्शिता लाने के मकसद से चुनावी बांड की घोषणा की गई। उन्होंने कहा कि इस योजना में राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे की प्रणाली में पूरी तरह से सफेद धन और पूरी पारदर्शिता बरतने पर विचार किया गया है।

दानदाता सिर्फ एक विशेष बैंकिंग उपकरण के जरिए निर्दिष्ट बैंक से ही चुनावी बांड खरीद सकते हैं। उनको अपने खाते में उनके द्वारा खरीदे गए राजनीतिक बांड का खुलासा करना होगा। बांड की अवधि सिर्फ 15 दिन होगी।

बांड को राजनीतिक दल के पूर्व घोषित खाते में भुनाया जा सकता है। प्रत्येक राजनीतिक दल को इसके अपने रिटर्न में चुनावी बांड से प्राप्त धन के बारे में चुनाव आयोग को जानकारी देनी होगी।

जेटली ने कहा, वस्तुत: मौजूदा प्रणाली और नई प्रणाली के बीच चयन समझदारीपूर्वक करना होगा। मौजूदा प्रणाली जिसमें ज्यादातर दान नकदी में दिए जाते हैं और वह सफेद धन नहीं होता है, साथ ही यह पारदर्शी भी नहीं है। दूसरी ओर नई प्रणली में दानदाताओं को चेक के जरिए पूरी तरह पारदर्शी तरीके से धन देने का विकल्प है और वे चुनावी बांड के जरिए ऑनलाइन लेन-देन भी कर सकते हैं।

हालांकि, वित्तमंत्री ने कहा कि किसी राजनीतिक दल को दिए गए चंदे की जानकारी सिर्फ दानदाता तक सीमित होगी। वहीं, विपक्ष इस दावे से सहमत नहीं हैं।

कांग्रेस ने कहा कि दानदाता का नाम छिपाना एक प्रतिगामी कदम है। कांग्रेस ने इस बात की चिंता जाहिर की है कि इस तरीके से पारदर्शिता नहीं रहेगी और सत्ताधारी दल को सूचनाओं का गलत इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा। साथ ही, सरकारी तंत्र दानदाताओं पर बल प्रयोग कर सकता है।

वित्तमंत्री ने कहा कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले धन के शोधन के लिए सरकार सभी सुझावों पर विचार करने को इच्छुक है, लेकिन अव्यवहारिक सुझावों से फायदा नहीं मिलेगा।

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नेशनल

गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा

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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।

कहां-कितना है एक्यूआई

अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।

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