प्रादेशिक
अनूठा नशा मुक्ति अभियान
हरिद्वार| जब मन में यदि कोई विचार उठे और कार्यरूप देने के लिए इंसान कुछ भी करने को तैयार हो जाए, तो उम्र उसके आड़े नहीं आती। उत्तराखंड के हरिद्वार में रहने वाले संतराम सेन के मन में यहां आने वाले यात्रियों को व्यसन मुक्त करने का विचार उठा तो वह मुहिम पर निकल पड़े। वह प्रतिदिन कम से कम 100 लोगों को जागरूक करते हुए अनूठा नशामुक्ति अभियान चला चला रहे हैं। सेन 66 वर्ष की उम्र में हरिद्वार की गली-गली में जन-जागरण के लिए कई सफल प्रयोग कर चुके हैं, जो पूरे देश में लोकप्रिय हुए। अब उन्होंने अपने अनूठे अंदाज में नशामुक्ति अभियान छेड़ दिया है। संतराम सेन की दैनिक प्रव्रज्या आरंभ होती है सायंकाल लगभग 5.30 बजे से। साइकिल के पिछले कैरियर पर मेगाफोन और हैंडिल के कैरियर में रखी होती हैं- व्यसनमुक्ति से संबंधित छोटी-छोटी पुस्तकें।
मेगाफोन से बजते गीतों के साथ उनकी साइकिल रोज अलग-अलग मार्गो पर चल पड़ती है। रास्ते में जहां भी कोई बीड़ी पीता या गुटखा खाता नजर आया, वहीं साइकिल रुकती है। सेन नशा करते व्यक्ति को विनम्रता के साथ प्रणाम करते हैं और अपनी ओर से थमा देते हैं नशामुक्ति संबंधी एक छोटी-सी पुस्तिका, एक अनुरोध के साथ कि “हरिद्वार में गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त करने आए हो, तो नशे की यह आदत यहीं विसर्जित करते जाना। गंगा मैय्या जरूर प्रसन्न होंगी, आपके जीवन में सुख-शांति बढ़ेगी।”
एक दिन सेन हर की पौड़ी पर पहुंचे और उन्होंने 500 से अधिक लोगों से संपर्क किया। प्रतिदिन वे 100-200 लोगों से संपर्क करते ही हैं। सेन विशेष रूप से गंगा घाटों की ओर ही जाया करते हैं। उनके निवेदन पर लोग अपनी गलती का अहसास करते हैं और नशा छोड़ने का संकल्प भी लेते हुए देखे जाते हैं।
हाथरस (उ.प्र.) से आए घनश्याम दास ने कहा, “यह बहुत ही सफल प्रयोग सिद्ध होगा। मुझे संतराम सेन से प्रेरणा मिली है। हम गांव-गांव में ऐसी साइकिल परिव्रज्याएं करेंगे, बार-बार करेंगे। लोगों को बार-बार छोटी-छोटी पुस्तिकाएं देते रहेंगे तो आखिर कभी तो उन्हें अपनी गलती का अहसास होगा, कभी तो उनका साहस जागेगा, नशा छोड़ने का संकल्प उभरेगा।”
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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