Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

अलगाववादी अब नहीं कर सकेंगे ऐश, केंद्र सरकार सख्त

Published

on

अलगाववादी नेताओं पर सख्‍त रूख, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल, हुर्रियत नेताओं

Loading

अलगाववादी नेताओं पर सख्‍त रूख, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल, हुर्रियत नेताओं

separatist in kashmir

पासपोर्ट भी हो सकते हैं निरस्‍त

नई दिल्ली। हुर्रियत नेताओं के पिछले दिनों सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के नेताओं से मिलने से इनकार के बाद केंद्र सरकार ने अलगाववादी नेताओं पर सख्‍त रूख अपनाने का फैसला किया है। भारत के पैसे से ऐश-मौज करने और भारत को ही तोड़ने की बात करने वाले इन अलगाववादी नेताओं के खिलाफ केंद्र सरकार ने सख्त रवैया अपनाने का फैसला किया है। इसके तहत न सिर्फ इन नेताओं की सुख-सुविधाओं पर अब तक किये जा रहे सरकारी खर्च पर लगाम लगाई जाएगी, बल्कि उनके पासपोर्ट भी निरस्त किये जा सकते हैं।

हुर्रियत नेताओं के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के नेताओं से मिलने से इनकार करने के बाद ही गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इसके संकेत दे दिये थे। उन्होंने साफ कर दिया था कि हुर्रियत नेताओं का यह कदम जम्हूरियत, इंसानियत और कश्मीरियत के खिलाफ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हरी झंडी के बाद गृहमंत्रालय अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई में जुट गया है। गृहमंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राज्य और केंद्र सरकार हुर्रियत नेताओं की यात्रा, होटल और सुरक्षा पर 100 करोड़ रुपये से अधिक सालाना खर्च करती है। सरकार के पैसे से अलगाववादी फाइव स्टार होटलों में ठहरते हैं और सरकारी गाडि़यों में घूमते हैं। लगभग एक हजार सरकारी सुरक्षाकर्मी सालों भर उनकी सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं।

मजेदार बात यह है कि सरकार सालाना उनके खाने-पीने के करोड़ों रुपये का बिल भी अदा करती है। यदि अलगाववादी बीमार हो जाएं तो उनका देश विदेश में इलाज का खर्च भी सरकार उठाती है। लेकिन भारत के पैसे से ऐशोआराम की जिंदगी जी रहे अलगाववादी नेता हमेशा पाकिस्तान का राग अलापते रहते हैं और युवाओं को भारत के खिलाफ भड़काते हैं। लेकिन अब केंद्र सरकार ने इन अलगाववादियों पर होने वाले खर्च से तौबा करने का मन बना लिया है। केंद्र सरकार अपनी ओर से दिये जा रहे खर्च को बंद करने का फैसला कर लिया है और राज्य सरकार को भी ऐसा करने को कह दिया गया है।

सूत्रों के अनुसार पिछले छह सालों में अलगाववादियों पर केंद्र और राज्य सरकार लगभग 700 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। 2010 से 2015 तक कश्मीर में अलगाववादियों के घर की सुरक्षा के लिए 18 हज़ार पुलिसकर्मियों को बतौर गार्ड तैनात किया गया था। इन सुरक्षाकर्मियों की सैलरी पर राज्य सरकार ने 309 करोड़ रुपये खर्च किए। इसके अलावा अलगाववादियों के पीएसओ पर 150 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

साथ ही इन पांच सालों में अलगाववादियों के होटल बिल भरने के लिए राज्य सरकार को 21 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े। इस दौरान अलगाववादियों की गाडि़यों में इस्तेमाल होने वाले तेल का खर्च 26 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च किया गया। राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे और हुर्रियत के रवैये के बारे में जानकारी दी।

सूत्रों के अनुसार राजनाथ सिंह का कहना था कि कश्मीर में स्थायी शांति के लिए अलगाववादी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है। प्रधानमंत्री की ओर हरी झंडी मिलने के बाद गृहमंत्रालय की ओर से हुर्रियत नेताओं के ऐशो आराम के खर्चे में कटौती के संकेत मिले। अलगाववादी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई से पैदा होने वाली राजनैतिक हालात और उनसे निपटने के तरीके को लेकर राजनाथ सिंह ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से चर्चा। इस दौरान वित्तमंत्री अरुण जेटली भी मौजूद थे।

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

Published

on

Loading

महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

Continue Reading

Trending